मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का कोरोना भगाने का ये कैसा स्टाइल?
एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता से जुड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं. शिवराज पहले भी कोरोना प्रोटोकॉल के सभी नियमों का पालन करने की अपील करते रहे हैं. तीन दिन पहले ‘मास्क नहीं तो बात नहीं’ के नारे के साथ शिवराज ने अपनी पत्नी और दोनों बालिग बच्चों को मास्क पहनाया और सोशल मीडिया में फोटो वायरल कर दिए.
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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता से जुड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं. पिछले कुछ दिनों से शिवराज ने जनता को मास्क पहनाने की ठान रखी है, हालांकि शिवराज पहले भी कोरोना प्रोटोकॉल के सभी नियमों का पालन करने की अपील करते रहे हैं. तीन दिन पहले ‘मास्क नहीं तो बात नहीं’ के नारे के साथ शिवराज ने अपनी पत्नी और दोनों बालिग बच्चों को मास्क पहनाया और सोशल मीडिया में फोटो वायरल कर दिए. शिवराज की ये मुहिम निंदनीय नहीं है. आमतौर पर आपने नेताओं को खुली जीप पर चुनावी मौसम में देखा होगा लेकिन शिवराज देश के पहले मुख्यमंत्री हैं जो खुली जीप पर जनता को मास्क पहनने की अपील करने के लिए एक दिन पहले शाम को राजधानी भोपाल की सड़को पर निकल पड़े. राजधानी का पूरा पुलिस-प्रशासन मुख्यमंत्री के इंतजाम में लग गया.
सड़क पर लोगों को मास्क लगाने का संदेश देते शिवराज सिंह चौहान
सड़क पर शिवराज मास्क लगाने का संदेश दे रहे थे लेकिन जहां जहां से उनका काफिला निकल रहा था वहां घंटो लोग जाम में फंसे रहे. शिवराज को सुर्खियां मिलीं लेकिन कोरोना की रफ्तार में कोई ब्रेक नहीं लगा. उसी समय शिवराज ने नए कार्यक्रम का एलान किया और अगले दिन वे मिंटो हॉल में ‘स्वास्थ्य आग्रह’ पर बैठ गए. चौबीस घंटे के इस कार्यक्रम में नेताओं और धर्म गुरूओं का मजमा भी लगा रहा.
भीड़ इतनी बढ़ गयी कि पुलिस को उसे भगानी पड़ी. मीडिया का जमावड़ा भी कम नहीं था. मंत्री, नेता और अधिकारी भी मंच पर चेहरा दिखाने के लिए होड़ लगाए हुए थे. ये बात फिर कह सकते है कि शिवराज की नीयत साफ है. लेकिन ऐसी मुहिम का आकलन होना जरूरी है जब जनता का पैसा खर्च हो रहा हो और ये देखना भी जरूरी है कहीं सरकार ध्यान तो नहीं भटका रही है.
शिवराज सिंह ने पत्नी को मास्क पहनकर भी खूब सुर्खियां बटोरीं
मुख्यमंत्री के मास्क पहनने की अपील भर से कोरोना भागने वाला नहीं है और ये बात सड़कों पर आयोजन की सेल्फी लेने वाले भी समझते हैं और ऐसे कार्यक्रमों में ही कोरोना के प्रोटोकॉल सबसे ज्यादा टूटते हैं. प्रदेश में हर दिन कोरोना के नए आंकड़े अपना रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. नाइट कर्फ्यू और भोपाल-इंदौर जैसे शहरों में संडे लॉकडाउन का असर भी बेअसर है.
मिंटो हॉल में ‘स्वास्थ्य आग्रह’पर बैठे शिवराज सिंह चौहान
महाराष्ट्र के बाद गुजरात की कंपनियों ने भी ऑक्सीजन की सप्लाई छह दिनों से रोक रखी है. यदि गुरूवार तक सप्लाई नहीं हुई तो अकेले भोपाल के 100 से अधिक अस्पतालों में किल्लत हो जाएगी. कोरोना काल के दौरान सरकार ने प्रदेश में कई ऑक्सीजन कंपनियों को हरी झंडी दी थी लेकिन अभी तक उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है. वहीं दूसरी तरफ सरकार ने जो वैक्सीन का हर दिन का लक्ष्य रखा है वो भी बहुत पीछे है. ऐसे में इस समय सरकार को चाहिए कि बुनियादी समस्याओं का हल निकाले.
प्रदेश में कमलनाथ की सरकार को सत्ता पालते एक साल से ज्यादा हो चुका है, हाल ही में एक और कांग्रेस के विधायक के बीजेपी में जाने से दमोह सीट पर चुनाव का ऐलान भी हो चुका है. कहने का आशय ये है कि सत्ता और विपक्ष के नेता प्रचार में जुटे हैं, बिना कोरोना की परवाह के.
कांग्रेस के प्रवक्ता के के मिश्रा ने शिवराज के 24 घंटे के ‘स्वास्थ्य आग्रह’ को नौटंकी और समय की बर्बादी बताया है. कांग्रेस का आरोप है कि सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त इंतजाम नहीं और निजी अस्पताल कोरोना मरीजों को लूट रहे हैं. कांग्रेस को ये भी आरोप है कि सरकारी तंत्र कोरोना के आकड़ों को मैनेज करने में जुटा है.
कोरोना की नई लहर से निपटने के लिए शिवराज को सख्ती के साथ सरकारी अस्पतालों में बेहतर इंतजाम कराना जरूरी है, जो दिखाई नहीं दे रहे हैं. मुख्यमंत्री का अस्पतालों में निरीक्षण ‘स्वास्थ्य आग्रह’ से ज्यादा जनता को फायदा पहुंचा सकता है.
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