Ramvilas Paswan राजनीति शास्त्र के शोधार्थियों के रिसर्च का विषय हो सकते हैं
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन (Ramvilas Paswan Death) से भारतीय राजनीति को बड़ा झटका लगा है. संघ भाजपा (RSS-BJP) के अलावा कांग्रेस और यूपीए (Congress-UPA) के अन्य नेताओं के बीच लोकप्रिय पासवान पावर को पहचानते थे. उन्हें पता था कि इसका इस्तेमाल कैसे और कहां करना है.
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केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan Death) नहीं रहे. भारतीय राजनीति के मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले पासवान की अभी बीते दिनों ही दिल्ली (Delhi) में हार्ट सर्जरी हुई थी. 74 साल के पासवान उन चुनिंदा नेताओं में थे जिनका जाना न केवल बिहार (Bihar) बल्कि सम्पूर्ण देश की सियासत को खलेगा. पासवान का राजनीतिक कद क्या था? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार चाहे किसी की भी रही हो, उन्हें हमेशा ही महत्वपूर्ण समझा गया और बड़ा पद दिया गया. वीपी सिंह (VP Singh), एच डी देवगौड़ा (HD Deve Gowda), आई के गुजराल(IK Gujral), अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee), मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) और वर्तमान में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की कैबिनेट में काम करने वाले रामविलास पासवान उन नेताओं में थे जिन्हें अपनी शक्ति का एहसास था. पासवान इस बात से परिचित थे कि यदि राजनीति में लंबे समय तक टिके रहना है तो एक राजनेता के लिए ये जरूरी है कि उसे मौके पर चौका जड़ना आए. पासवान को अपनी पावर का अंदाजा था. पासवान इस बात से भी वाकिफ थे कि पावर का कहां पर कितना और किस तरह इस्तेमाल करना है. बिहार को अस्त्र बनाकर रामविलास पासवान ने जिस तरह की सियासत की, भले ही उसपर उन्हें तमाम तरह की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा हो. लेकिन इस बात में भी संदेह की गुंजाइश नहीं है कि ऊंचे राजनीतिक कद के कारण राजनीतिशास्त्र से जुड़े शोधार्थी राम विलास के जीवन या ये कहें कि उनके द्वारा की गई राजनीति पर शोध कर सकते हैं.
रामविलास पासवान का शुमार हिंदुस्तान के सबसे करिश्माई नेताओं में है
अब जबकि रामविलास पासवान और उनके द्वारा की गई राजनीति हमारी स्मृतियों में है हमारे लिए उन बातों को जानना और समझना जरूरी हो जाता है जो बिहार से आए एक आम नेता राम विलास पासवान को खास बनाती हैं. बातें रामविलास पासवान की उपलब्धियों की चल रही गया तो हमारे लिए 2002 के दौरान हुए गुजरात दंगों का जिक्र करना बहुत जरूरी हो जाता है.
तब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. गुजरात दंगों के फौरन बाद ये रामविलास पासवान ही थे जिन्होंने पीएम मोदी की तीखी आलोचना की थी और मोदी विरोध का ऐसा बिगुल फूंका था जिसमें उनके साथ साथ विपक्ष के तमाम नेता जुड़ गए थे. इतनी आलोचना करने के बावजूद जिस तरह रामविलास पासवान को पीएम मोदी की कैबिनेट में जगह मिली अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतिय राजनीति में रामविलास पासवान का कद क्या रहा होगा.
जब जब रामविलास पासवान याद किये जाएंगे बिहार का जिक्र जरूर होगा. बिहार में यदि लालू यादव औ राबड़ी देवी की सत्ता गयी तो इसकी एक बड़ी वजह रामविलास पासवान थे. अपनी रैलियों, भाषणों और बाइटों में रामविलास पासवान ने बिहार की जनता को इस बात का एहसास करा दिया था कि यदि उस दौर में बिहार गर्त के अंधेरों और खस्ताहाली में है तो इसकी एक बड़ी वजह आम बिहारियों का लालू यादव फिर राबड़ी देवी को चुनना है. बता दें कि ये रामविलास पासवान ही थे जिन्होंने मौके बेमौके बिहार की जनता कोलालू और आरजेडी के भ्रष्टाचार से अवगत कराया.
एनडीए में लगभग सभी नेताओं के पसंदीदा रहे रामविलास पासवान क्यों सफल नेता रहे इसकी एक बड़ी वजह उनकी निर्णय लेने की क्षमता और कैलकुलेशन को माना जाता रहा है. ध्यान रहे कि एक नेता के लिए ये बहुत जरूरी है कि वो चीजों में अपना नफा नुकसान तलाशे और जरूरत पड़े तो उसका इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदों के लिए करे. रामविलास पासवान ने ये सब किया और डंके की चोट पर किया.
कुल मिलाकर कहा यही जा सकता है कि राजनीति में कम ही मौके आए जब किसी दल या नेता ने रामविलास पासवान और उनकी राजनीति को नजरअंदाज किया.
वाक़ई बड़ा रहस्यमयी जीवन रहा है राम विलास पासवान का. कभी हमने उन्हें प्रेस कांफ्रेंस के लिए आए पत्रकारों के सामने पेश करने के लिए पकौड़े तलते देखा तो कभी वो कांग्रेस के उन नेताओं के साथ दिखे जिन्होंने पार्टी सिर्फ इसलिए छोड़ी ताकि वो जन मोर्चा का निर्माण कर सकें. पासवान ने बड़ी बैलेंस राजनीति की है वो जानते थे कि फायदा कहां से मिलेगा और शायद यही वो कारण था जिसने राम विलास पासवान को राखी भेजने के लिए मजबूर किया. पासवान की ये अदा दलितों को पसंद आई और इसके बाद जो उन्हें दलितों का समर्थन मिला वही आगे चलकर उनकी शक्ति हुआ.
खुद सोच के देखिये. जो आदमी जितना लोकप्रिय संघ और भाजपा के नेताओं के बीच था. उसकी उतनी ही प्रसिद्धि कांग्रेस और यूपीए के अन्य नेताओं में थी. जिस आदमी ने लालू यादव की जड़ों को हिलाकर रख दिया लेकिन इसके बावजूद उनका अच्छा दोस्त हुआ ऐसे आदमी में कुछ तो बात रही होगी। जाते जाते हम फिर इस बात को कह रहे हैं कि रामविलास पासवान का जाना भारतीय राजनीति को एक गहरी क्षति है. वो लोग जो राजनीति में एंट्री के इच्छुक हैं या फिर अपने को मौका परस्त मानते हैं उन्हें रामविलास पासवान के जीवन को न सिर्फ देखना चाहिए बल्कि उससे प्रेरणा भी लेनी चाहिए. अंत में बस इतना ही कि रामविलास पासवान राजनीति की किताब है जिसने उन्हें पढ़ लिया उसे फिर शायद ही कभी कोई मात दे पाए.
आप याद आएंगे राम विलास और इस देश की राजनीति भी शायद ही कभी आपको भूल पाए. ईश्वर से यही कामना है कि आपकी आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिले.
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