Coronavirus महामारी से जंग के बीच ममता बनर्जी की चुनावी तैयारी!
जब भी ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) लड़ाई छेड़ती हैं, सड़कों पर उतर कर लोगों के बीच चली जाती हैं. बात वो कोरोना और लॉकडाउन (Coronavirus and Lockdown) की भी कर रही हैं - और गवर्नर जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के साथ दो-दो हाथ भी आजमा रही हैं.
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ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi and Amit Shah) के बीच तनातनी थमना तो दूर, तेज ही होती जा रही है. एक तरफ ममता बनर्जी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पश्चिम बंगाल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, तो दूसरी तरफ वो लोगों का समर्थन हासिल रखने के लिए उनके बीच भी जा रही हैं - ये ममता बनर्जी का अपना तरीका है और जब भी कुछ ऐसा वैसा होता है वो सड़क पर उतर ही जाती हैं. सिर्फ चुनाव ही नहीं CAA-NRC के विरोध में भी ममता बनर्जी को कोलकाता की सड़कों पर लंबी पदयात्रा करते देखा गया था.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर सड़क पर नजर आ रही हैं और वो लोगों से लगातार संवाद कर रही हैं. लोगों से बातचीत में ममता बनर्जी लॉकडाउन का पालन करने और कोरोना से जंग में धैर्य बनाये रखने की अपील कर रही हैं - और बार बार समझा रही हैं कि वे बेफिक्र होकर घरों में रहें क्योंकि तृणमूल कांग्रेस सरकार को उनकी पूरी फिक्र है. खुद सड़क पर उतर कर ममता बनर्जी लोगों को अपने प्रति बरसों से बने भरोसे को एक तरीके से रीन्युअल करा रही हैं.
दरअसल, कोरोना और लॉकडाउन (Coronavirus and Lockdown) के नाम पर ये लड़ाई भी पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के खिलाफ लड़ी जा रही है - और लोगों को सरकार पर भरोसे की याद दिलाकर लड़ाई में उनका साथ मांगा जा रहा है - और सीधे हमले के लिए तो महामहिम हैं ही - राज्यपाल जगदीप धनखड़ ((Jagdeep Dhankhar).
महामहिम, मुख्यमंत्री में फर्क समझिये
ममता बनर्जी खुद भी मानती हैं कि लॉकडाउन का सख्ती को सख्ती से लागू नहीं किया गया तो कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा हो सकता है. 11 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों की बैठक में भी ममता बनर्जी ने लॉकडाउन बढ़ाये जाने का पुरजोर समर्थन किया था - और प्रधानमंत्री के 3 मई तक मियाद बढ़ाने की घोषणा से पहले ही कई फैसले भी ले लिये थे. ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क पत्र लिख कर 25 हजार करोड़ रुपये की मदद बी मांगी थी.
ममता बनर्जी सबसे ज्यादा चिढ़ हुई जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन और केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के ठीक से पालन न किये जाने को लेकर नोटिस भेजा और फिर हालात का जायजा लेने के लिए केंद्रीय टीम भेजे जाने की घोषणा. ममता बनर्जी ने केंद्रीय टीम भेजे जाने के फैसले को अनपेक्षित और एकतरफा बताते हुए प्रधानमंत्री को अलग से पत्र भी लिखा था - लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और टीम पहुंच भी गयी.
IMCT ने कोलकाता और सिलिगुड़ी के अस्पतालों और क्वारंटीन केंद्रों का दौरा तो कर लिया है, लेकिन राज्य सरकार ने नये सवाल खड़े किये हैं. टेस्ट प्रोटोकॉल का जायजा लेने पहुंची टीम को सरकार ने लॉजिस्टिक सपोर्ट तो मुहैया कराया ही, पुलिस भी साथ साथ मौजूद रही.
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने आश्चर्य जताते हुए सवाल उठाया है - 'IMCT टीम ने महाराष्ट्र में मुंबई और पुणे का चयन किया. राजस्थान में सिर्फ जयपुर को चुना गया. ये राज्य कोरोना से कहीं ज्यादा प्रभावित हैं. देश भर में कोरोना वायरस प्रभावित राज्यों में पश्चिम बंगाल 12वें - 13वें नंबर पर है - ऐसे में टीम ने सूबे में आठ जगहों को चुना!' सिन्हा ने टीम के इलाका चयन पर हैरानी जतायी है और कहा है कि नॉर्थ बंगाल में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां एक भी केस रिपोर्ट नहीं हुआ है.
