मदर टेरेसा के NGO के अकाउंट फ्रीज होने की क्या सच्चाई है...
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने ट्वीट कर दावा किया कि केंद्रीय मंत्रालय ने मदर टेरेसा (Mother Teresa) के मिशनरीज ऑफ चैरिटी (Missionaries of Charity) एनजीओ द्वारा संचालित बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है. वहीं, मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी संगठन द्वारा कहा गया है कि 'सब कुछ ठीक है.'
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ती हैं. ममता बनर्जी इन दिनों खुद को विपक्ष का चेहरा बनाने की कोशिशों में जुटी हुई हैं, तो उनकी ओर से इस तरह के प्रयास वाजिब भी नजर आते हैं. भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ममता बनर्जी का गुस्सा कई बार अजीबोगरीब दावों के साथ सामने आता ही रहता है. इस बार भी ऐसा ही कुछ हुआ. दरअसल, ममता बनर्जी ने ट्वीट कर दावा किया कि केंद्रीय मंत्रालय ने मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी (Missionaries of Charity) एनजीओ द्वारा संचालित बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है. वहीं, मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी संगठन द्वारा कहा गया है कि 'सब कुछ ठीक है.' इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर मदर टेरेसा के NGO के अकाउंट फ्रीज होने की क्या सच्चाई है...
ममता बनर्जी के दावों में कितनी सच्चाई है?
ममता बनर्जी ने क्या कहा?
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट कर सनसनी फैला दी. ममता बनर्जी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'यह सुनकर हैरान हूं कि क्रिसमस पर केंद्रीय मंत्रालय ने भारत में मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बैंक खातों को सील कर दिया है. उनके 22 हजार मरीजों और कर्मचारियों को भोजन और दवाओं के बिना छोड़ दिया गया. भले ही कानून सर्वोपरि है, लेकिन मानवीय प्रयासों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए.'
Shocked to hear that on Christmas, Union Ministry FROZE ALL BANK ACCOUNTS of Mother Teresa’s Missionaries of Charity in India!Their 22,000 patients & employees have been left without food & medicines.While the law is paramount, humanitarian efforts must not be compromised.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 27, 2021
क्रिसमस का त्योहार ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए साल का सबसे बड़ा पर्व होता है. अगर इस त्योहार के दिन ही ईसाई धर्म से जुड़े किसी एनजीओ या ट्रस्ट पर ऐसी कार्रवाई हो, तो उसका सुर्खियों में आना लाजिमी है. इस स्थिति में मदर टेरेसा के एनजीओ के खातों को सीज करने की बात कहकर ममता बनर्जी ने इस खबर के सहारे भरपूर सुर्खियां बटोरीं.
मदर टेरेसा की एनजीओ ने क्या कहा?
इस मामले पर विवाद बढ़ने के बाद मदर टेरेसा के एनजीओ मिशनरीज ऑफ चैरिटी संगठन की प्रवक्ता सुनीता कुमार की ओर से कहा है कि 'उनके पास ऐसी किसी भी कार्रवाई की जानकारी नहीं है और सब कुछ ठीक है.' सुनीता का कहना है कि 'हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. मैं इसके बारे में पूरी तरह से अनभिज्ञ हूं. भारत सरकार ने हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं दी है. बैंक ट्रांजेक्शन सही तरीके से काम कर रहे हैं.' अब यहां सवाल उठता है कि ममता बनर्जी एनजीओ के खाते सील होने और मिशनरीज ऑफ चैरिटी संगठन सब कुछ ठीक होने की बात कर रहा है. तो, ममता बनर्जी के इस आरोप की सच्चाई क्या है?
ममता बनर्जी के आरोपों की सच्चाई क्या है?
ममता बनर्जी के आरोपों के बाद गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर अपनी भूमिका साफ की है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि उसने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बैंक खातों को फ्रीज नहीं किया है, लेकिन एनजीओ के एफसीआरए रजिस्ट्रेशन के रिन्यूवल से इनकार कर दिया है. गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एफसीआरए रजिस्ट्रेशन के रिन्यूवल को अस्वीकार किया गया है. क्योंकि, एनजीओ की ओर से एफसीआरए यानी विदेशी अंशदान विनियमन एक्ट 2010 और एफसीआरआर यानी विदेशी अंशदान विनियमन नियम 2011 के तहत दिया गया आवेदन को पात्रता की शर्तों को पूरा नहीं करता है. जिसके चलते 25 दिसंबर, 2021 को रिन्यूवल को अस्वीकार कर दिया गया था. रिन्यूवल को लेकर किए गए इनकार के बाद मिशनरीज ऑफ चैरिटी की ओर से कोई अनुरोधया समीक्षा आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है.' गृह मंत्रालय ने कहा है कि 'एनजीओ मिशनरीज ऑफ चैरिटी का रजिस्ट्रेशन 31 दिसंबर 2021 तक वैध है. गृह मंत्रालय ने किसी भी खाते को सीज नहीं किया है.'
विदेशी अंशदान विनियमन एक्ट 2020 क्या है?
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से पेश किए गए विदेशी अंशदान विनियमन एक्ट 2020 को संसद से पारित किया गया था. इस एक्ट में अब गैर-सरकारी संस्थाओं यानी एनजीओ को अपने प्रशासनिक कार्यों पर विदेश से मिले फंड से केवल 20 फीसदी ही खर्च करने की अनुमति है. जबकि, पहले यह 50 फीसदी हुआ करता था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो विदेशों से आना वाले दान का आधा हिस्सा एनजीओ की देखरेख और रखरखाव के नाम पर खर्च करने की छूट थी. लेकिन, विदेशी अंशदान विनियमन एक्ट 2020 के पास होने के बाद अब एनजीओ को विदेशी दान का अधिकांश हिस्से को मानवसेवा में ही खर्च करने का प्रावधान कर दिया गया है. पहले बड़े एनजीओ को मिलने वाला विदेशी दान छोटे या अन्य एनजीओ के साथ भी शेयर किया जा सकता था. लेकिन, अब ऐसा नहीं हो सकता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो नरेंद्र मोदी सरकार ने विदेशों से आने वाले दान को नियंत्रित कर दिया है. ताकि, देशविरोधी गतिविधियों में विदेशी दान का इस्तेमाल न हो.
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