New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 03 दिसम्बर, 2021 02:29 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
  • Total Shares

ज्यादा समय नहीं हुआ है, कुछ महीने पहले हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में कानून व्यवस्था के क्या हालात रहे थे, ये किसी से छिपा नही है. इतना ही नहीं, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या, मारपीट, पत्थरबाजी की घटनाओं के चलते सैकड़ों लोगों के पलायन की खबरों रोजाना सामने आ रही थीं. अभी भी गाहे-बगाहे पश्चिम बंगाल से राजनीतिक रंजिश में हत्या और मारपीट की घटनाएं सामने आ ही रही हैं. और, ये सब ठीक उसी तरह हो रहा है, जैसा आरोप स्वरा भास्कर ने ममता बनर्जी से मुंबई में आयोजित हुए सिविल सोसाइटी के इस इवेंट में हुई बातचीत में लगाया है. इस कार्यक्रम में स्वरा भास्कर ने आरोप लगाते हुए कहा था कि गैर जिम्मेदार लोगों की भीड़ से आम नागरिकों का सामना हो रहा है, जिसका इस्तेमाल सत्तारूढ़ सरकार द्वारा किया जा रहा है और पुलिस व राज्य इसे खुली छूट दे रहे हैं.

मुंबई में आयोजित हुए सिविल सोसाइटी के इस इवेंट में बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी को बताया कि देशद्रोह कानून और अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट यानी UAPA का इस्तेमाल 'प्रसाद' के तौर पर किया जा रहा है. स्वरा भास्कर ने ममता बनर्जी से दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा स्टैंड अप कॉमेडियनों और बॉलीवुड कलाकारों को बचाने की गुहार लगाई थी. इस इवेंट का वीडियो अब सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. दरअसल, यह हास्यास्पद ही कहा जाएगा कि एक्ट्रेस स्वरा भास्कर एक ऐसे राज्य पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मदद की गुहार लगा रही थीं, जिन पर अपने ही राज्य में राजनीतिक हत्याओं को संरक्षण देने का आरोप लगता रहा है. 

खैर, हास्यास्पद स्वरा भास्कर के आरोप नही हैं. बल्कि, दिलचस्प है तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी का जवाब. दरअसल, ममता बनर्जी ने इसके जवाब में कहा था कि 'यूएपीए का घोर दुरुपयोग हो रहा है. यूएपीए आम नागरिकों के लिए नहीं बल्कि बाहरी ताकतों से बचाव और आंतरिक सुरक्षा के लिए है.' ममता ने कहा कि 'हमारे राज्य में यूएपीए का इस्तेमाल नागरिकों के खिलाफ नहीं होता है. शायद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी राज्य के वामपंथी नेताओं शंकर दास, डॉ. रतुल बंदोपाध्याय और शर्मिष्ठा चौधरी के बारे में बताना भूल गई थीं. या हो सकता है कि उन्हें इनके बारे में याद नहीं रहा होगा. वैसे, ममता बनर्जी के कोपभाजन का शिकार होने वालों में से ये सिर्फ तीन ही नाम नही हैं, ममता बनर्जी का एक कार्टून शेयर करने के लिए प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा ने भी जेल की हवा खाई थी. आइए जानते हैं कि अंबिकेश महापात्रा, शंकर दास, डॉ. रतुल बंदोपाध्याय और शर्मिष्ठा चौधरी कौन हैं- जिन्हें ममता बनर्जी ने यूएपीए के तहत लंबे समय तक जेल में रखकर यातनाएं दी थीं.

Mamta Bannerjee used UAPAममता बनर्जी का एक कार्टून शेयर करने के लिए प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा ने भी जेल की हवा खाई थी.

अंबिकेश महापात्रा: अप्रैल, 2012 में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के कार्टून वाली एक ईमेल को और लोगों को भेजने के लिए जाधवपुर यूनिवर्सिटी के केमिस्ट्री प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने अंबिकेश महापात्रा के खिलाफ 96 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. साढ़े 9 सालों के बाद अभी भी अंबिकेश महापात्रा के खिलाफ मुकदमा चल रहा है और ममता बनर्जी के एक इशारे पर पुलिस जब चाहे उन्हें उठाकर जेल में डाल सकती है.

शर्मिष्ठा चौधरी: 2017 में कोलकाता के पास भांगर में ममता बनर्जी सरकार की ओर से किए जा रहे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए शर्मिष्ठा चौधरी को 6 महीने से ज्यादा जेल में रखा गया था. भाकपा (माले) रेड स्टार की प्रमुख नेता शर्मिष्ठा चौधरी के खिलाफ यूएपीए की धाराओं में ही मुकदमा दर्ज किया गया था. शर्मिष्ठा चौधरी चौधरी दक्षिण 24 परगना के भांगर भूमि आंदोलन का चेहरा रहीं थीं. ममता बनर्जी अपने रास्ते में आने वाले एक्टिविस्ट्स को यूएपीए के तहत जेल भिजवाती रही हैं. शर्मिष्ठा चौधरी का इसी साल कोविड-19 के बाद होने वाली जटिलताओं के कारण निधन हो गया था.

शंकर दास: भांगर आंदोलन के आयोजकों में से एक शंकर दास को भी ममता बनर्जी की सरकार ने यूएपीए कानून के तहत जेल में डाल दिया था. शंकर दास को करीब साढ़े तीन महीने जेल में रहना पड़ा था. इतना ही नहीं, एक अन्य मामले में शंकर दास को 2018 में फिर से दो महीने के लिए जेल भेज दिया गया था.

डॉ. रतुल बंदोपाध्याय: ट्रेड यूनियन के डॉ. रतुल बंदोपाध्याय को भी ममता बनर्जी सरकार ने भांगर आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए यूएपीए एक्ट के तहत गिरफ्तार करवाया था. रतुल बंदोपाध्याय को तीन महीनों तक जेल में रखा गया था.

वैसे, ये सिर्फ कुछ नाम हैं. इनसे इतर सैकड़ों ऐसे लोग हैं, जो ममता बनर्जी के गुस्से का शिकार होकर किन्हीं अन्य धाराओं में जेल की हवा खा चुके हैं. अमिताभ भट्टाचार्य (दो महीने) समेत जेल की हवा खाने वाले वामदलों के तमाम नेता पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार को फासिस्ट सरकार का दर्जा देते हैं. क्योंकि, बंगाल में ममता बनर्जी के सरकार में आने के बाद वामदलों के कार्यकर्ताओं की कई हत्याएं हुई थीं. वैसे, इस इवेंट में ममता बनर्जी अपने पार्टी के नेता छत्रधर महतो के बारे में बताना नहीं भूलीं. जिसे चुनावों में फायदा पाने की नीयत से तृणमूल कांग्रेस ने न सिर्फ जेल से निकाला, बल्कि पार्टी की सदस्यता भी दिलाई.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय