'अनुकूल परिणामों' के लिए नमाज के नाम पर देवबंद के मुफ़्ती का मोदी-विरोध
'अनुकूल परिणामों' के लिए जो बात दारुल उलूम देवबंद के वरिष्ठ मुफ्ती ने कही है उससे न सिर्फ एक लोकतंत्र के रूप देश शर्मिंदा हुआ है बल्कि उसने ये भी बता दिया है कि जब जब तक हम राजनीति में धर्म लाएंगे तब तक ऐसा होगा.
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1952 से लेकर अब तक देश 17 लोकसभा चुनाव देख चुका है. मगर जो बात इस 17 वें लोकसभा चुनाव को दिलचस्प बना रही है वो है एक भारी मेंडेट के साथ नरेंद्र मोदी की दोबारा वापसी. एग्जिट पोल्स के नतीजों से साफ है कि भाजपा को बड़ी जीत मिल रही है और एनडीए के सरकार बनाने के कारण नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनने वाले हैं. 19 के ये चुनाव न सिर्फ नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच हुए आरोप प्रत्यारोप के कारणवश दिलचस्प थे. बल्कि ऐसे तमाम कारण हैं जिनके चलते इन्हें लम्बे समय तक याद किया जाएगा.
इस चुनाव में देश के मुसलमानों का रवैया भी देखने लायक रहा है. अब इसे सबका साथ सबका विकास की थ्योरी पर अमल करना कहें. या फिर एक भरोसे के रूप में प्रधानमंत्री मोदी की बात पर विश्वास, देश भर के कुल मुस्लिम मतों में मुसलामानों के 10% मत भाजपा को गए. वहीं बात अगर राज्यों की हो तो महाराष्ट्र, असम, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी मुसलमान मतों के लिहाज से भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा.
चुनाव के परिणाम आने में कुछ वक़्त है मगर
2019 के ऐतिहासिक लोकसभा चुनावों के परिणाम आने में बस कुछ समय शेष है. भले ही देश भर के कुल मतों का 10 प्रतिशत मत भाजपा के पलड़े में गया हो, लेकिन अब भी तमाम लोग ऐसे हैं, जो किसी एक पार्टी या फिर किसी एक व्यक्ति की आलोचना/विरोध में नीचे गिरकर लगातार ऐसे काम कर रहे हैं जिससे न केवल एक समुदाय बल्कि पूरा लोकतंत्र शर्मिंदा हो रहा है.
बात समझने के लिए हम मुफ्ती महमूद हसन बुलंदशहरी का रुख कर सकते हैं. सवाल होगा कि ये कौन हैं? तो बता दें कि मुफ्ती महमूद हसन बुलंदशहरी, विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षा के केंद्र दारुल उलूम देवबंद के वरिष्ठ मुफ्ती हैं. जो टीवी पर आए एग्जिट पोल देखकर इतना आहत हुए हैं कि उन्होंने देश भर के मुसलमानों से अपील की है कि वे 23 मई को 'अनुकूल परिणामों' के लिए सामूहिक दुआ करें.
अपने इस ऐलान पर जब मुफ़्ती से बात की गई तो उन्होंने ये कहकर लोगों को चौंका दिया कि मौजूदा हालात में यह बहुत जरूरी है कि देश में अमनो-अमान के लिए, मुसलमानों, मस्जिदों और मदरसों की सुरक्षा के लिए सभी शिद्दत से दुआ करें. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि किसी को नहीं पता किसकी दुआ कुबूल हो जाए. जब तक नतीजों का ऐलान नहीं हो जाता, मैं सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज के बाद, अनुकूल परिणाम आने के लिए सामूहिक दुआ का आयोजन की अपील करता हूं.
वहीं जब एक वरिष्ठ मुफ़्ती के इस फरमान पर देवबंद के बाक़ी मौलवियों से राय ली गई, तो आश्चर्यजनक रूप से उन्होंने भी इस अपील का स्वागत किया. साथ ही उन लोगों ने भी यही कहा कि देश भर के मुसलमानों को इस अहम फैसले को अमल में लाना चाहिए.
दारुल उलूम के मुफ़्ती ने कहा है कि मुसलमान तरावीह की नमाज में अनुकूल परिणामों के लिए दुआ करें
चुनाव के नाम पर धर्म का इस्तेमाल इस देश की राजनीति में कोई नया नहीं है. पूर्व में भी ऐसे तमाम मौके आए हैं जब हम धर्म की आड़ में लोगों को किसी एक पार्टी या किसी एक व्यक्ति का समर्थन/ विरोध करते देख चुके हैं. एक तरफ देश में मुसलमानों की एक छोटी सी संख्या पीएम मोदी की नीतियों और उनके नारे सबका साथ सबका विकास पर अमल करते हुए भाजपा को वोट कर रही है. तो वहीं दूसरी तरफ एक बड़ी संख्या का अपने अन्दर पनप चुके मोदी/ भाजपा विरोध के चलते 'अनुकूल परिणामों' की आड़ में ये दुआ करना ये बताता है कि जब तक राजनीति में धर्म या फिर धर्म में राजनीति रहेगी हम ऐसा बहुत कुछ देखते रहेंगे.
बहरहाल, अब जब बात दुआ करने तक आ ही गई है तो बस इतना ही कहा जाएगा कि जनादेश भगवान भरोसे नहीं होता. हमेशा की तरह इस चुनाव में चाहे वो भाजपा हो या फिर कांग्रेस और महागठबंधन पार्टियां वही काटेंगी जो उन्होंने बोया है. ऐसे में बात अगर भाजपा की हो, जिसका कुछ मुसलमान विरोध कर रहे हैं. तो हम बस ये कहकर अपनी बात खत्म करेंगे कि तीन तलाक पर भाजपा की नीति स्पष्ट है.
तीन तलाक पर भाजपा की नीति मुस्लिम महिला मतदाताओं को पसंद आई है. भले ही उसे मुस्लिम पुरुषों के वोट न मिलें मगर इतना तय माना जा रहा है कि भाजपा की इस जीत में मुस्लिम महिलाओं की भी एक निर्णायक भूमिका रहेगी, जिसे किसी भी सूरत में नकारना एक बड़ी भारी भूल रहेगी.
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