मोदी कैबिनेट 2.0 में कोई खास फेरबदल नहीं - कुछ ऐड-ऑन ही है
अमित शाह हर चीज को दुरूस्त करने में यकीन रखते हैं. बीजेपी को आज जो मुकाम मिला है उसके सूत्रधार अमित शाह ही हैं - बतौर गृह मंत्री उनका जोर पुलिस सुधार पर जरूर रहेगा - ताकि सीबीआई का झगड़ा दोबारा सड़क पर न आ सके.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूसरी पारी में भी कैबिनेट साथियों की जिम्मेदारियों में कोई खास फेरबदल नहीं किया है, बल्कि कुछ ऐड-ऑन ही किया है. दो महत्वपूर्ण विभागों के मंत्रियों के हट जाने के बाद जो जगह खाली हुई थी, उनमें से एक उस फील्ड के एक्सपर्ट से भरी गयी है.
वित्त मंत्रालय के दावेदार पीयूष गोयल भी थे, लेकिन उन्हें पुरानी जिम्मेदारी ही फिर से दे दी गयी है. मोदी सरकार 1 में सबसे ज्यादा काम कराने वाले मंत्री नितिन गडकरी का अपना मुख्य विभाग तो बना हुआ है, लेकिन नमामि गंगे वाले जल संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर दूसरे को दे दिया गया है.
सबसे खास बाद पहली पारी में देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी पहली बार किसी महिला को देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का खजाना भी पहली बार किसी महिला को सौंपा है.
टीम मोदी और कैबिनेट के शाह
केंद्र सरकार में सबसे महत्वपूर्ण होती है CCS यानी सुरक्षा मामलों की समिति (Cabinet Committee on Security). प्रधानमंत्री के अलावा इसमें कैबिनेट के अति महत्वपूर्ण चार विभागों के मंत्री शामिल होते हैं - देखा जाये तो देश की सुरक्षा से लेकर अहम नियुक्तियों तक की जिम्मेदारी इसी कमेटी को होती है. एक तरीके से देश चलाने की महती जिम्मेदारी भी.
CCS में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन शामिल हैं.
दूसरे नंबर पर शपथ लेने के कारण समझा जा रहा था कि राजनाथ सिंह गृह मंत्री बने रहेंगे, लेकिन अब वो जगह अमित शाह ने ले ली है. देश की सुरक्षा का मामला तो सर्वोपरि है, लेकिन राजनीतिक तौर पर गृह विभाग बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस हिसाब से तो अमित शाह नंबर 2 हो गये लगते हैं. वैसे बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर तो मोदी के बाद शाह का ही स्थान रहा, लेकिन सरकार में अब तक ये रुतबा राजनाथ सिंह को हासिल रहा. अब ये मामला पूरी तरह साफ नहीं रह गया है.
अरुण जेटली के स्वास्थ्य कारणों से मंत्री न बनने के कारण वित्त मंत्रालय निर्मला सीतारमन को दिया गया है. देश में पहली बार किसी महिला के हवाले देश का खजाना किया गया है.
रक्षा मंत्रालय निर्मला सीतारमण से लेकर राजनाथ सिंह को सौंप दिया गया है - मोदी की पिछली पारी में लंबे वक्त तक निर्मला सीतारमन को राफेल के मुद्दे पर सरकार का बचाव करते रहना पड़ा था. अब ऐसी कोई नौबत आती है तो राजनाथ को मोर्चा संभालना पड़ेगा - और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने जैसा सख्त रवैया तो उनका पहले से ही रहा है.
अमित शाह की जब कैबिनेट में एंट्री हुई तो एकबारगी लगा कि बाजार की उनकी गहरी समझ के चलते अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी - लेकिन लगता है उससे ज्यादा पुलिस सुधार की जरूरत महसूस की गयी है. बीते कई साल में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई का जो हाल हुआ है, बहुत बुरा रहा है.