निर्वाचित बनाम मनोनीत प्रतिनिधियों की लड़ाई!
केंद्रीय टीम ने पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेट्री को पत्र लिख कर कहा है कि कई मरीजों के कोरोना टेस्ट के नतीजे आने में 5 दिन लग जाते हैं, इसलिए टेस्ट की संख्या बढ़ा कर 2500-5000 रोजाना किया जाये. साथ ही, टीम ने चीफ सेक्रटरी से राज्य में कोरोना से हुई मौतों की पुष्टि करने का तरीका बताने को भी कहा है.
Inter-Ministerial Central Team (IMCT) writes to the West Bengal Chief Secretary to explain methodology used by ‘Committee of Doctors’ in West Bengal to ascertain death due to #COVID19 and also if it is in line with ICMR guidelines. pic.twitter.com/JFdsJN6t0W
— ANI (@ANI) April 24, 2020
दरअसल, पश्चिम बंगाल में काम कर रहे डॉक्टरों की शिकायत रही है कि वे न तो मरीज के परिवार वालों को और न ही सार्वजनिक तौर पर मौत का कारण बता पा रहे हैं. डॉक्टरों ने इसे मेडिकल एथिक्स के खिलाफ काम करना बताया था.
केंद्रीय टीम पर जहां सरकार के सबसे बड़े अफसर सवाल उठा रहे हैं वहीं, ममता बनर्जी खुद पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ से दो-दो हाथ कर रही हैं. 23 अप्रैल की शाम, ममता बनर्जी ने राज्यपाल को 7 पेज का एक पत्र भेजा, जिसे फौरी तौर पर राज्यपाल ने संवैधानिक रूप से कमजोर और तथ्यों की गलती से भरपूर बताया था. बाद में राज्यपाल ने ट्वीट कर बताया कि मुख्यमंत्री के पत्र का जवाब भेज दिया गया है.
राज्यपाल को भेजे पत्र में ममता बनर्जी ने याद दिलाने की कोशिश की है कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल में कैसा फर्क होता है. लिखा है, 'मैं निर्वाचित जनप्रतिनिधि हूं और आप मनोनीत हैं.' ममता बनर्जी ने लिखा है कि 'आप जिस राज्य के राज्यपाल हैं वहीं की सरकार, उसके मंत्रियों और अधिकारियों पर लगातार हमले कर रहे हैं जो असंवैधानिक है. आपको आत्ममंथन करना चाहिए.'
तेरा साथ है तो...
सबको मालूम है कि सड़कों पर इतना सन्नाटा क्यों है? सभी घरों में रहते हुए लॉकडाउन 2.0 खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं - और तभी सन्नाटे को चीरती हुई लाउडस्पीकर से एक आवाज गूंजती है, जो 500 मीटर दूर तक घरों में बैठे लोगों के कानों तक पहुंचती है. आवाज न सिर्फ जानी पहचानी है बल्कि खासी लोकप्रिय भी है. और अपनी भाषा बंगाली में है.
"आमी ममता बनर्जी "- कोलकाता के मौलाली इलाके में सड़क पर एक एसयूवी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठी हुई हैं.
मास्क लगाये ममता बनर्जी के हाथ में माइक भी है. इंडियन एक्सप्रेस ने पूरे वाकये का एक एक डीटेल प्रकाशित किया है. बांग्ला में बोले गये एक एक शब्द. ममता बनर्जी सड़क पर उतर चुकी हैं - और यही ममता बनर्जी का बेस्ट हथियार है. सच तो ये है कि ममता बनर्जी को यही ठीक ले आता भी है और इसी ने ममता बनर्जी को ममता बनर्जी बनाया भी है. ममता को पक्की उम्मीद होगी - ये सड़क ममता को ताउम्र ममता बनाये रखेगी!
