दो युवा सांसद मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां के ग्लैमर को बर्दाश्त नहीं कर पाए लोग
तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां के लिए राजनीति एकदम नया क्षेत्र है. और चुनाव जीतकर संसद में जगह पाना भी उतना ही नया. नई जगह का एक्साइटमेंट ऐसा ही होता है, जिसे व्यक्ति अपने तरीके से ही दिखाता है.
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तृणमूल कांग्रेस मंगलवार को दो वजहों से चर्चा में रही. एक तो पार्टी के करीब 60 पार्षद और तीन विधायकों ने दिल्ली आकर बीजेपी ज्वाइन कर ली. बीजेपी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने बंगाल के नेता मुकुल रॉय की मौजूदगी में कहा कि अगले महीने सात चरणों में ममता बनर्जी से परेशान तृणमूल कांग्रेस के और भी कई बड़ नेता बीजेपी ज्वाइन करेंगे. खैर, ये सब गहमागहमी चल ही रही थी, कि तृणमूल कांग्रेस की एक्टर से सांसद बनीं मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां चर्चा में आ गईं.
17वीं लोकसभा में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से दो बंगाली एक्ट्रेस चुनाव जीतकर संसद पहुंची हैं. मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़ी होने की वजह से पहले से ही काफी चर्चित रही हैं, लेकिन संसद पहुंचते ही दोनों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं. और साथ ही बहस की शिकार भी. तस्वीरें वायरल होने की दो वजह रहीं- पहली तो ये कि इन्होंने संसद के सामने खड़े होकर तस्वीरें खिंचवाईं और उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर किया, जो अमूमन सांसद नहीं किया करते. और दूसरी वजह रहे इन दोनों के कपड़े. जो संसद में आने वाली महिलाओं के कपड़ों से एकदम अलग नजर आ रहे थे. सोशल मीडिया पर दोनों को इतनी बधाइयां नहीं मिल रहीं जितने ताने मिल रहे हैं. इन्हें जमकर ट्रोल किया जा रहा है.
संसद के सामने खड़े होकर तस्वीरें खिंचवाने पर हुईं ट्रोल
लोगों का कहना है कि संसद भवन कोई पिकनिक स्पॉट नहीं जहां जाकर फोटो खिंचवाई जाएं. तो कोई कह रहा था कि उन्होंने साड़ी क्यों नहीं पहनी, संसद में ऐसे कपड़े नहीं पहनने चाहिए. यानी लोगों को सारी समस्या इन दोनों के एटिट्यूड से थी जो बिल्कुल भी प्रोफेशनल नहीं लग रहा था.
लगेगा भी कैसे, ये दोनों प्रोफेशनल हैं ही कहां. दोनों ग्लैमर वर्ल्ड से आई हैं, अभिनेत्रियां हैं, हमेशा जगह को कैमरे की निगाह से देखती हैं और खुद को फ्रेम में पोज़ देते हुए. तो इनका संसद के सामने पोज देना बिल्कुल वैसा ही था जैसे बाकी युवा लड़कियां करती हैं. और सोशल मीडिया तो एक आदत है.
धीरे-धीरे सब नॉर्मल हो जाएगा
मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां के लिए राजनीति एकदम नया क्षेत्र है. और चुनाव जीतकर संसद में जगह पाना भी उतना ही नया. नई जगह का एक्साइटमेंट ऐसा ही होता है, जिसे व्यक्ति अपने तरीके से ही दिखाता है. और इन दोनों का उत्साह तो इनके चेहरे पर साफ देखा जा सकता है. इन फिल्मी अभिनेत्रियों को राजनीति की गंभीरता सीखते-सीखते समय लगेगा और ये अल्हड़पन भी जाते-जाते ही जाएगा. एक दो बार और संसद में आने के बाद संसद भी इन्हें सामान्य ही लगेगी. फिर कोई तस्वीर शायद न दिखाई दे. तो इसे लोगों को भी आलोचना की नजर से नहीं देखना चाहिए.
परिपक्वता भी समय के साथ ही आएगी
हालांकि ये दोनों राजनीति में कितनी गंभीर हैं वो तो इनकी इस हरकत से पता चल ही रहा है. अंदाजा लगाइए पश्चिम बंगाल में इनकी पार्टी की जो हालत है, जहां से लोग टूट टूटकर भाजपा से मिल रहे हैं, घमंड से ममता बनर्जी का उठा हुआ सिर आज नीचे झुका हुआ है. लेकिन टीएमसी पर आए इस संकट का रत्ती भर असर भी इन दोनों के चेहरे पर नहीं दिख रहा है. अब जिन्होंने इन्हें चुनकर यहां भेजा है कुछ तो सोचकर ही भेजा होगा.
इन कपड़ों में खराबी क्या है?
लेकिन कपड़ों को लेकर लोग इतने जजमेंटल क्यों हो जाते हैं ये समझ नहीं आता. ये कौन से कानून की किताब में लिखा है कि संसद में महिलाओं को साड़ी ही पहननी है. क्यों राजनीति में आने वाली महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वो साड़ी ही पहनें. क्या साड़ी पहनकर ही वो आदर्शवादी दिखाई दे सकती हैं. आप जैसे हैं वैसे ही नजर आएं तो लोगों पर ज्यादा प्रभाव डाल सकते हैं.
प्रियंका गांधी को ही लीजिए. राजनीति में आने से पहले वो पैंट और शर्ट पहनती थीं जिसमें उनकी पर्सनालिटी बहुत प्रभावशाली लगती थी. उनका स्मार्ट लुक युवाओं को भाता था. युवाओं को लगता था कि ये हमारे जैसी ही हैं. लेकिन राजनीति में आते ही वो साड़ी में आ गईं और तो और सिर पर पल्लू भी रखने लगीं. ये सिर्फ बनावटी ही लगा. क्योंकि असल में तो वो ऐसी हैं ही नहीं. ठीक उसी तरह अगर मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां भी आजकल के हिसाब से कपड़़े न पहनकर पारंपरिक साड़ियां पहनने लगेंगी तो ये भी बनावटी ही होगा. संसद में शिष्ट कपड़े पहनने चाहिए लेकिन जो कुछ भी इन दोनों ने पहना वो मॉर्डन था लेकिन अशिष्ट नहीं. ये जींस शर्ट पहनकर भी संसद में लोगों के मुद्दों को बखूबी उठा सकती हैं. इनके कपड़ों पर ज्ञान देना बेवकूफी है.
लोगों को आलोचना करने का अभी पूरा मौका मिलेगा. उम्मीद यही करनी चाहिए कि ये दोनों सिर्फ नाम की सांसद न रह जाएं. संसद में पूरी हाजिरी लगाएं और अपने कर्तव्य निभाएं. और अगर ये न निभाएं तो कीजिए ट्रोल, सवाल करना तो जनता का अधिकार है.
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