राफेल की राजनीति में पर्रिकर के गुनाहगार बन गए राहुल गांधी
मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद हर कोई गमगीन है, लेकिन कांग्रेस की राजनीति अभी भी जारी है. इस घटना ने उस समय की याद दिला जी जब अपने अंतिम दिनों में भी राहुल गांधी की वजब से पर्रिकर जी को राजनीति में कूदना पड़ा था.
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'गोवा के चीफ मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर का 63 साल की उम्र में निधन, लंबे समय से चल रहे थे बीमार.' इस समय किसी भी वेबसाइट, किसी भी अखबार या किसी भी न्यूज चैनल में देखिए यही खबर मिलेगी. यहां तक कि सोशल मीडिया पर भाजपा के कट्टर विरोधी भी इसी दुख में डूबे हुए हैं कि भारत ने एक ऐसा नेता खो दिया जो वाकई पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी एक मिसाल था. वो इंसान जिसपर चाह कर भी कोई दाग नहीं लगाया जा सकता क्योंकि उसकी छवि इतनी बेदाग थी जिसे न सिर्फ उनकी पार्टी के लोग बल्कि विपक्ष के नेता भी जानते थे.
यहां बात उस शख्स की हो रही है जो असल में एक आम आदमी की तरह जिया और राजनीति नहीं बल्कि काम किया. मनोहर पर्रिकर वो इंसान थे जिन्हें कई लोग उनकी सादगी के लिए जानते थे तो कई लोग उनमें ही अगला पीएम देखते थे. सही भी है, ये गोवा का वो आम आदमी था जिसने कभी खुद का प्रचार आम आदमी की तरह नहीं किया फिर भी लोगों को उनकी सादगी दिख गई.
मनोहर पर्रिकर का निधन बेहद दुखद घटना है जिसे राजनीति से दूर रहना चाहिए.
बेदाग नेता के स्वास्थ्य को लेकर भी राजनीति-
पर इस सादगी का साथ देने वाले व्यक्ति को लेकर भी राजनीति कम नहीं हुई. मौजूदा हालत ही देख लीजिए कि जब पर्रिकर जी की तबियत बिगड़ी तभी कांग्रेस ने दावा ठोंक दिया कि अब गोवा में उसकी सरकार बनेगी. 17 मार्च 2019 की शाम को मनोहर पर्रिकर जी के निधन से कुछ घंटे पहले ही गोवा में कांग्रेस ने घमासान मचा दिया और कहा कि अगला पीएम तो कांग्रेस का ही बनेगा क्योंकि वो बहुमत वाली पार्टी है और भाजपा अब गोवा में सीट्स गंवा चुकी है. यहां तक कि उनके अंतिम संस्कार से पहले ही गोवा को नया चीफ मिनिस्टर मिल सकता है और कांग्रेस के सभी विधायक राज्यपाल के पास पहुंच गए हैं. ये तब है जब गोवा में शोक मनाया जा रहा है.
उम्मीद तो यही कर सकते हैं कि मनोहर जी ने अपने अंतिम समय में ये खबर न सुनी हो कि उनके निधन से पहले ही उनकी सीट को लेकर राजनीति शुरू हो गई. राजनीति जो इतने ओछे स्तर पर की गई कि पूरे हिंदुस्तान ने देखा! आज जब मनोहर पर्रिकर इस दुनिया में नहीं हैं तो भी ये राजनीति याद आ रही है.
राहुल गांधी ने मनोहर पर्रिकर को लेकर एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने पर्रिकर की मौत पर श्रद्धांजलि दी.
I am deeply saddened by the news of the passing of Goa CM, Shri Manohar Parrikar Ji, who bravely battled a debilitating illness for over a year. Respected and admired across party lines, he was one of Goa’s favourite sons. My condolences to his family in this time of grief.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 17, 2019
इस ट्वीट के साथ ही लोगों ने राहुल गांधी को उनके वो शब्द याद दिला दिए जो उन्होंने कुछ दिनों पहले पर्रिकर के लिए बोले थे. राहुल गांधी ने मनोहर जी की तबियत पूछने के लिए एक मीटिंग की और ये भी उनके निवास पर ही हुई. जहां गोवा के चीफ मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर के हाल-चाल पूछकर राहुल वापस आ गए उन्होंने अपनी एक सभा में दावा किया कि पर्रिकर ने खुद उन्हें बताया कि राफेल मामले में डील बदलते हुए नरेंद्र मोदी ने देश के रक्षा मंत्री (उस दौर में रक्षा मंत्री पर्रिकर ही थे.) से कोई सलाह-मश्वराह नहीं किया.
