घायल दीदी की बात पर भारी पड़ गए चश्मदीद!
इस तमाम घटनाक्रम में सबसे अहम भूमिका है, चश्मदीद गवाहों की. ममता बनर्जी कोलकाता के अस्पताल में 'नाजुक' स्थिति मे हैं. वहीं, घटना के कुछ चश्मदीदों ने इस कथित हमले के बारे में मुख्यमंत्री के दावों को गलत बता दिया है.
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सहानुभूति मनुष्यता का एक अहम गुण है और राजनीति में यही सहानुभूति बहुत काम का सियासी हथियार है. सहानुभूति के सहारे बड़ी से बड़ी सत्ता विरोधी लहर को भी चुटकियों में शांत किया जा सकता है. राजनीति में सहानुभूति के जरिये वो सब कुछ किया जा सकता है, जिसकी केवल कल्पना मात्र की जा सकती है. भारतीय राजनीति का इतिहास देखेंगे, तो ऐसे कई उदाहरण आपको मिल जाएंगे. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में बना माहौल हो या तमिलनाडु में 'अम्मा' जयललिता का लगातार दूसरी बार सत्ता में आना हो. ये सब कुछ सहानुभूति की वजह से ही संभव हो पाया है.
पश्चिम बंगाल में इन दिनों सियासी रण अपने चरम पर है. बीती शाम इसने एक नया मोड़ ले लिया. दरअसल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल कर वहां एक रोड शो किया. इसी दौरान तृणमूल कांग्रेस मुखिया को कथित रूप से 4-5 लोगों ने धक्का दे दिया. आरोप है कि जबरन कार का दरवाजा बंद करने की वजह से ममता बनर्जी के पैर में चोट आई है. ममता ने इसे भाजपा की साजिश बताया और भतीजे अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट कर कहा कि दो मई को बंगाल के लोगों की ताकत देखने के लिए भाजपा तैयार हो जाए. इस घटना के बाद राज्य में ममता बनर्जी के पक्ष में माहौल बनता दिख रहा है. ममता ने दर्द के सहारे सहानुभूति बटोरनी की पूरी कोशिश की है. भाजपा के लिए यह एक बड़ा सियासी सिरदर्द साबित हो सकता है. हालांकि, भाजपा और अन्य विपक्षी दल इसे राजनीतिक 'नौटंकी' बताने में जुट गए हैं.
.@BJP4Bengal Brace yourselves to see the power of people of BENGAL on Sunday, May 2nd.Get READY!!! pic.twitter.com/dg6bw1TxiU
— Abhishek Banerjee (@abhishekaitc) March 10, 2021
राजनीति में सहानुभूति एक 'दोधारी तलवार' है. यह जितना फायदा पहुंचाती है, उससे कहीं ज्यादा नुकसान भी कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डॉक्टरों ने एक्स-रे और ईसीजी जांच के बाद बताया है कि ममता के पैर की हड्डी नहीं टूटी है, लेकिन उनके पैर में सॉफ्ट टीश्यू डैमेज है. हादसे की वजह से ममता बनर्जी डर गई हैं. इसी वजह से उन्हें गहन निगरानी में रखा गया है. डॉक्टरों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए टेम्परेरी प्लास्टर किया है. सीने में दर्द की शिकायत पर की गई, ईसीजी की रिपोर्ट नॉर्मल आई है. फिलहाल वह 48 घंटे डॉक्टरों की निगरानी में रहेंगी. ममता बनर्जी के लिए ये 48 घंटे हर स्थिति में 'नाजुक' लग रहे हैं. घटना के तुरंत बाद ही चुनाव आयोग ने मामले का संज्ञान लेकर 24 घंटे के अंदर हमले की रिपोर्ट मांगी है. कथित हमले की जांच करने के लिए अधिकारी मौके पर हैं.
चश्मदीदों के बयान दीदी से जुदा
इस तमाम घटनाक्रम में सबसे अहम भूमिका है, चश्मदीद गवाहों की. ममता बनर्जी कोलकाता के अस्पताल में 'नाजुक' स्थिति मे हैं. वहीं, घटना के कुछ चश्मदीदों ने इस कथित हमले के बारे में मुख्यमंत्री के दावों को गलत बता दिया है. बंगाल भाजपा ने एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें लोग कहते नजर आ रहे हैं कि एक पिलर की वजह से दरवाजा बंद हुआ. नंदीग्राम में मौके पर मौजूद एक चश्मदीद ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री कार के अंदर बैठ चुकी थीं, लेकिन दरवाजा खुला हुआ था. अचानक दरवाजा एक पिलर से टकराकर बंद हो गया. उनकी गाड़ी धीरे-धीरे चल रही थी.
