बेगूसराय के वोटर की टिप: ऐसे चुनें अपना संसद...
अगर हम सब अपने-अपने क्षेत्र में एक ईमानदार, पढ़े-लिखे, मेहनती, दूरदर्शी, गैर-जातिवादी, गैर-सांप्रदायिक, देशभक्त, मानवतावादी और बेदाग व्यक्ति को नहीं चुन सकते, तो वास्तव में हमें भ्रष्टाचार, अपराध, जातिवाद और सांप्रदायिकता का शिकार होकर कराहने और न्याय पाने का भी हक नहीं है.
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चुनाव जिसे हम इस कथित लोकतंत्र (जो कि असलियत में अब जोकतंत्र उर्फ जोंकतंत्र बन चुका है) के सबसे बड़े त्योहार की तरह मनाते हैं, वह सत्ता-प्राप्ति के लिए विभिन्न पक्षों द्वारा धनबल और बाहुबल का नंगा नाच करने और जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा आदि के नाम पर उन्माद फैलाने का दूसरा नाम बन गया है. यह स्थिति हृदय-विदारक है और लोकतंत्र व चुनाव के प्रति नागरिकों की आस्था को ठेस पहुंचाने वाली है.
इसके बावजूद मैं 29 अप्रैल को अपने लोकसभा क्षेत्र बेगूसराय में उपस्थित रहकर उपलब्ध उम्मीदवारों में से किसी एक सबसे अच्छे उम्मीदवार के लिए मतदान करूंगा. आप सब से मेरा निवेदन है कि अपनी-अपनी लोकसभा सीटों पर आप सब भी केवल अच्छे उम्मीदवारों को ही अपना वोट दें और अगर कोई भी अच्छा उम्मीदवार दिखाई न दे, तो नोटा दबाएं.
अच्छे उम्मीदवार से मेरा तात्पर्य ऐसे उम्मीदवार से है, जो ईमानदार, पढ़ा-लिखा, मेहनती, दूरदर्शी, गैर-जातिवादी, गैर-सांप्रदायिक, देशभक्त और मानवतावादी हो, तथा जिसके ऊपर किसी गंभीर अपराध के मामले में मुकदमा नहीं चल रहा हो. अगर हम सब अपने-अपने क्षेत्र में एक ईमानदार, पढ़े-लिखे, मेहनती, दूरदर्शी, गैर-जातिवादी, गैर-सांप्रदायिक, देशभक्त, मानवतावादी और बेदाग व्यक्ति को नहीं चुन सकते, तो वास्तव में हमें भ्रष्टाचार, अपराध, जातिवाद और सांप्रदायिकता का शिकार होकर कराहने और न्याय पाने का भी हक नहीं है.
मतदान के अधिकार को कम करके न आंकें
मुझे यह ठीक नहीं लगता कि हम और आप किसी X, Y या Z के नाम पर किसी भी भ्रष्ट, बाहुबली, संगीन मामलों के अंडरट्रायल आरोपी, जातिवादी, सांप्रदायिक या देशविरोधी आदमी को चुन लें. क्योंकि अगर X, Y या Z इतने ही महान, पवित्र और दूध के धुले हैं, तो अपनी-अपनी पार्टियों से वे साफ-सुथरे और बेदाग लोगों को टिकट देना क्यों सुनिश्चित नहीं करते?
अब मान लीजिए कि कथित रूप से महान किसी X, Y या Z नेता या पार्टी ने किसी भ्रष्ट, बाहुबली, संगीन मामलों के अंडरट्रायल आरोपी, जातिवादी, सांप्रदायिक या देशविरोधी व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बना लिया हो, तो उस उम्मीदवार की हार के लिए हम और आप ज़िम्मेदार होंगे या कथित रूप से महान वह X, Y या Z, जिसने हमारे-आपके माथे पर एक घटिया उम्मीदवार थोप दिया? ज़रा सोचकर देखिए.
सोचना हमें इसलिए भी होगा, क्योंकि अगर हम कथित रूप से महान किसी X, Y या Z के भ्रष्ट, बाहुबली, अंडरट्रायल, जातिवादी, सांप्रदायिक या देशविरोधी उम्मीदवारों को भी अपने बहुमूल्य वोट से जिताते रहेंगे, तो आगे भी वे ऐसे ही उम्मीदवारों को मैदान में उतारेंगे और मौजूदा हालात में कभी भी सुधार नहीं आ पाएगा.
हम सबको एक बात और समझ लेनी चाहिए कि अपने यहां की लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्था वैसी नहीं है, जैसी बताई जाती है.
1. हमारे यहां लोकसभा चुनाव में मतदाता केवल और केवल अपने सांसद का चुनाव करता है. हम जिस ईवीएम पर बटन दबाते हैं, उसमें केवल उम्मीदवारों और उनके चुनाव चिह्नों के लिए जगह होती है. इस तरह लोकतंत्र ने हमें केवल और केवल यह अधिकार और दायित्व दिया है कि हम चुनाव मैदान में मौजूद उम्मीदवारों में से एक सबसे बेहतर उम्मीदवार के लिए मतदान करें.
2. जब मतदाता अपने अधिकार का इस्तेमाल करके बहुमत से अपने-अपने इलाके का सांसद चुन लेते हैं, तो देश भर से चुने गए सांसदों में से बहुमत रखने वाले समूह, दल या गठबंधन के सांसद बहुमत से अपने संसदीय समूह, दल या गठबंधन का नेता चुनते हैं, जो सरकार का प्रधानमंत्री बनता है.
3. जब वोटर अपने सांसद और बहुमत-प्राप्त सांसद-समूह अपने प्रधानमंत्री का चुनाव कर लेते हैं, तब प्रधानमंत्री अपनी सरकार चलाने के लिए अपने मंत्रिमंडल का गठन करते हैं और अपने विशेषाधिकार और विवेकाधिकार से मंत्रियों का चुनाव करते हैं.
इस प्रकार लोकतंत्र ने मतदाता को महज एक वोट देने और बहुमत से अपना सांसद चुनने का अधिकार दिया है. इसके आगे के अधिकार सांसद और प्रधानमंत्री के पास हैं. इसलिए कृपया अपने अधिकार को न तो कम करके आंकें, न ही अधिक करके आंकें और अगर कोई आपको बरगलाने की कोशिश करता है, तो उसके बरगलाने में भी न आएं. शुक्रिया.
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