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Updated: 27 दिसम्बर, 2019 02:37 PM
आर.के.सिन्हा
आर.के.सिन्हा
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मलेशिया (Malaysia) के 94 साल के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद (Mahathir Mohamad) एक के बाद एक भारत के खिलाफ बयानबाजी करके अब तो यही साबित कर रहे हैं कि वे अब सामान्य मानसिक स्थिति में काम नहीं कर रहे हैं. जाकिर नाइक (Zakir Naik) को भारत भेजने में आनाकानी करने से लेकर जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) से धारा 370 (Article 370) हटाने और अब नागरिकता संशोधन क़ानून पर वे भारत के खिलाफ अनावश्यक और अनाधिकृत गलत बयानबाजी कर रहे हैं. मलेशिया भारत का न तो कोई नजदीकी पड़ोसी मुल्क ही है और न ही भारत से उसका कोई उलझने वाला मसला है, फिर भी वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. महातिर मोहम्मद ने नागरिकता संशोधन क़ानून की ज़रूरत पर सवाल उठाते हुए कहा कि 'जब भारत में सब लोग 70 साल से साथ रहते आए हैं, तो इस क़ानून की आवश्यकता ही क्या थी.' उन्होंने यहां तक कहा कि 'लोग इस क़ानून के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं.'

Mahathir Mohamad remark on CAAमलेशिया के पीएम महातिर मोहम्मद ने नागरिकता संशोधन कानून पर सवाल उठाया है, जिस पर भारत ने नाराजगी जताई है.

अब उनसे कोई भला यह तो पूछे कि 'क्या आपको इस कानून का क, ख, ग भी मालूम है?' उन्हें न मालूम है न वे अपने देश में पदस्थापित भारतीय राजदूत को बुलाकर इस विषय में कुछ जानने की कोशिश ही कर रहे हैं. पर उनकी जुबान पर कौन लगाम लगा सकता है. क्या उन्हें पता है कि भारत किस तरह से घुसपैठ के मसले से जूझ रहा है? लेकिन बिना जाने समझे एक बार फिर मलेशिया के महातिर ने भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी की है. उन्हें इसकी इजाजत किसने दी है? महातिर मोहम्मद कह रहे हैं, 'मैं ये देखकर दुखी हूँ कि जो भारत अपने को सेक्युलर देश होने का दावा करता है, वो कुछ मुसलमानों (Muslim) की नागरिकता छीनने के लिए क़दम उठा रहा है. अगर हम अपने देश में ऐसा करें, तो मुझे पता नहीं है कि क्या होगा. हर तरफ़ अफ़रा-तफ़री और अस्थिरता होगी और हर कोई प्रभावित होगा.' महातिर जी, क्या आपको पता है कि नागरिकता संशोधन कानून से किसी की नागरिकता छीनी नहीं जाएगी? वे कह रहे कि अगर उनके देश ने इस तरह का कानून पारित किया तो क्या होगा. उनके इस बयान को समझने की जरूरत है. वे एक तरह से अपने देश के लगभग 30 लाख भारतवंशियों को चेतावनी भी दे रहे हैं. उन्हें उक्त बयान देने के लिए सरेआम माफी मांगनी चाहिए. सारी दुनिया को पता है कि उनके देश में बसे हुए भारतवंशी दोयम दर्जे के नागरिक ही समझे जाते हैं. उनके मंदिरों को लगातार तोड़ा जाता रहा है. तब तो महातिर साहब बेशर्मी से चुप्पी साधे रहते हैं.

आपको याद होगा कि महातिर मोहम्मद को तब भी बहुत तकलीफ हुई थी जब कश्मीर से धारा 370 ख़त्म कर दी गई थी. तब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में कहा था कि भारत ने कश्मीर पर क़ब्ज़ा कर रखा है. भारत अपने किसी भाग को लेकर कोई अहम फैसला लेता है तो परेशान महातिर मोहम्मद हो जाते हैं. वे आजकल आंखें मूंदकर पाकिस्तान के साथ खड़े दिखाई देते हैं. वे इमरान खान के नए करीबी मित्र के रूप में उभरे हैं. पर पाकिस्तान में शिया मुसलमानों से लेकर अहमदिया और कादियां समाज के साथ हिन्दू, सिख और ईसाइयों का उत्पीड़न होता है, तब तो उनकी जुबान सिल जाती है. तब वे क्यों चुप हो जाते हैं?

महातिर की इन्हीं हरकतों के कारण दोनों देशों के व्यापारिक संबंध प्रभावित होने लगे हैं. भारत में खाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेलों में पाम तेल का हिस्सा दो तिहाई है. भारत हर साल 90 लाख टन पाम तेल आयात करता है और यह मुख्य रूप से मलेशिया से होता है. भारत सरकार भी चाहे तो मलेशिया से आयात होने वाले पाम ऑयल समेत अन्य चीजों पर रोक लगा सकती है. अगर यह हुआ तो तीन करोड़ की आबादी वाले मलेशिया की इकोनोमी तो बैठ ही जाएगी. भारत ने प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए मलेशिया सरकार को सख्त संदेश भी भेज दिए हैं. दरअसल महातिर बोलने से पहले जमीनी हकीकत से कभी वाकिफ नहीं होते. वे तो बस बोलते ही जाते हैं.

महातिर मोहम्मद एक वयोवद्ध नेता हैं और उन्हें तोल-मोल कर ही बोलना चाहिए. उन्हें इस बात का किसने और कब अधिकार दे दिया कि वे हमारे आतंरिक मामलों में दखल करें. मलेशिया में भारतवंशियों की स्थिति से सारा संसार वाकिफ है. उनके मंदिरों को बिना वजह आए दिन तोड़ा जाना सामान्य बात है. क्या इस सच्चाई से महातिर इंकार कर सकते हैं? पर मजाल है कि वे कभी अपने देश में बसे हिन्दुओं और बाकी भारतीयों के हक में बोलें. मलेशिया के निर्माण में भारतीयों का योगदान शानदार रहा है. यदि भारतीय मजदूरों का जाना वहां बंद हो जाए तो सारा विकास कार्य ही ठप हो जाए. पर उन्हें बदले में सरकार से कोई पारितोषिक नहीं मिलता. हर साल प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में बड़ी तादाद में मलेशिया से भारतवंशियों की टोली आती है. ये सब सुनाते हैं अपनी व्यथा कि किस तरह से वहां पर इन्हें मूलभूत अधिकारों से भी खुलेआम वंचित किया जाता है. कुछ तो अपनी दर्दभरी दास्तां सुनाते हुए रो भी पड़ते हैं. इनमें से अधिकतर के पुरखे तमिलनाडु से संबंध रखते हैं. इन्हें करीब 150 साल पहले ब्रिटिश सरकार मलेशिया में मजदूरी के लिए लेकर गई थी. ये अब भी दिल से भारत को बेहद प्रेम करते हैं.

अब भारत सरकार को इन प्रवासी भारतवंशियों की हर स्तर पर मदद करनी चाहिए. ये मानवता का भी तकाजा है और इस लिए भी कि ये भारतवंशी हैं. वैसे भी मोदी सरकार दुनियाभऱ के भारतवंशियों के हक में खड़ी होती ही रहती है. महातिर आजकल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के संरक्षक के रूप में उभरे हैं. जब लगभग सभी इस्लामिक देश पाकिस्तान से किनारा कर रहे हैं तो मलेशिया उसके साथ खड़ा है. भारत को तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यह दोनों देशों का मसला है. उनके आपसी संबंध ठीक रहें या ख़राब, यह भारत की दिलचस्पी का विषय नहीं हो सकता. पर इनकी दोस्ती तब भारत के लिए चुनौती होगी, जब ये मिथ्या प्रचार करें. अच्छी बात यह है कि महातिर के भारत विरोधी तेवर और बयानबाजी को दुनिया सिरे से नजरअंदाज ही करती है. पर अब भारत सरकार को मलेशिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के संबंध में विलंब नहीं करना चाहिए. भारत का शासन किसी देश तो अपने आतंरिक मसलों पर नकारात्मक और भड़काऊ टिप्पणी करने के अधिकार तो नहीं दे सकता, न देना चाहिए.

(लेखक राज्य सभा सदस्य हैं.)

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लेखक

आर.के.सिन्हा आर.के.सिन्हा @rksinha.official

लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं.

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