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Updated: 12 मई, 2017 04:56 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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अरविंद केजरीवाल पर दो करोड़ कैश लेने का आरोप लगाने के बाद कपिल मिश्रा अपने घर में ही अनशन पर हैं. कपिल मिश्रा की तरह ही बीएसपी ने मायावती के करीबी और भरोसेमंद रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पार्टी से निकाल दिया है. अब नसीमुद्दीन सिद्धीकी ताल ठोक कर कह रहे हैं कि बीएसपी नेताओं ने जो आरोप उन पर लगाये हैं वो उन्हीं पर सबूत के साथ साबित कर देंगे.

कपिल मिश्रा के रास्ते पर चलते हुए एक प्रेस कांफ्रेंस कर नसीमुद्दीन ने मायावती पर दो गंभीर आरोप लगाया है - पहला, मायावती ने 50 करोड़ रुपये मांगे और दूसरा, मुसलमानों को धोखेबाज कहा.

आप जैसी ही बीएसपी भी

अरविंद केजरीवाल और मायावती दोनों की एक ही चीज से शिकायत है - EVM. अपने अपने तरीके की राजनीति के लिए मशहूर दोनों ही नेता अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ देते हैं. केजरीवाल एमसीडी चुनाव में हार के बाद तो मायावती यूपी चुनाव में शिकस्त के बाद ईवीएम के पीछे पड़ गये हैं. मायावती कानूनी तैयारी के साथ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही हैं तो केजरीवाल दिल्ली विधानसभा में नकली ईवीएम लेकर हैक करने का डेमो भी दिखा चुके हैं.

naseemuddin siddiqui'50 करोड़ कैश मांगा...'

सियासी तौर पर दोनों में दो और बातें कॉमन हैं - पहली दोनों ही को बीजेपी से शिकस्त मिली और दोनों ही ने अपने अपने यहां एक जैसे बागी तैयार कर लिये. बीएसपी से निकाले गये नसीमुद्दीन सिद्दीकी आम आदमी पार्टी के कपिल मिश्रा जैसे ही रिएक्ट कर रहे हैं.

50 करोड़ कैश

नसीमुद्दीन ने पत्रकारों को बताया कि एक बार मायावती ने उन्हें बुलाया और कहा कि पार्टी को पैसे की जरूरत है. नसीमुद्दीन के मुताबिक मायावती ने उनसे 50 करोड़ रुपये मांगे.

नसीमुद्दीन बताते हैं, 'जब मैंने उनसे कहा कि मेरे पास पैसे नहीं हैं, तो उन्होंने संपत्ति बेचने को कहा. मैंने इस पर उन्हें रोका और कहा कि नोटबंदी के बाद कैश में पैसा मिलना मुश्किल है, लेकिन वो लगातार पैसा मांगती रही. इसके बाद मैंने पैसा जुटाने की कोशिश की. अपनी संपत्ति बेचना चाहा. मैंने थोड़ा बहुत पैसा जुटाया और मायावती को इसे बारे में बताया तो उन्होंने मुझसे पूरा पैसा लेकर आने को कहा.'

टिकट बेचने के आरोप

नसीमुद्दीन सिद्धीकी उसी आरोप में हटाये गये हैं जिस तरह के इल्जाम बीएसपी छोड़ने वाला हर नेता अब तक मायावती पर लगाता रहा है. नसीमुद्दीन ने अपने ऊपर लगाये गये सारे आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत करार दिया है. नसीमुद्दीन कह रहे हैं, 'जो आरोप मेरे ऊपर लगाये गए हैं, वो सभी आरोप मैं सबूत के साथ मायावती एंड कंपनी के खिलाफ साबित कर दूंगा.'

नसीमुद्दीन को बीएसपी से हटाये जाने से हर कोई हैरान है. हर किसी का एक ही सवाल है - आखिर इतने करीब रहे नसीमुद्दीन अचानक गद्दार क्यों बताये जाने लगे.

kapil mishra'दो करोड़ कैश...'