नये भारत के नये मिशन पर साथियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में कोर्ट की टिप्पणी से ऐसा लगा जैसे जानबूझ कर कहानी गढ़ी गयी हो. नाथूराम गोडसे पर बयान के लिए भले ही प्रधानमंत्री मोदी साध्वी प्रज्ञा को कभी माफ न कर पायें - लेकिन अमित शाह की नजर में भोपाल से उनका चुनाव लड़ना तो सत्याग्रह ही रहा. हमेशा की तरह जीत भी सत्याग्रह की ही हुई - और 'भगवा आतंकवाद' के प्रणेता दिग्विजय सिंह को जनता की अदालत में मुंहकी खानी पड़ी. खुद अमित शाह को भी सीबीआई के ऐसे रवैये के चलते जेल तक जाना पड़ा.
2018 जाते जाते तो सीबीआई का झगड़ा आधी रात को सड़क पर ही आ गया. रातोंरात सरकार को बिल्लियों की तरह लड़ रहे दो अफसरों को छुट्टी पर भेज कर तीसरे अफसर को अंतरिम जिम्मेदारी सौंपनी पड़ी. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, सीवीसी ने जांच की और आखिरकार प्रधानमंत्री मोदी वाली समिति ने तत्कालीन सीबीआई निदेशक को बहाल न करने का फैसला किया.
Amit Shah broke the back of terrorism in Gujarat as Home Minister. As union Home Minister he’ll take anti-corruption cases against Vadra, National Herald, Chidambarams & others to a quicker conclusion apart from handling Naxal & Pak terrorism, J&K & keeping an eye on the party
— Minhaz Merchant (@MinhazMerchant) May 31, 2019
सुप्रीम कोर्ट द्वारा कभी 'पिंजरे का तोता' करार दी जा चुकी सीबीआई और ऐसी दूसरी एजेंसियों को एक बार दुरूस्त करने की जरूरत है - और किसी भी चीज को दुरूस्त करना तो अमित शाह का शगल ही रहा है. दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी बनी तो अमित शाह की ही बदौलत है.
पू्र्व विदेश सचिव एस. जयशंकर को सुषमा स्वराज वाली जिम्मेदारी दी गयी है - जिनके बारे में माना जाता है कि चीन और रूस सहित विदेश के ज्यातर मामलों के एक्सपर्ट हैं. भला और क्या चाहिये?
मोदी कैबिनेट 2.0 की 10 खास बातें
1. पीयूष गोयल को रेलवे के साथ साथ वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की भी जिम्मेदारी दी गयी है. वैसे पीयूष गोयल वित्त मंत्री की कुर्सी के भी दावेदार थे - क्योंकि अरुण जेटली के बीमार पड़ने पर पीयूष गोयल से अंतरिम बजट पेश कराकर प्रधानमंत्री आजमा भी चुके थे. जब निर्मला सीतारमन का नाम दिमाग में आया होगा तो पीयूष गोयल तो छंट ही जाने थे.
2. नितिन गडकरी पिछली मोदी सरकार में अपने काम के लिए जाने जाते रहे. बीच में नितिन गडकरी को प्रधानमंत्री पद का भी दावेदार बताया जाने लगा था - क्योंकि संघ प्रमुख मोहन भागवत भी उन्हें विशेष रूप से पसंद करते हैं. बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत ने ऐसी सारी बातों को बहस से बाहर कर दिया और नितिन गडकरी एक बार फिर से अपने सड़क परिवहन और राजमार्ग के साथ साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के काम में जी जान से जुटने वाले हैं.
3. गजेंद्र सिंह शेखावत राजस्थान के बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं और आगे भी उनका भविष्य उज्ज्वल लगता है. गजेंद्र सिंह शेखावत को जल शक्ति मंत्रालय दिया गया है. पहले ये जल संसाधन मंत्रालय के नाम से जाना जाता रहा जिसके साथ नमामि गंगे प्रोजेक्ट भी जुड़ा हुआ था. नमामि गंगे अभियान मोदी सरकार 1 के असफल प्रोजेक्ट में शामिल रहा है. पहले ये विभाग बीजेपी नेता उमा भारती के पास रहा लेकिन बाद में उनसे लेकर नितिन गडकरी को सौंप दिया गया - अब नितिन गडकरी को भी इससे मुक्त कर दिया गया है क्योंकि इसमें काम इतना ही हो पाया है जिसे बता कर चुनाव तो नहीं जीता जा सकता.
