Maulana Saad appeal: तो क्या दिल्ली पुलिस कोरोना फैलने से रोक सकती थी?
तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) के प्रमुख मौलाना साद (Maulana Saad) धीरे धीरे लाइन पर आ चुके हैं - और ये दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की सख्ती के बाद हुआ लगता है. ये तो ऐसे ही लगता है कि अगर दिल्ली पुलिस ने शुरू में सख्ती बरती होती तो तब्लीगी जमात की वजह से देश भर में कोरोना वायरस इस कदर नहीं फैल पाता.
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लगता है दिल्ली पुलिस (Delhi Police) का डर तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) वाले मौलाना साद (Maulana Saad) को सताने लगा है - तभी तो ताबड़तोड़ ऑडियो जारी कर रहे हैं. अब तो मौलाना साद तब्लीगी जमात के लोगों को कोरोना से जंग में सरकार का साथ देने को लेकर बयान भी जारी कर चुके हैं. क्या ऐसा नहीं लगता कि ये सब दिल्ली पुलिस की हाल की सख्ती और ED की जांच के डर की वजह से हो रहा है?
मौलाना साद ने दिल्ली पुलिस के एफआईआर के बाद कानूनी लड़ाई के लिए चार वकीलों की टीम बनायी हुई है. वकीलों के माध्यम से ही मौलाना साद ने दिल्ली पुलिस से अपील की थी कि उसे जांच में शामिल माना जाये, लेकिन दिल्ली पुलिस ने ये मानने से इंकार कर दिया - और साफ तौर पर बोल दिया कि वो एम्स में कोरोना वायरस का टेस्ट करायें और रिपोर्ट पेश करें.
करीब एक महीना होने को है जब दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद को मरकज खाली करने का नोटिस दिया था - और खाली होने में हफ्ता भर लग गया. कुछ देर के लिए तो ऐसा लगा जैसे दिल्ली पुलिस ने हाथ ही खड़े कर दिये हों - लेकिन क्यों? क्या दिल्ली पुलिस किसी दबाव में थी या फिर हर मामले को अलग अलग तरीके से डील करने का नतीजा है?
मौलाना साद की तब्लीगी जमात के लोगों से ब्लड डोनेशन की अपील से तो यही लग रहा है कि अगर दिल्ली पुलिस ने शुरू से ही सख्ती बरती होती तो तब्लीगी जमात के लोगों की वजह से देश में कोरोना पॉजिटिव लोगों की संख्या कम हो सकती थी.
अगर दिल्ली पुलिस सख्ती बरती होती
निजामुद्दीन मरकज वाले मौलाना साद कंधावी ने पहली बार तब्लीगी जमात के लोगों से कोई अपील की है. ये अपील मौलाना साद के तीसरे ऑडियो के जरिये आया है. अब तक मौलाना साद दिल्ली पुलिस से बचने के मकसद से ऐसे ऑडियो जारी करते रहे हैं.
लगता है दिल्ली पुलिस की सख्ती के मौलाना साद को कानून का डर सताने लगा है, वरना ये मौलाना साद ही थे जिनको दिल्ली में मरकज खाली कराने के लिए रात को दो बजे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को निजामुद्दीन जाना पड़ा था. तब कहीं 4 बजे भोर तक मरकज खाली हुआ और मालूम हुआ कि करीब ढाई हजार लोग अंदर जमे हुए थे. ये तब की बात है जब पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन हुए तीन दिन बीत चुके थे.
इस ऑडियो क्लिप में मौलाना साद ने अपने समर्थकों से भूखे लोगों तक खाना पहुंचाने के लिए भी अपील की है. मौलाना साद ने दोहराया है कि वो अब भी क्वारनटीन में हैं. अपने वकीलों के माध्यम से हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक इंटरव्यू में मौलाना साद का कहना है, 'डॉक्टरों की सलाह के मुताबिक, मैं सेल्फ क्वारंटाइन था और पुलिस इस तथ्य को जानती है और उसे मेरे ठिकाने के बारे में भी पता है.'
31 मार्च को मौलाना साद सहित 7 तबलीगी जमात के 7 लोगों पर सरकारी निर्देशों के उल्लंघन के लिए महामारी रोग अधिनियम 1897 के सेक्शन 269, 270, 271 और IPC की धारा 120-B के तहत केस दर्ज किया गया था है. दिल्ली पुलिस अपराध शाखा ने 31 मार्च को मौलाना साद समेत सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. साथ ही, प्रवर्तन निदेशालय भी मौलाना साद और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया हुआ है.
जिस दिन केस दर्ज हुआ उसी दिन दिल्ली पुलिस ने हफ्ता भर पुराना एक वीडियो जारी किया था जिसमें तब्लीगी जमात के लोगों से बातचीत के दौरान ही मौलाना साद को नोटिस भी दिया गया था.
#WATCH Delhi Police release a video of its warning to senior members of Markaz, Nizamuddin to vacate Markaz & follow lockdown guidelines, on 23rd March 2020. #COVID19 pic.twitter.com/2evZR6OcmB
— ANI (@ANI) March 31, 2020
FIR दर्ज होने के तीन हफ्ते हो चुके हैं और मौलाना साद की तीन ऑडियो क्लिप आ चुकी है - क्या समझा जाये इसे? आखिर दिल्ली पुलिस का क्राइम ब्रांच क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठा है? क्या दिल्ली पुलिस का खुफिया तंत्र इतना निकम्मा हो चुका है - या फिर उसके मुखबिर भी खामोश हो गये हैं? ये ठीक है कि मुखबिर दिल्ली पुलिस तक नहीं पहुंच पा रहे होंगे, लेकिन पुलिस को उन तक पहुंचने से किसने रोका है - या फिर ऐसी कोई खास वजह है जिससे दिल्ली पुलिस हाथ बंधा हुआ महसूस कर रही है?
