New

होम -> सियासत

बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 04 फरवरी, 2020 03:41 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

दिल्ली चुनाव (Delhi elections) का प्रचार अभियान अपने निर्णायक चरण में पहुंच गया है. शहादरा में प्रधानमंत्री मोदी ने एक घंटे तक भाषण दिया. वे दिल्ली और देश दोनों को एक साथ संबोधित कर रहे थे. उनके भाषण में शुरुआती 45 मिनट विकास की बातों और दावों को समर्पित थीं. तो आखिरी 15 मिनट उन्होंने शाहीन बाग, जामिया और सिलमपुर के बहाने राष्ट्र वाद का मुद्दा उठाया और देश को तोड़ने वाली राजनीति पर हमला बोला. लेकिन दिल्ली के वोटरों को बीजेपी की तरफ निर्णायक रूप से मोड़ पाने के लिए क्या इतना काफी है? आइए समझते हैं:

दिल्ली चुनाव में उतरते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन सभी लोगों को जवाब दे‍ दिया, जो कह रहे थे कि बीजेपी के पास अरविंद केजरीवाल से मुकाबले के लिए कोई मुद्दा नहीं है. उन्हों ने चुन-चुनकर वो मुद्दे उठाए जो केजरीवाल को बैकफुट पर ले जाने के लिए काफी हैं.

1. यूपी-बिहार वाले: दिल्ली में रहने वाले बाहरी लोगों को संबोधित किया. बंटवारे के बाद आए शरणार्थी भी मोदी के भाषण का हिस्सा बने. बंटवारे के बाद पाकिस्तान से दिल्ली आए लोगों पर मोदी की बात का कितना असर होगा, यह तो पता नहीं लेकिन शहादरा सहित पूर्वी दिल्‍ली में रह रहे यूपी-बिहार और अन्य राज्यों से आए लोगों को मोदी ने याद दिला ही दिया कि केजरीवाल ने किस तरह तंज किया था कि वे यहां आकर 500-500 रु. में इलाज करवाकर चले जाते हैं. याद रखिए किसी भी कम्युानिटी को अपना अपमान गवारा नहीं होता. नीतीश कुमार पहले ही कह गए हैं कि बिहार से आने वाली बसों को दिल्ली में आने से रोका जा रहा है.

2. अवैध कॉलोनियों के वोटर: मोदी दावा करते हैं कि उनकी सरकार ने दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली के 40 लाख लोगों को अवैध कॉलोनियों की समस्या से मुक्त किया. जिनके लिए अपने मकान की रजिस्ट्रीि कराना सपना था, हमने वो सपना पूरा किया. अब सरकारी बुल्डोलजर से डर की जरूरत नहीं. वे भाजपा की सरकार बनने पर इन कॉलोनियों के लिए विकास बोर्ड बनाने की बात भी कहते हैं. जहां झुग्गी होगी, वहां पक्का घर बनेगा. जिसमें टायलेट होगा, बिजली होगी, गैस होगी, नल होगा, नल में जल होगा, और जल भी शुद्ध होगा. 2022 तक हर गरीब बेघर को अपना घर देने का जो सपना है, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यह उसी का हिस्साघ है. प्रधानमंत्री मोदी इसी के साथ केजरीवाल सरकार पर हमला बोलते हुए कहते हैं कि दिल्ली सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना को लागू नहीं होने देना चाहती है. हमने देश में दो करोड़ घर बनाए, लेकिन यहां की सरकार ने एक भी घर नहीं बनने दिया. जब तक ये लोग बैठे रहेंगे, वे दिल्ली के लोगों की भलाई के काम में रुकावट डालते रहेंगे.

3. छोटे कारोबारी: दिल्ली  के वोटरों में एक बड़ा तबका छोटे व्याेपारियों का है. जिन्हें टारगेट करते हुए मोदी कहते हैं कि हमने 5 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों को चार्टर्ड अकाउंटेंट से ऑडिट कराने की बाध्यता से मुक्ति दे दी है. इसके अलावा टैक्स अथॉरिटी के दबाव से मुक्ति के लिए इनडायरेक्टा टैक्स सेटलमेंट शुरू किया, जिसने अनेक व्यापारियों को कानूनी केस से बचा लिया. ऐसी ही मांग डायरेक्ट टैक्स के लिए की गई. इस बजट में हमने डायरेक्ट टैक्स सेटलमेंट की शुरुआत की. हमने आधूनिक तकनीक की मदद से टैक्स अफसर और व्यापारियों के बीच रिश्ताे ही खत्म करने जा रहे हैं.

narendra modi rally, delhi electionमोदी ने दिल्‍ली चुनाव मैदान में उतरते ही अपने इरादे साफ कर दिए हैं.