कुछ मीडिया रिपोर्ट में इन सवालों के जवाब मिल जाते हैं. सूत्रों के हवाले से आई खबरों के मुताबिक बीएसपी ने नसीमुद्दीन के खिलाफ चौतरफा जांच के तरीके अपनाये - और सभी जांच के नतीजे मिलते जुलते पाये गये तब जाकर कार्रवाई का फैसला हुआ.

इन चार जांच रिपोर्ट में से दो ज्यादा ही असरदार साबित हुईं. इनमें से एक रिपोर्ट बीएसपी के एक सीनियर नेता की रही और दूसरी मायावती के करीबी एक बड़े पुलिस अफसर की. साथ ही, कार्यकर्ताओं से मिली शिकायतों को भी आधार बनाया गया.

सभी शिकायतों में पाया गया कि दलित समाज में सिद्दीकी के खिलाफ भारी गुस्सा है - और उन्हें बीएसपी से बेदखल कर ही लोगों का गुस्सा कम किया जा सकता है.

चिट्ठियों के सहारे...

एक तरफ कपिल मिश्रा धड़ाधड़ चिट्ठी बम फोड़े जा रहे हैं, दूसरी तरफ नसीमुद्दीन ने भी एक इमोशनल लेटर लिखा है - और एक प्रेस नोट के जरिये अपना पक्ष मीडिया से साझा किया है. नसीमुद्दीन का कहना है कि यूपी चुनाव में हार के बाद मायावती ने मुसलमानों के लिए अपशब्द कहे और उन्हें खूब जलील किया.

मीडिया से मुखातिब नसीमुद्दीन ने बताया कि चुनाव नतीजों के बाद मायावती ने उनसे पूछा कि मुसलमानों ने बीएसपी को वोट क्यों नहीं दिया. जब नसीमुद्दीन ने उन्हें समझाने की कोशिश की तो वो और भड़क गयीं.

नसीमुद्दीन ने बताया, 'मेरी बात से असहमति जताते हुए बसपा सुप्रीमो ने मुझे गाली दी और कहा कि मैं उन्हें मूर्ख बना रहा हूं. मायावती ने कहा कि मुसलमान धोखेबाज हैं. दाढ़ी वालों ने कभी बसपा का साथ नहीं दिया.'

नसीमुद्दीन ने 1996 की एक घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि किस तरह मायावती ने उन्हें बीमार बेटी से मिलने की इजाजत नहीं दी - और आखिरी वक्त में भी वो उससे नहीं मिल सके. यहां तक कि, नसीमुद्दीन ने कहा, मायावती ने मुझे उसके अंतिम संस्कार में भी नहीं जाने दिया. नसीमुद्दीन लिखते हैं, 'मेरी इकलौती पुत्री बांदा में गंभीर रूप से बीमार हुई. मेरी पत्नी ने कहा कि तुम आ जाओ, बेटी आखिरी सांसें ले रही है. मैंने मायावती जी से फोन पर अपनी पुत्री को देखने जाने की अनुमति चाही तो उन्होंने कहा कि चुनाव फंसा हुआ है, तुम ही मेरे इलेक्शन एजेंट और प्रभारी हो. तुम्हारे जाने का मतलब मेरा चुनाव हारना है अर्थात मुझे मेरी पुत्री को देखने के लिए अथवा इलाज कराने के लिए सुश्री मायावती जी ने अपने निजी स्वार्थवश मना कर दिया. मैंने उनका आदेश माना और नहीं गया. नतीजा ये हुआ कि चुनाव के दौरान मेरी सबसे बड़ी संतान ने इलाज के अभाव में बांदा में दम तोड़ दिया.'

इस चिट्ठी के जरिये नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कपिल मिश्रा की ही तरह एक बड़ा और गंभीर आरोप लगाया है, "मायावती, आनंद कुमार और सतीश मिश्रा ने कई बार उनसे ऐसी मांगें कीं जो अनैतिक और मानवता से परे थीं."

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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