वजह जो भी हो, लेकिन ये तो साफ है कि दिल्ली पुलिस शुरू से एक्टिव रहती तो मौलाना साद तब्लीगी जमात के लोगों से ऐसी अपील बहुत पहले ही कर चुके होते - और तब शायद वो नुकसान न होता जो देश भर में उनकी सनकी भागदौड़ से हो चुका है.
चाहे जैसे भी मौलाना साद को अगर ये समझ में आया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों के प्लाज्मा से दूसरे मरीजों का इलाज हो सकता है तो ये अच्छी बात है. मौलाना साद ने अपनी ऑडियो अपील में कहा है - ‘जो संक्रमित पाये गये हैं उनमें से ज्यादातर का इलाज चल रहा है और अब वे तंदुरूस्त हो चुके हैं. मैं और कुछ और लोगों ने खुद को क्वारंटीन में रखा हुआ है. ये जरूरी है कि इस बीमारी से उबर चुके लोगों को उनके लिए ब्लड प्लाज्मा दान करना चाहिए जो अब भी इस वायरस के संक्रमण से जूझ रहे हैं और उनका इलाज चल रहा है.’
अगर मौलाना साद ने यही बयान पहले जारी कर दिया होता तो हजारों लोग कोरोना के खतरे से बच सकते थे
बहरहाल, जैसे भी मुमकिन हुआ हो, मौलाना साद की अपील का तब्लीगी जमात के लोगों पर असर होना चाहिये, ऐसी उम्मीद की जा सकती है - एक बार फिर साबित हुआ डर के आगे जीत है, लेकिन ये जीत मौलाना साद के खाते में नहीं जाने वाली. हां, कोरोना वायरस के खिलाफ जरूर जाएगी.
तब्लीगी जमात से नुकसान
दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी में एक परिवार के तीन लोग कोरोना पॉजिटिव पाये गये थे. अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनमें से एक की मौत भी हो गयी. परिवार के लोगों ने पुलिस को बताया कि उनका सिक्योरिटी गार्ड मरकज के आयोजन में शामिल हुआ था. शिकायत पाकर पुलिस ने गार्ड के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया - लेकिन जब गार्ड का टेस्ट हुआ तो वो कोरोना निगेटिव निकला.
मौलाना साद के ससुराल सहारनपुर जिले के उनके कुछ रिश्तेदार भी मरकज के आयोजन में शामिल हुए थे. पता चला सहारनपुर में कोरोना पॉजिटिव पाये गये लोगों में से आधे तब्लीगी जमात के रहे. स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से भी बताया गया था कि देश में कुल संकमित मामलों में से 30 फीसदी केस तबलीगी जमात की वजह से बढ़े. मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि तब्लीगी जमात से जुड़े लोग देश के 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पाये गये और उनकी वजह से संख्या के लिहाज से टॉप-10 राज्यों में से 5 ऐसे हैं जहां जमाती मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा पायी गयी है. अरुणाचल प्रदेश तो सिर्फ एक मरीज की वजह से कोरोना प्रभावित राज्यों की सूची में शामिल हो गया है - जानने वाली बात ये रही कि एकमात्र कोरोना पॉजिटिव तब्लीगी जमात से जुड़ा आदमी रहा.
#WATCH Out of total 14378 cases, 4291 (29.8%) cases are related to Nizamuddin Markaz cluster from single source&affected 23 States&UTs. 84% cases in TN, 63% cases in Delhi, 79% cases in Telangana, 59% cases in UP & 61% in Andhra Pradesh are related to the event: Health Ministry pic.twitter.com/UMsz1hx3tz
— ANI (@ANI) April 18, 2020
दिल्ली सरकार के बुलेटिन में भी तब्लीगी जमात के संक्रमित मरीजों की संख्या अलग से बताये जाने पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने अरविंद केजरीवाल सरकार को आपत्ति जताते हुए पत्र भी लिखा था - लेकिन आयोग ने कभी तब्लीगी जमात के लोगों से ऐसी कोई भी अपील नहीं की कि वे अपनी हरकतों से बाज आयें - जैसा कि अब जाकर मौलाना साद कर रहे हैं. दो मुस्लिम नेताओं ने जरूर तब्लीगी जमात की कड़ी आलोचना की थी - लेकिन आम आदमी पार्टी के विधायक अमानुल्लाह खान तो उनके भी विरोध में दीवार बन कर खड़ा होने की कोशिश करने लगे.
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था, 'मौलाना साद ने लोगों को बरगलाने की कोशिश की है - और कभी न माफ करने वाला अपराध किया है. मौलाना साद जैसे लोग इस्लाम की भलाई नहीं बल्कि इसके खिलाफ काम कर रहे हैं.'
बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मुख्यालय मरकज में एक धार्मिक आयोजन में शामिल लोगों के जमावड़े की घटना किसी तालिबानी अपराध से कम नहीं है - और अधिकारियों को इससे सख्ती से निपटना चाहिए.'
मालूम नहीं मौलाना साद को अभी ये समझ आयी या कभी आएगी भी कि नहीं कि तब्लीगी जमात के लोगों ने अपनी हरकत से चौतरफा नुकसान किया है. एक खुद की जान को खतरे में डाला है. दो, ये किसी को भी नहीं मालूम कि कितने लोगों के कोरोना वायरस के खतरे में डाला है. तीन, इलाज करने वाले डॉक्टर, नर्स और दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों के के साथ बहुत ही बुरा सलूक किया है - और चार पूरे मुस्लिम समुदाय को नफरत के निशाने पर लाने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी है.
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