राहुल गांधी और विपक्ष को घेरने के पूरे इंतजाम हैं मोदी सरकार के बजट में
मोदी सरकार को तो चुनावी बजट तो पेश करना ही था, दरकार कुछ ऐसे उपायों की रही जो वोट दिला सके और विपक्षी दलों की कवायद को निष्क्रिय भी कर सके. अंतरिम बजट में राहुल गांधी के लिए कम ही गुंजाइश छोड़ी गयी है.
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अंतरिम बजट के जरिये मोदी सरकार के इरादे सामने आ गये हैं. बजट में लोगों को ये समझाने की कोशिश की ही गयी है कि बीजेपी को ही फिर से क्यों वोट देनी चाहिये - समर्थकों को ये संदेश देने का भी प्रयास है कि इस बार क्या अगली बार भी कांग्रेस या विपक्षी गठबंधन के सत्ता में आने का दूर दूर तक कोई स्कोप नहीं है. बजट के साथ ये बताना कि भारत का अगला 10 साल कैसा होगा, यही जता रहा है.
बजट के माध्यम से राहुल गांधी और विपक्ष के उन सभी सियासी हथियारों को निशाना बनाया गया है जिनके बूते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा सत्ता में न आने देने के दम भरे जा रहे हैं. राफेल डील के जरिये भ्रष्टाचार और किसानों की कर्जमाफी के अलावा कांग्रेस ने एक गरीबी पैकेज भी दिखाया है - अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने सबकी काट पेश कर दी है.
भ्रष्टाचार मुक्त पहली सरकार
मोदी सरकार के खिलाफ अब तक राहुल गांधी का सबसे बड़ा हथियार राफेल डील रहा है. ये राफेल डील ही है जिसके दम पर कांग्रेस अध्यक्ष जहां भी जाते हैं नारे लगवाते हैं - 'चौकीदार चोर है'. ये राफेल डील ही है जो राहुल गांधी इतना सटीक लगता है कि मोदी सरकार पर हमले में बीमार मनोहर पर्रिकर को भी घसीट लेते हैं.
राफेल डील के जरिये राहुल गांधी लोगों को समझाने की कोशिश करते हैं कि मोदी सरकार में भी भ्रष्टाचार हो रहा है. ये भ्रष्टाचार ही है जिसके चलते कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए 2 की सरकार को शिकस्त खानी पड़ी - और ये भ्रष्टाचार ही वो मुद्दा रहा जिसको लेकर जनता ने बीजेपी को वोट दिया और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने.
भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्ता में पहुंची बीजेपी पांच साल बाद फिर से इसे मुद्दा बनाने की तैयारी में है - भ्रष्टाचार मुक्त पहली सरकार. यही बात राष्ट्रपति के बजट अभिभाषण में भी कही गयी और बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने भी यही समझाने की कोशिश की.
समझने की बात ये है कि राहुल गांधी सिर्फ राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर भ्रष्ट होने के आरोप लगा रहे हैं. कभी वो सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो रहा है, तो कभी मनोहर पर्रिकर जैसे बीमार नेता के कंधे पर बंदूक चलाने से उसकी धार कुंद पड़ जा रही है.
बीजेपी की रणनीति इसी पर पूरी मजबूती के साथ पलटवार करने की है. राफेल की काट में मिशेल तो है ही, ईडी ने दो और भी उठा लाया है. तीनों मिल कर जब राफेल के हमले की धार कम कर देंगे तो बीजेपी कहेगी कि पांच साल में भ्रष्टाचार जैसा कुछ नहीं हुआ.
1. नोटबंदी के फायदे : राहुल गांधी नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार को खूब टारगेट करते रहे. ऐसा लगने लगा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेता नोटबंदी से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. अब ऐसा नहीं है. मोदी सरकार फिर से नोटबंदी उपलब्धियां गिनाने लगी है. बजट पेश करते हुए प्रभारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार कालेधन को देश से हटाकर दम लेगी. पीयूष गोयल ने बताया कि नोटबंदी के बाद 1.36 लाख करोड़ रुपये का टैक्स मिला. ये भी बताया कि नोटबंदी के बाद एक करोड़ लोगों ने पहली बार टैक्स फाइल किया.
'वाह-वाह'
2. आरबीआई पर भी हुक्म चलाने वाली सरकार : कांग्रेस और दूसरे विपक्षी नेता मोदी सरकार पर संविधान और संस्थाओं को नष्ट करने के आरोप लगाते रहे हैं. सीबीआई के झगड़े और आरबीआई को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर लगातार हमलावर रहा है, लेकिन अब जवाबी हमले के लिए बीजेपी सरकार आरबीआई को ही आधार बना रही है.
बजट भाषण में पीयूष गोयल ने कहा, 'हमारी सरकार में दम था कि वो रिजर्व बैंक को देश के बैंकों की सही स्थिति देश के सामने रखने को कहे.'
3. कोई नहीं बचनेवाला : विजय माल्या, मेहुल चोकसी और नीरव मोदी के नाम पर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते रहे हैं. पीयूष गोयल ने बताया कि अब तक तीन लाख करोड़ रुपये बैंकों को वापस मिल चुके हैं - और अब बड़े डिफॉल्टर भी सरकार से नहीं बचने वाले.