राहुल गांधी की ये स्पीच जैसे ही मनोहर पर्रिकर के कानों में पड़ी उन्होंने राहुल को एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने कहा कि वो बेहद बीमार हैं. अपनी स्वास्थ्य समस्याओं से झूझते हुए उन्होंने राहुल गांधी से सिर्फ इसी से संबंधित बातें की थीं.
मनोहर पर्रिकर को लेकर राहुल गांधी ने राफेल के पुराने किस्से निकाल लिए थे और उन्हें इस तरह से बताया था जैसे ये हाल ही की बात हो.
राहुल गांधी ने बाद में खुद कहा कि वो मनोहर पर्रिकर से सिर्फ उनके हाल-चाल पूछने के लिए मिलने गए थे और राफेल के बारे में कोई बात नहीं हुई थी. पर्रिकर के बारे में जो बात उन्होंने बोली वो असल में 2015 का एक वाक्या था. पर तब तक तो राजनीति कि शुरुआत हो चुकी थी और कांग्रेस और भाजपा नेता आपस में भिड़ चुके थे.
आज भी राहुल गांधी की ट्वीट पर लोगों ने उसी समय को याद दिलाया. ये बात है जनवरी 2019 की और अभी डेढ़ महीने बाद मनोहर पर्रिकर जी की मृत्यु हो गई है.
In his deathbed, you played your dirty politics, sir. India’s misfortune to have an Opposition leader like you.You used a 5-minute visit in his last days to lie about him. History will keep his anguished letter.Do not shed crocodile tears. Change your politics. #ManoharParrikar https://t.co/1GHsWCZe0l
— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) March 17, 2019
इतना ही नहीं, मनोहर पर्रिकर द्वारा राहुल गांधी को लिखा गया खत भी सामने लाया गया और उस खत को पढ़कर भी यही लगता है कि राहुल गांधी ने मनोहर पर्रिकर का नाम लेकर गलती की.
For those who don’t know, this is what an anguished #ManoharParikkar wrote after Rahul Gandhi visited him in hospital in his last days, came out and lied.History doesn’t take kindly to such things. pic.twitter.com/Za5oeIi9ko
— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) March 17, 2019
मनोहर पर्रिकर के मामले में हुई इस राजनीति ने राहुल गांधी की विश्वसनियता पर सवाल उठा दिए. वो इसलिए क्योंकि मनोहर पर्रिकर जैसे नेता पर यकीन करना आसान है. इसलिए नहीं क्योंकि उनके विपक्ष में राहुल गांधी थे या राहुल की बातों में सच्चाई नहीं होती बल्कि इसलिए क्योंकि मनोहर पर्रिकर की बात पर सवाल नहीं खड़े किए जा सकते.
मनोहर पर्रिकर जिनके सच पर सवाल उठाना गलत है...
मनोहर पर्रिकर, राहुल गांधी और राफेल वाला मामला कहीं भी किसी भी तरह से उस समय सामने नहीं आना चाहिए था जब मनोहर पर्रिकर अपने आखिरी दिनों में ही गोवा की सेवा कर रहे थे. मनोहर जी पहले एमएलए रहे, फिर मंत्री बने, गोवा के चीफ मिनिस्टर वो 4 बार बनाए गए. वो देश के रक्षा मंत्री भी रहे. अगर इस दौरान किसी ने एक भी दाग मनोहर पर्रिकर की छवि पर लगाया होता तो भी शायद लोग मान लेते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
मनोहर पर्रिकर को जब पेक्रिआटिक कैंसर हुआ तब भी वो अपनी लगन दिखाते रहे और गोवा के लिए काम करते रहे. एक तस्वीर जिसे देखकर शायद सबका दिल पसीज जाए.
अपने आखिरी दिनों में भी पर्रिकर ने गोवा का काम नहीं रोका.
उन्हें पकड़ कर संसद में लाना पड़ता था फिर भी वो काम करते रहते थे. देश के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे मंत्रियों में से एक पर्रिकर बॉम्बे IIT से पढ़े थे, लेकिन न ही उन्हें बड़ी नौकरी का लोभ था और न ही ओछी राजनीति करने की इच्छा.