Nandigram is angry with Mamata Banerjee. She is blaming them for an attack, which as several eye witness accounts suggest, was at best an accident. It seems her driver moved the car while she had her leg out of the door...Can Nandigram ever trust her to be fair to them? pic.twitter.com/tJEtzbxnvV
— BJP Bengal (@BJP4Bengal) March 11, 2021
भाजपा और कांग्रेस एक सुर में इसे सहानुभूति बटोरने के लिए किया गया पॉलिटिकल ड्रामा बता रहे हैं. फिलहाल हर किसी की सहानुभूति ममता बनर्जी के साथ है भी. ममता बनर्जी के साथ हुआ घटनाक्रम हादसा था या हमला, यह जल्द ही चुनाव आयोग की रिपोर्ट में पता चल जाएगा. माना जा सकता है कि इस रिपोर्ट का नतीजा पश्चिम बंगाल के चुनावी नतीजे भी तय कर सकता है. ममता ने सहानुभूति की 'दोधारी तलवार' का इस्तेमाल कर तो लिया है. लेकिन, इसके परिणाम दूरगामी हो सकते हैं.
पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा का इतिहास दशकों पुराना रहा है. चुनावी माहौल में आरोप-प्रत्यारोप के दौर और ज्यादा बढ़ गया है. बीती 27 फरवरी को राज्य के नार्थ 24 परगना जिले में कथित तौर पर टीएमसी कार्यकर्ताओं ने भाजपा नेता गोपाल मजूमदार और उनकी बूढ़ी मां की बुरी तरह से पिटाई की थी. इस मामले में FIR भी दर्ज की गई है. हालांकि, बंगाल की राजनीतिक परंपरा के अनुसार टीएमसी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था. लेकिन, भाजपा ने इस मामले को भुनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी.
Just saw this poster in Kolkata pic.twitter.com/aeXPbVDqqE
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) March 1, 2021
भाजपा ने कई जगहों पर कार्यकर्ता की मां की तस्वीरें लगवाई और सवाल किया कि क्या ये बंगाल की 'बेटी' नही हैं? दरअसल, उन दिनों ममता बनर्जी ने राज्य में बंगाल की बेटी का अभियान चला रखा था. जिसे काउंटर करने के लिए भाजपा ने यह रणनीति अपनाई. इसे भाजपा के 'चोट को वोट' में बदलने के प्रयास के तौर पर देखा जा सकता है. पहले भी भाजपा नेताओं पर कथित हमले होते रहे हैं और हर बार टीएमसी ने इससे अपना पल्ला झाड़ती नजर आती रही है. भाजपा भी सहानुभूति बटोरने का दांव कई बार खेल चुकी है.
वहीं, अब इस घटना के बाद भाजपा को सीधे ममता बनर्जी पर सवाल खड़े करने का मौका मिल गया है. भाजपा के बैरकपुर सांसद अर्जुन सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को MRI स्कैन करवाने के लिए राज्य के सबसे बड़े अस्पताल SSKM से एक किलोमीटर दूर जाना पड़ा. सबको पता था कि राज्य के करीब सारे अस्पताल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल हो गए हैं. पुलिस, स्वास्थ्य विभाग दोनों विफल साबित हुए हैं, दोनों विभाग दीदी के पास हैं.
माननीय मुख्यमंत्री @MamataOfficial को MRI स्कैन करवाने के लिए राज्य के सबसे बड़े अस्पताल SSKM से एक किलोमीटर दूर जाना पड़ा।सबको पता था कि राज्य के करीब सारे अस्पताल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल हो गए हैं। पुलिस, स्वास्थ्य विभाग दोनों विफल साबित हुए हैं, दोनों विभाग दीदी के पास हैं।
— Arjun Singh (@ArjunsinghWB) March 11, 2021
कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में तृणमूल और ममता बनर्जी का सियासी भविष्य अब चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर टिका हुआ है. ममता की चलाई सहानुभूति की ये दोधारी तलवार किस पर गिरेगी, जल्द ही तय हो जाएगा. लेकिन, इतना कहा जा सकता है कि ममता बनर्जी के लिए पश्चिम बंगाल की सियासी राह आसान नहीं दिख रही है. बीते दो कार्यकालों में वह जितनी सहज थीं, भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव में किए गए प्रदर्शन से उनकी वह सहजता छीन ली है.
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