मोदी के लिए फायदेमंद ही रहे पश्चिमी मीडिया के ये सवाल...
ब्रिटिश पत्रकारों ने जो पूछा वह सवाल कम और विवादों को हवा देने की कोशिश ज्यादा लगती है. लेकिन अपनी बात रखने में माहिर मोदी ने साबित कर दिया कि ये सवाल उनके लिए ही फायदेमंद रहे.
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उम्मीद तो नरेंद्र मोदी ने भी नहीं की होगी कि व्यापार, वैश्विक राजनीति और दो देशों के बीच संबंधों की बात के बीच गुजरात दंगे और असहिष्णुता पर सवाल पूछ लिए जाएंगे. लेकिन असली नेता तो वही है जो अप्रत्याशित के लिए हमेशा तैयार रहे. पश्चिमी मीडिया इन सवालों से मोदी को घेरना चाहता था. लेकिन अपनी बात रखने में माहिर मोदी ने साबित कर दिया कि ये सवाल उनके लिए ही फायदेमंद रहे. इस मंच से उन्होंने वह बात कही जिसे भारत के लोग तो सुनना चाहते थे. साथ ही दुनिया के बाकी देशों के लिए भी यह एक जवाब था.
ब्रिटिश मीडिया से आए सवालतीनों सवाल ब्रिटिश मीडिया की ओर से ही आए. पहला सवाल 'बीबीसी' की ओर से जबकि दूसरा और तीसरा सवाल 'द गार्डियन' के एक पत्रकार ने पूछा. बढ़ती असहिष्णुता का मामला भारत में भी गर्माया हुआ है और बाहर के अखबारों में भी इस पर काफी कुछ लिखा जा रहा है. इसलिए, यह अच्छा ही हुआ. पश्चिमी मीडिया ने जिस उद्देश्य से भी यह प्रश्न पूछे हो, मोदी एक बेहतर मंच से जहां पूरी दुनिया उनको सुन रही थी, अपनी बात रखने में कामयाब रहे.
बाहर के देशों में हमारे बारे में क्या लिखा जा रहा है, यह उसका भी एक उदाहरण है. और प्रधानमंत्री समूचे मुद्दों पर क्या सोचते हैं, वह बात भी हो गई. लेकिन गौर कीजिए कैसे गुजरात दंगों का जिक्र करते हुए डेविड कैमरन से सवाल पूछा गया कि वह एक ऐसे व्यक्ति जिस पर ब्रिटेन आने पर दो साल की रोक लगी हुई थी, उसका स्वागत करते हुए कैसा महसूस कर रहे हैं. यह अपने आप में सवाल कम और विवादों को हवा देने की कोशिश ज्यादा लगती है. मोदी ने जवाब दिया कि उन्हें कभी ब्रिटेन आने से प्रतिबंधित नहीं किया गया था और यह एक भ्रांति है. लेकिन इस प्रकरण से यह भी साबित हुआ कि पश्चिमी मीडिया में भी कुछ धरे कैसे एजेंडे के तहत काम करते हैं. जो सवाल उठाया गया, उसका न तो लंदन से कोई संबंध था और न ही भारत-ब्रिटेन रिश्ते से.
विरोध का सवाल क्यों टाल गए मोदी..मोदी से एक सवाल यह भी पूछा गया कि वे उनके ब्रिटेन दौरे का विरोध कर रहे लोगों को क्या कहेंगे. मोदी के हर विदेश दौरों के दौरान किसी संगठन के विरोध की खबरें आती रहती है. मोदी ने कभी इस पर कुछ नहीं कहा. वह वैश्विक नेता के तौर पर उभर रहे हैं. ऐसे में बेहतर होता मोदी इस बार उस सवाल के जरिए मौके को भुनाने में कामयाब होते. उन विरोधों पर भी अपनी बात कह देते. हालांकि मोदी इसे टाल गए.
वैसे, इसे भी आप मोदी की स्टाइल से जोड़ सकते हैं. उन्हें किस विषय पर, किस मंच से क्या कहना है, वे खुद ही इसका फैसला करते हैं. इसलिए यह तो तय है कि मोदी उस पर भी जवाब देंगे. बस समय और मंच क्या होगा, इसका इंतजार कीजिए.
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