4. स्मृति ईरानी को महिला और बाल कल्याण जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया गया है. अमेठी में राहुल गांधी को शिकस्त देने वाली स्मृति ईरानी के लिए ये प्रमोशन माना जा रहा है. पिछली सरकार में ये जिम्मेदारी मेनका गांधी के पास रही, लेकिन इस बार उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया है. वैसे स्मृति ईरानी के पास पुराना कपड़ा मंत्रालय भी बना रहेगा. 2014 में जब मोदी सरकार बनी तो स्मृति ईरानी को HRD मंत्रालय दिया गया था और उस दौरान उनकी डिग्री को लेकर काफी विवाद हुआ था.
5. रमेश पोखरियाल को उत्तराखंड से लाकर इस बार मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे रमेश पोखरियाल निशंक कवि हैं और उनकी कई किताबें भी प्रकाशित हुई हैं. हालांकि, रमेश पोखरियाल का राजनीतिक जीवन काफी विवादित रहा है. वो मुख्यमंत्री थे और जब चुनाव की बारी आयी तो उनकी जगह बीजेपी ने भुवन चंद्र खंडूरी को कमान सौंपी थी.
6. प्रकाश जावड़ेकर भी पिछली सरकार में HRD मंत्रालय का काम संभाल चुके हैं, फिलहाल उनके पास पर्यावरण, वन और क्लाइमेट चेंज के साथ साथ सूचना और प्रसारण मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है.
7. नरेंद्र सिंह तोमर को कृषि और किसान कल्याण के साथ साथ ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग का मंत्री बनाया गया है. मोदी सरकार 1 में कामकाज में ढीलेढाले और किसानों पर बयान देकर विवाद मोल लेने वाले राधामोहन सिंह को इस बार कैबिनेट से बाहर रखा गया है.
8. हर्षवर्धन दिल्ली से जीत कर आने वाले सांसदों में अकेले मंत्री बने हैं. पिछली सरकार में उनका विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तो उनके पास है ही इस बार उनके पेशे से जुड़े - स्वास्थ्य और परिवार कल्याण का भी कार्यभार मिला है. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 2000 से 2002 तक स्वास्थ्य मंत्री रहे सीपी ठाकुर भी पेशे से डॉक्टर हैं..
9. महेंद्रनाथ पांडेय यूपी की तैनाती से लौट आये हैं. 2017 के विधान चुनाव के बाद जब केशव मौर्य को यूपी का डिप्टी सीएम बनाया गया तो महेंद्रनाथ पांडेय को सूबे में बीजेपी की कमान सौंपी गयी थी. यूपी में सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद बीजेपी को बढ़त दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले महेंद्र नाथ पांडेय चंदौली से दूसरी बार लोक सभा पहुंचे हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद भी चंदौली के ही रहने वाले हैं.
महेंद्र नाथ पांडे को मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट रहे स्किल डेवलपमेंट और उद्यमिता मंत्रालय सौंपा गया है. अब तक ये प्रोजेक्ट नाकाम ही साबित हुआ है. मंत्रालय की नाकामी राजीव प्रताप रूडी की कुर्सी तो पहले ही ले चुकी थी, इस बार कैबिनेट में एंट्री भी नहीं लेने दी. राजीव प्रताप रूडी से लेकर कौशल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मोदी के पसंदीदा और ओडिशा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले धर्मेंद्र प्रधान को दी गयी थी - इस बार उन्हें पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्रालय दिया गया है.
10. पटना साहिब में बीजेपी छोड़ कांग्रेस में गये शत्रुघ्न सिन्हा को मात देकर दिल्ली लौटे रविशंकर प्रसाद के पास उनका पुराना काम कानून और न्याय मंत्रालय के साथ साथ संचार और सूचना मंत्रालय बना हुआ है. कर्नाटक से आये प्रह्लाद जोशी को संसदीय कार्य के अलावा कोयला और खनन मंत्रालय भी दिया गया है जहां ट्रांसपेरेंसी की ज्यादा जरूरत होती है.
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