सीनियर जर्नलिस्ट राजदीप सरदेसाई मनोहर पर्रिकर से जुड़ा एक वाक्या बताते हैं. 2012 में पर्रिकर को एक टीवी इवेंट के लिए बुलाया गया था. उस दौरान उन्होंने इकोनॉमी क्लास में सफर करने पर जोर दिया. उन्हें कोई चार्टर्ड प्लेन नहीं चाहिए था. साथ ही उनके साथ बहुत से असिस्टेंट या कर्मचारी नहीं थे. उन्होंने अपना बैग भी खुद ही उठाया और अपने सिग्नेचर हाफ स्लीव शर्ट और सादी पैंट पहने वो इंसान आया. जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तो उनका सीधा सा जवाब था. 'ये तुम्हारा (चैनल का) निजी इवेंज है, मैं इसके लिए जनता का पैसा क्यों खर्च करूं.'
मनोहर जी को लेकर कई कहानियां मश्हूर हैं. जिनमें से एक ये कि वो स्कूटी पर जा रहे थे और उनका एक्सिडेंट एक ऑडी से हो गया. ऑडी से निकले लड़के ने कहा कि मैं गोवा के कमिश्नर का बेटा हूं, उस समय मनोहर जी ने कहा कि , 'मैं गोवा का चीफ मिनिस्टर हूं. सेफ ड्राइव बेटा.' जहां इस कहानी की सत्यता को नहीं परखा जा सकता वहीं लगभग सभी लोग जिनसे मैं मिली हूं या इस बारे में पूछा है उनका कहना है कि ये सच ही होगा. इसका कारण भी सीधा-साधा है. मनोहर पर्रिकर जी की छवि हमेशा से वैसी ही बनी हुई है कि ये इंसान कभी झूठ नहीं बोल सकता और इसके काम में कमी नहीं निकाली जा सकी. लंबे राजनीतिक करियर में बेदाग छवि वाले नेता की हर बात पर यकीन करने को दिल करता है और यही कारण है कि उनके बारे में इंटरनेट पर मौजूद दुनिया भर की कहानियों पर लोग यकीन भी करते हैं और उन्हें सच्चा नेता मानते भी हैं.
मनोहर पर्रिकर की मृत्यु से दुखी हर वो व्यक्ति है जो उनके व्यक्तित्व को जानता था. हर वो व्यक्ति जिसे मनोहर पर्रिकर की जिंदगी के बारे में पता था. खुद ही सोचिए एक ऐसे नेता के ऊपर राजनीति करना वो भी उस समय जब वो खुद जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहे हों वो कितनी बुरी बात है.
वो एकलौते ऐसे इंसान थे जिन्हें 4 बार सीएम बनाए जाने के बाद भी जनता का प्यार मिलता रहा और गोवा में भाजपा सरकार ही इसलिए बन पाई क्योंकि गोवा वासी ये चाहते थे कि पर्रिकर ही उनके सीएम बने रहें. ये पर्रिकर की मेहनत थी जिनके कारण गोवा का हर व्यक्ति उनसे प्यार करने लगा था.
ऐसे व्यक्ति की निष्ठा पर सवाल उठाना सही नहीं. मनोहर पर्रिकर देवता नहीं थे, लेकिन एक भ्रष्ठ नेता भी नहीं थे और ऐसे व्यक्ति नहीं थे कि उनके देश को लेकर कोई गलत कर रहा हो और वो चुप बैठ जाएं.
एक इटंरव्यू में रक्षा मंत्री बने मनोहर जी ने कहा था, 'आतंकवाद भारत में बंदूक के साथ आ रहा है तो उसे बंदूक के साथ ही जवाब मिलना चाहिए. हम आतंकवादियों को खत्म भी आतंकवादियों से कर सकते हैं. हमारी 13 लाख की फौज शांति प्रस्ताव देने के लिए नहीं है.' ये वो रक्षा मंत्री थे जिनके सामने सर्जिकल स्ट्राइक हुई और URI हमले का बदला लिया. भारत में फाइटर जेट बन सकते हैं ये भी उनके काल में ही सही साबित हुआ.
ऐसे नेता की तारीफ करने के लिए मोदी या भाजपा भक्त होना जरूरी नहीं है. ऐसे नेता की तारीफ कोई भी सच्चा इंसान करेगा.
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