गाड़ी में बैठे बैठे अंदर से ही ममता बनर्जी कहती हैं - मैं आपके पास, आप लोगों से मिलने आयी हूं - लेकिन में गाड़ी से नीचे नहीं उतर सकती और इसके लिए मुझे माफ करें. फिर ताकीद करती हैं - आप सभी घर के अंदर ही रहें और स्वस्थ रहें.
ममता बनर्जी धीरे धीरे एक एक बात बांग्ला में समझाती हैं - लॉकडान चल रहा है. आपकी दुकानें बंद हैं. आपके पास कोई काम नहीं है, लेकिन आप सभी हमारे साथ सहयोग कर रहे हैं. कुछ दिन और ये तकलीफ सह लीजिये. जब तक कि हम कोरोना को मात नहीं दे देते.
ममता बनर्जी अपील करते हुए आगे कहती हैं - ये सब केवल आपके सहयोग से संभव हो सकेगा.
और वो बात जो सबसे जरूरी है. यही वजह है कि ममता बनर्जी का सबसे ज्यादा जोर उसी बात पर नजर आती है - 'सरकार आपके साथ है.'
साथ में, जाहिर है, अपेक्षा ये तो होगी ही - बस आपका साथ बना रहे, फिर तो मुश्किल हो या नामुमकिन है - सब मुमकिन है.
जगह जगह पहुंच कर गाड़ी में बैठे बैठे ममता बनर्जी का ये जागरुकता अभियान 21 अप्रैल को शुरू हुआ है. अमित शाह की इंटर मिनिस्ट्रियल सेंट्रल टीम (IMCT) के पहुंचने से ठीक दो दिन पहले से.
कोलकाता की सड़कों पर चलते चलते ममता बनर्जी की गाड़ी ऐसे ही जगह जगह रुकती है और संवाद का ये पूरी सिलसिला खत्म होने के बाद अगले पड़ाव की तरह बढ़ जाती हैं. इस दौरान ममता बनर्जी सोशल डिस्टैंसिंग की अहमियत भी समझाती हैं और लॉकडाउन लागू करने की अपील भी करती हैं.
तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओब्रायन ने संपूर्ण लॉकडाउन लागू किये जाने के अगले ही दिन ममता बनर्जी का एक वीडियो शेयर किया था. वीडियो में ममता बनर्जी को चाक से सड़क पर गोले बनाते देखा जा सकता है. ममता बनर्जी आर्टिस्ट भी हैं और गोले खींचते वक्त उनकी ये खूबी भी साफ साफ नजर आ रही है.
No words... pic.twitter.com/zqejgnntvk
— Citizen Derek | নাগরিক ডেরেক (@derekobrienmp) March 26, 2020
कोरोना से जंग में ममता बनर्जी ने ट्वीट कर बताया था कि वो प्रधानमंत्री राहत कोष और पश्चिम बंगाल इमरजेंसी फंड में 5-5 लाख रुपये डोनेट कर रही हैं. साथ ही, ममता बनर्जी ने ये भी बताया कि न तो वो विधायक की सैलरी लेती हैं, न मुख्यमंत्री और न ही 7 बार MP रहने के बावजूद सांसदों को मिलने वाली पेंशन.
Out of my limited resources, I am contributing Rs. 5 lakhs to the Prime Minister’s National Relief Fund & another Rs. 5 lakhs to the West Bengal State Emergency Relief Fund in an attempt to support our country's efforts in fighting the COVID-19. (2/2)
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) March 31, 2020
कोई भी लड़ाई लोगों के बूते ही लड़ी जाती है, लेकिन जब लगे कि लोगों का मन बदल रहा है तो ज्यादा सतर्कता जरूरी होती है. ममता बनर्जी लोगों के बीच तो जा ही रही हैं, पश्चिम बंगाल के सभी निजी अस्पतालों को कोविड-19 के मरीजों का मुफ्त इलाज करने का सरकारी निर्देश भी दिया गया है. तृणमूल सरकार ने निजी अस्पतालों से कहा है कि वे कोरोना से संक्रमित लोगों का निश्चिंत होकर इलाज करें - क्योंकि पूरा खर्च पश्चिम बंगाल सरकार वहन करेगी.
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