भारतीय नागरिकता छोड़ देने के बावजूद मेहुल चौकसी का प्रत्यर्पण संभव है
भले ही मेहुल चौकसी ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी हो, लेकिन भारत की अदालत में उसे सजा सुनाने के रास्ते अभी बंद नहीं हुए हैं और हो सकता है कि जल्द ही वह यहां की जेल में चक्की पीसे.
-
Total Shares
पंजाब नेशनल बैंक में 13,500 करोड़ का घोटाला करने वाले नीरव मोदी के मामा मेहुल चौकसी ने भारतीय नागरिका छोड़ दी है. उसने एंटीगुआ हाई कमीशन में अपना पासपोर्ट सरेंडर कर दिया है. अब चोकसी पूर्ण रूप से एंटीगुआ का नागरिक हो गया है. 22 जनवरी को ही मेहुल चौकसी के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई होनी है और एक दिन पहले ही मेहुल ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. मेहुल चौकसी द्वारा भारत की नागरिकता छोड़ने की खबर सामने आने के बाद से ये कयास लगाए जाने लगे हैं कि अब मेहुल चौकसी को भारत लाना और भी मुश्किल हो सकता है.
मेहुल चौकसी के खिलाफ पहले ही इंटरपोल नोटिस जारी कर चुका है. भारत की कई एजेंसियां लगातार उसकी तलाश में जुटी हुई हैं. इसी बीच ये खबर आने से मेहुल चौकसी के वकील उम्मीद कर रहे हैं कि इससे प्रत्यर्पण को एक बड़ा झटका लगा है. आपको बता दें कि मेहुल चौकसी गीतांजलि ग्रुप का चेयरमैन है और जब से पीएनबी घोटाला खुला है, तब से उसने एंटीगुआ में शरण ले ली है. यहां तक कि सुनवाई के लिए वह भारत आने को तैयार नहीं है और तरह-तरह के बहाने बनाता रहता है. इसी वजह से भारत की अपील पर इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस तक जारी किया हुआ है. चोकसी ने भारत की नागरिकता क्या छोड़ी, इसे लेकर कई तरह के सवाल बहस का मुद्दा बन गए हैं. सवाल ये कि क्या अब मेहुल चौकसी का प्रत्यर्पण नहीं हो सकेगा? सवाल ये भी है कि क्या इस तरह किसी का अपराध कम हो जाता है?
भारत की अदालत में मेहुल चौकसी को सजा सुनाने के रास्ते अभी बंद नहीं हुए हैं.
एंटीगुआ से प्रत्यर्पण अभी भी संभव
भारतीय नागरिकता छोड़ने से चोकसी को कुछ खास फायदा इसलिए भी नहीं होगा, क्योंकि भारत और एंटीगुआ के बीच भी प्रत्यर्पण ट्रीटी ना होने के बावजूद चोकसी का प्रत्यर्पण हो सकता है. यानी अगर चोकसी दोषी साबित होता है तो एंटीगुआ खुद ही उसे भारत को सौंप देगा. मेहुल चौकसी के संदर्भ में एंटीगुआ और बारबुडा ने पहले भी साफ कर दिया था कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि नहीं होने के बावजूद दोनों देश कॉमनवेल्थ नेशन्स के सदस्य हैं, ऐसे में प्रत्यर्पण संभव है.
एंटीगुआ और बारबुडा की सरकार ने कहा है कि प्रत्यर्पण एक्ट 1993 का सेक्शन 7 के तहत मेहुल चौकसी का प्रत्यर्पण भारत को कर सकता है. सीबीआई ने तो मेहुल के प्रत्यर्पण की तैयारी भी शुरू कर दी है. संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन के तहत 5 चीजें कानूनी रूप से आती हैं- बचाव के काम, अपराध और कानून को लागू करना, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, संपत्ति की रिकवरी, तकनीकी सहायता और सूचना का आदान-प्रदान. इसकए अलावा घूसखोरी, गलत तरीके से ट्रेडिंग या कोई संदिग्ध डील आदि भी इसके दायरे में आती है.
चोकसी को जरूर मिलेगी उसके किए की सजा
मेहुल चौकसी ने भले ही अपना पासपोर्ट सरेंडर कर के भारतीय नागरिकता छोड़ दी हो, लेकिन भारत सरकार और भारत की सुरक्षा एजेंसियां उसका पीछा नहीं छोड़ेंगी. सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो मेहुल ने गुनाह भारत की धरती पर किया है और ऐसे में उस पर कार्रवाई की जा सकती है और दोषी साबित होने पर प्रत्यर्पण भी हो सकता है. दरअसल, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह दोहरी नागरिकता नहीं रख सकता है, ऐसे में उसका भारत की नागरिकता छोड़ना सिर्फ औपरचारिकता भर है. इस बात का अंदाजा उसे भी है कि उसके किए की सजा उसे जरूर मिलेगी. वैसे भी, राजनाथ सिंह ये साफ कर ही चुके हैं कि भले ही थोड़ा वक्त लग जाए, लेकिन भगोड़ों को वापस लाया जाएगा. इसके लिए कानून बन चुका है.
Union Home Minister Rajnath Singh on #MehulChoksi : Our govt has passed Fugitive Economic Offenders bill. Those who have fled, will be brought back. It might take some time but they all will be brought back. pic.twitter.com/w3IinkbmlC
— ANI (@ANI) January 21, 2019
मामा चोकसी और भांजे नीरव ने मिलकर पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस ब्रांच में 13,500 करोड़ रुपए का घोटाला किया है. इस घोटाले में उसके साथ बैंक के अधिकारियों के भी शामिल होने का शक है. अभी तक इन मामा-भांजे की करीब 4765 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की जा चुकी है और ईडी से लेकर सीबीआई तक पीएनबी घोटाले की जांच और नीरव-मेहुल को भारत लाने की कोशिशों में जुटी हुई है. खैर, भले ही मेहुल चौकसी ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी हो, लेकिन भारत की अदालत में उसे सजा सुनाने के रास्ते अभी बंद नहीं हुए हैं और हो सकता है कि जल्द ही वह यहां की जेल में चक्की पीसे.
ये भी पढ़ें-
जातिवाद को मिटाने के लिए क्या देशभक्त बनना पड़ेगा ?
देश की छोड़िए, बीजेपी के भीतर ही मोदी की दावेदारी 'निर्विरोध' नहीं है!
जेटली ने बजट पेश न किया तो मोदी सरकार में अनूठा इतिहास बनेगा
आपकी राय