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Updated: 16 दिसम्बर, 2022 07:49 PM
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बिहार के छपरा में जहरीली शराब के सेवन से अब तक 39 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. मामला छपरा सारण के इसुआपुर थाना क्षेत्र का है. इस खबर के बाद सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में लोगों को अस्पताल रेफर किया गया. जहां कुछ लोगों ने इलाज के दौरान ही दम तोड़ दिया, फिलहाल बाकी लोगों का इलाज चल रहा है.

JDU, congress, liquor ban, bihar assembly election, Bihar News, liquor ban, Liquor Death, Nitish Kumarविपक्ष लगातार सरकार पर यही आरोप लगा रहा है कि शराबबंदी सरकार की एक विफलता है

सरकार पर आरोप-

1)- शराबबंदी असफल साबित- विपक्ष लगातार सरकार पर यही आरोप लगा रहा है कि शराबबंदी सरकार की एक विफलता है और यह बात अब नीतीश कुमार को स्वीकार कर लेना चाहिए. नीतीश कुमार के पार्टी के नेता खुद शराबबंदी के खिलाफ अक्सर बयान देते रहते हैं.

2)- सरकार का हादसे से पल्ला झाड़ना- इस मामले के बाद बिहार के मुख्यमंत्री का एक बयान काफी चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा है कि शराब पियोगे तो मरोगे ही...जिसके बाद विपक्ष ने बिहार सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार इस हादसे को गंभीरता से नहीं ले रही है, वजह है मुख्यमंत्री का बयान.

3)- नीतीश सरकार पर कमीशन खाने का आरोप- विपक्ष लगातार इसी सवाल को उठाता आया है कि, बिना नीतीश सरकार के दखल के प्रदेश में इतने बड़े स्तर पर गैरकानूनी शराब की बिक्री नहीं हो सकती. सरकार पीछे के दरवाजे से इस व्यापार को बढ़ावा देती है और इसके बदले कमीशन खाती है.

4)- वोट बैंक की राजनीति- नीतीश सरकार पर लगातार आरोप लगते आया है कि, नीतीश सरकार ने महिला वोटरों के खातीर शराबबंदी बिहार में शुरू कर तो दी, लेकिन सरकार शराबबंदी को सही तरीके से राज्य में नियमों कानूनों के साथ लागू करा पाने में विफल नजर आई. बिहार में शराबबंदी के राजनीतिक कारण बिहार में शराबबंदी का सबसे बड़ा राजनीतिक कारण है मजबूत महिला वोट बैंक. नीतीश कुमार का हमेशा से बिहार की महिला वोटरों पर फोकस रहा है और यही वोटर चुनाव में नीतीश का साथ निभाते आए हैं. साल 2020 के विधानसभा के चुनाव में महिला वोटरों का टर्न आउट 59.7 प्रतिशत रहा तो वहीं पुरुष वोटरों का टर्नआउट 54.6 प्रतिशत रहा.

लेखक

Ritik Rajput Ritik Rajput @RitikRajput

I Pursue Broadcast Journalism From INDIA TODAY MEDIA INSTITUTE . Political science Honours From Delhi University .

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