महाराष्ट्र सियासी संकट: जानिए कौन किस पर पड़ेगा भारी, उद्धव और भाजपा की क्या है तैयारी?
महाराष्ट्र (Maharashtra Political Crisis) में राज्यसभा से लेकर विधान परिषद के चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग से महाविकास आघाड़ी सरकार को नुकसान पहुंचा है. वहीं, शिवसेना (Shiv Sena) के दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व में 25 से ज्यादा विधायकों के बगावती हो जाने से उद्धव ठाकरे सरकार (Uddhav Thackeray) पर तलवार लटकने लगी है.
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महाराष्ट्र में राज्यसभा से लेकर विधान परिषद के चुनाव में क्रॉस वोटिंग से लगी 'आग' अब उद्धव ठाकरे सरकार के लिए खतरा बनती नजर आ रही है. शिवसेना के कद्दावर नेता और उद्धव सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे अचानक ही विधान परिषद की वोटिंग के बाद गुजरात चले गए हैं. सियासी हलकों में चर्चा है कि एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के 25 बागी विधायकों समेत निर्दलीय विधायक भी गुजरात की 'यात्रा' पर हैं. शिवसेना विधायकों की इस बगावत के बाद से ही महाराष्ट्र की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. शिवसेना ने भाजपा पर महाविकास आघाड़ी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया है. तो, भाजपा का कहना है कि शिवसेना में हुए विद्रोह से उसका कोई लेना-देना नहीं है. वैसे, ये महाराष्ट्र में पहला मौका नहीं है, जब उद्धव सरकार खतरे में आई हो. खैर, इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि कौन किस पर भारी पड़ेगा? और, शिवसेना में हुई इस बगावत को लेकर उद्धव ठाकरे और भाजपा की क्या तैयारी है?
एकनाथ शिंदे के साथ बागी हुए विधायकों का डर शिवसेना में महसूस किया जा सकता है.
आखिर महाराष्ट्र में हुआ क्या है?
20 जून को आए महाराष्ट्र विधान परिषद (MLC) के चुनाव नतीजों में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार को झटका लगा था. विधान परिषद चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग के चलते भाजपा के पांचों उम्मीदवार जीत गए. जबकि, महाविकास आघाड़ी सरकार के छह उम्मीदवारो में से सिर्फ 5 को ही जीत मिली. 21 जून को खबर आई कि महाविकास आघाड़ी गठबंधन के दल शिवसेना में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह हो गया है. उद्धव सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ 25 से ज्यादा विधायक बताए जा रहे हैं. जिनमें तीन अन्य मंत्री भी शामिल हैं. लेकिन, इसकी शुरुआत 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव से हुई थी. जिसमें भाजपा के पक्ष 123 वोट आए थे. जबकि, निर्दलीय विधायकों के साथ भाजपा की विधायक संख्या 113 है. वहीं, एमएलसी चुनाव में भाजपा को 134 वोट मिले थे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सत्ता पक्ष के 21 विधायक भाजपा के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं.
शिवसेना का आंतरिक मामला क्यों बता रहे हैं शरद पवार?
महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी गठबंधन में अलग-अलग विचारधाराओं की शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच एनसीपी चीफ शरद पवार 'फेवीकोल' की भूमिका में हैं. वैसे तो महाविकास आघाड़ी गठबंधन हर मामले में एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ हल्ला बोलती रहा है. लेकिन, एनसीपी नेता नवाब मलिक और अनिल देशमुख के मामले पर उद्धव ठाकरे और शिवसेना से एनसीपी को काफी उम्मीदें थी. लेकिन, अपनी इमेज को बचाए रखने के लिए शिवसेना ने इन मामलों पर ज्यादा बयानबाजी से परहेज किया. कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र के सियासी संकट को इसी वजह से शरद पवार ने महाविकास आघाड़ी सरकार का नहीं, बल्कि शिवसेना का आंतरिक मामला बताया है. हालांकि, एनसीपी चीफ शरद पवार ने भरोसा जताया है कि उद्धव ठाकरे इस मामले को हैंडल कर कोई ना कोई विकल्प निकल लेंगे.
पिछले दो-ढ़ाई साल में यह तिसरी बार हुआ है। पिछली दो बार विधायक उठाने का काम हुआ। पिछली बार हमारे विधायकों को हरियाणा, गुड़गांव मे रखा गया था। वहाँ से वो निकलकर आये, उसके बाद उद्धव ठाकरे जी का सरकार बना।#NewDelhi #PressConference pic.twitter.com/8DGbllpBIS
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) June 21, 2022
'वेट एंड वॉच' की मुद्रा में क्यों है भाजपा?
एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार के साथ एक बार सरकार बनाकर धोखा खा चुकी भाजपा इस बार किसी भी तरह की हड़बड़ी में नहीं है. यही वजह है कि भाजपा ने एकनाथ शिंदे की बगावत से खुद को पूरी तरह अलग रखा है. और, 'वेट एंड वॉच' की मुद्रा में नजर आ रही है. महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने शिवसेना की इस बगावत पर कहा है कि 'अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा. हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं. न एकनाथ शिंदे की ओर से हमें कोई प्रस्ताव मिला है. और, न भाजपा ने उन्हें सरकार बनाने के लिए कोई प्रस्ताव दिया है. हमारी जानकारी के हिसाब से एकनाथ शिंदे के साथ 35 विधायक हैं. जिसका मतलब है कि तकनीकी तौर पर महाविकास आघाड़ी सरकार अल्पमत में हैं. लेकिन, सरकार को अल्पमत में रहने के लिए थोड़ा समय चाहिए होगा. तो, फिलहाल अविश्वास प्रस्ताव के लिए विधानसभा का सत्र बुलाने की जरूरत नहीं है.'
BJP got support from independents & small political parties for Rajya Sabha & MLC elections. As per our info, Eknath Shinde & 35 MLAs have gone. This means technically state govt is in minority but practically it will take some time for the govt to be in minority:Maha BJP chief pic.twitter.com/glGPw6oNyI
— ANI (@ANI) June 21, 2022
शिवसेना कैसे रोकेगी बगावत?
शिवसेना प्रमुख और महाविकास आघाड़ी सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे की बगावत को रोकने की कोशिश की है. लेकिन, खबर है कि एकनाथ शिंदे फोन ही नहीं उठा रहे हैं. जिसके बाद शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया है. जिसके बाद एकनाथ शिंदे ने ट्वीट कर एक बार फिर अपने बगावती तेवर दिखाए हैं. एकनाथ शिंदे ने ट्वीट किया है कि 'हम बालासाहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं. बालासाहेब ने हमें हिंदुत्व सिखाया है. हम सत्ता के लिए बालासाहेब के विचारों और धर्मवीर आनंद की सीख को कभी भी धोखा नहीं देंगे.' शिंदे के इस ट्वीट को शिवसेना की सॉफ्ट हिंदुत्व पॉलिसी पर करारा प्रहार माना जा रहा है. वैसे, इतना तो तय है कि नारायण राणे और छगन भुजबल की तरह ही एकनाथ शिंदे की इस बगावत के खिलाफ भी शिवसेना कड़ी कार्रवाई करेगी.
आम्ही बाळासाहेबांचे कट्टर शिवसैनिक आहोत... बाळासाहेबांनी आम्हाला हिंदुत्वाची शिकवण दिली आहे.. बाळासाहेबांचे विचार आणि धर्मवीर आनंद दिघे साहेबांची शिकवण यांच्याबाबत आम्ही सत्तेसाठी कधीही प्रतारणा केली नाही आणि करणार नाही
— Eknath Shinde - एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) June 21, 2022
अगर ऐसा होता है, तो शिंदे के लिए शिवसेना के दरवाजे बंद हो जाएंगे. इसका इशारा शिवसेना नेता संजय राउत ने कर दिया है. इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कहा है कि एकनाथ शिंदे का मंत्री पद जा सकता है. इसके साथ ही बगावत करने वाले अन्य मंत्रियों पर भी कार्रवाई होगी. संजय राउत ने भाजपा पर सरकार गिराने की कोशिश के लिए 'ऑपरेशन लोटस' चलाने का आरोप लगाया है. संजय राउत ने दावा किया है कि एकनाथ शिंदे से उनकी बात हुई है. और, इस पूरे घटनाक्रम के पीछे भाजपा का हाथ है. ईडी की कार्रवाई के डर से एकनाथ शिंदे ने बगावत की है.
महाराष्ट्र में किस करवट बैठेगा सियासी ऊंट?
अगर महाराष्ट्र भाजपा के चीफ चंद्रकांत पाटिल के दावे पर भरोसा करें, तो महाविकास आघाड़ी सरकार अल्पमत में है. लेकिन, एकनाथ शिंदे के साथ विधायकों की संख्या 26 है. अगर ये विधायक बागी भी होते हैं. तो, महाविकास आघाड़ी सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. क्योंकि, उसके पास पर्याप्त संख्याबल है. और, इसी के साथ इन विधायकों के दल-बदल कानून में भी फंसने की आशंका रहेगी. वहीं, अगर यह संख्या 30 से ज्यादा रहती है, तो कहा जा सकता है कि उद्धव सरकार पर तलवार लटक रही है.
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