पीयूष गोयल ने कई तरीके से समझाने की कोशिश की कि अब कोई नहीं बचने वाला. पीयूष गोयल ने कहा कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम से देश की संपत्ति लूटने वालों पर नकेल कसी जा चुकी है. पहले सिर्फ छोटे व्यापारियों पर लोन वापस करने की चिंता रहती थी, अब बड़े व्यापारियों को भी लोन वापस करने की चिंता रहती है.
लड़ाई दिलचस्प है. चुनाव आते आते और ज्यादा होगी. कांग्रेस के 'चौकीदार चोर है' नारे पर बीजेपी का जवाब है - 'चौकीदार ही चोरों को जेल भेजेगा.'
कर्जमाफी नहीं किसानों की आय दोगुनी होगी
ये ठीक है कि कांग्रेस को कर्जमाफी के नाम पर विधानसभा चुनाव में फायदा हुआ है, लेकिन बीजेपी ऐसा नहीं करने वाली है. अव्वल तो बीजेपी सरकार कर्जमाफी को ठीक नहीं मानती, दूसरे ऐसा करने पर कांग्रेस क्रेडिट क्यों लूटे कि उसके दबाव में कदम उठाया गया.
बजट भाषण में भी पीयूष गोयल का जोर 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने पर ही रहा. हाल की रैलियों में प्रधानमंत्री मोदी भी यही समझाते आ रहे हैं. कांग्रेस की कर्जमाफी की काट में बीजेपी सरकार ने वो कामयाब फॉर्मूला लपक लिया है जिसका भारी बहुमत के साथ के. चंद्रशेखर राव के दोबारा सत्ता में आने में महत्वपूर्ण योगदान रहा - 'डायरेक्ट कैश ट्रांसफर'.
'मोदी-मोदी'
पीयूष गोयल ने किसानों के लिए न सिर्फ डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम की घोषणा की, बल्कि लागू भी पीछे की तारीख से करने की घोषणा की है. किसानों के लिए डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम 1 दिसंबर 2018 से लागू की गयी है - और चुनावों से पहले इसकी पहली किस्त किसानों के खातों में पहुंच भी जाएगी. इसके तहत 2-2 हजार रुपये की तीन किस्त किसानों के खातों में ट्रांसफर होनी है.
पीयूष गोयल की इस घोषणा पर सवाल भी उठ रहे हैं. सवाल ये है कि जब बजट 2019-20 के लिए लाया गया है तो उसमें 2018 के प्रावधान कैसे शामिल किये जा सकते हैं. हो सकता है जवाब देने की बारी आये तो सरकार बताये कि योजना लागू पहले ही हो चुकी थी, बजट में सिर्फ जानकारी दी गयी. कांग्रेस ने भी डायरेक्ट कैश स्कीम को वोटों के लिए रिश्वत करार दिया है. वैसे भी इस स्कीम की दूसरी किस्त किसानों के खातों में जा पाएगी या नहीं ये फैसला तो नयी सरकार को लेना होगा. राहुल गांधी ने इसे मोदी सरकार का आखिरी जुमला बजट बताते हुए किसानों के खाते में रोज ₹17 देना उनका अपमान बताया है.
Dear NoMo,
5 years of your incompetence and arrogance has destroyed the lives of our farmers.
Giving them Rs. 17 a day is an insult to everything they stand and work for. #AakhriJumlaBudget
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 1, 2019
गरीबी हटाने के उपाय और भी हैं
गरीबी का एहसास तो उसे ही होता है जिस पर उसकी मार पड़ती है, लेकिन राजनीति चमकाने में ये बड़ा ही कारगर शब्द है. इंदिरा गांधी ने 'गरीबी हटाओ' का ऐसा नारा शुरू किया कि अब राहुल गांधी भी उसके माध्यम से अच्छे दिनों की उम्मीद करने लगे हैं. कर्जमाफी के बाद राहुल गांधी ने गरीबों के लिए न्यूनतम आय गारंटी योजना की बात कही है.
मोदी सरकार ने मनरेगा तो पहले ही झपट लिया था, अब बजट के जरिये कांग्रेस के गरीबी हटाओ फॉर्मूले की भी हवा निकालने में जुट गयी है. प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना, श्रमिकों के लिए न्यूनतम पेंशन स्कीम, श्रमिक की मौत पर मुआवजे की रकम को ढाई लाख से बढ़ा कर 6 लाख किया जाना - आखिर ये सब क्या है?
संसद में वाह-वाह और मोदी-मोदी के बाद सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म और व्हाट्सऐप पर जो लोग जश्न मनाया जा रहे हैं, उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं कि बजट अंरिम रहा या पूर्ण. अगर कोई इसे चुनाव बजट कहता है तो कहता फिरे - फर्क नहीं पड़ता.
जिस तरह नीतीश कुमार ने बिहार में अपनी धाक जमाने के लिए दलितों में से महादलित मथ कर निकाल लिया था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिडिल क्लास में से वोट के हिसाब से एक क्रीमी भी निकाल लिया है - नियो मिडिल क्लास. ये बात भी पीयूष गोयल ने ही बतायी है. दरअसल, टैक्स छूट की जो सीमा ढाई लाख से बढ़ा कर पांच लाख की गयी है उसका दायरे में ये नियो मिडिल क्लास ही है जिनके वोट पाने की होड़ मची है.
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