4. केजरीवाल का लोकपाल कहां है?: मोदी अपने भाषण में तंज कसते हुए कहते हैं वैसे देश को तो लोकपाल मिला लेकिन दिल्ली के लोग अब भी लोकपाल का इंतजार कर रहे हैं. उन बड़ी बड़ी बातों, बड़े बड़े आंदोलन का क्या हुआ. जब नीयत साफ होती है, तभी फैसले लिए जाते हैं. इसी के साथ दिल्ली में परीक्षा की तैयारी में लगे छात्रों पर मोदी ने फोकस किया, और उनके लिए एक बड़ी योजना का एलान किया. गैर-राजपत्रित पदों पर नियुक्ति के लिए एकल परीक्षा का प्रावधान. अभी इन परीक्षाओं के लिए अलग-अलग परीक्षा देने की जरूरत होती है. अब एक ही परीक्षा से अलग-अलग सेवाओं में नियुक्तत किया जा सकेगा. इसके लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का गठन किया जा रहा है.

5. दिल्ली के दो दशक बर्बाद हो गए: प्रधानमंत्री मोदी ने शीला दीक्षित सरकार के 15 साल और केजरीवाल सरकार के 5 सालों को मिलाकर 20 साल का रिपोर्ट कार्ड जीरो के रूप में पेश किया. उन्होंने कांग्रेस और आप सरकारों को दिल्ली के साथ छल करने का आरोप लगाया. इसके बाद अपने कामों का एक सांस में ब्यौरा पेश करते हुए कहा कि हम जो कहते हैं वो करते हैं. 21वीं सदी के दो दशक ऐसे लोगों के हाथों में गए, जिन्होंने सिर्फ बर्बादी फैलाई. अब दिल्लीी में भाजपा का आना जरूरी है. वे कहते हैं कि विपक्ष को मुझसे शिकायत है कि इतनी जल्दी क्यां है, इतनी तेजी क्यों है. एक के बाद एक इतने बड़े बड़े फैसले क्यों ले रहे हो. देश को तरक्की करनी है तो दशकों पुरानी बुराइयों को दूर करना पड़ेगा. यही पूरे देश की अपेक्षा है, यही जनादेश है. और हम इसी पर काम कर रहे हैं.

6. सेना और सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वाले केजरीवाल: केजरीवाल की ओर इशारा करते हुए मोदी कहते हैं कि कुछ लोग राजनीति बदलने आए थे. उनका नकाब उतर गया है. उनका मकसद सामने आ गया है. जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी, तब वे सेना पर सवाल उठाने और वीर जवानों को सवालों के कठघरे में खड़ा करने आए थे. वीर जवानों पर शक किया था कि क्या इन्होंने पाकिस्तानी आतंकियों को घर में घुसकर मारा भी या नहीं? क्याक दिल्ली वालों ने सेना का अपमान करने वाला नेतृत्व चाहा था?

7. टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथी: मोदी ने अपने भाषण में बाटला हाउस कांड का भी जिक्र किया. वे याद दिलाते हैं कि आतंकवाद के गुनाहगारों को दिल्ली पुलिस ने बाटला हाउस के एनकाउंटर में मार गिराया, तो उस एनकाउंटर को फर्जी एनकाउंटर कहा गया. इन्हीं लोगों ने एनकाउंटर करने वाली दिल्ली पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. यही वो लोग हैं जो भारत के टुकड़े टुकड़े करने की इच्छा रखने वालों को आज तक बचा रहे हैं. इसकी वजह है वोट बैंक की राजनीति, तुष्टिकरण की राजनीति. क्या ऐसे लोग सुरक्षित वातावरण दे सकते हैं. कतई नहीं दे सकते हैं.

8. CAA protest पर दो टूक बातें: सिलमपुर हो, जामिया हो या फिर शाहीन बाग, बीते कई दिनों से CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए. मोदी इसे साजिश के रूप में देखते हैं. वे सवाल पूछते हैं कि क्या ये संयोग है? जी नहीं, ये एक प्रयोग है. इसके पीछे राजनीति का ऐसा डिजाइन है, जो राष्ट्र के सौहार्द्र को खंडित करने के इरादे रखता है. यदि ये कानून का विरोध होता तो सरकार के आश्वासन के बाद इसे समाप्त हो जाना चाहिए था. लेकिन आम आदमी पार्टी और कांग्रेस राजनीति का खेल खेल रहे हैं. अब सारी बातें उजागर हो गई हैं. संविधान को आगे रखते हुए ज्ञान बांटा जा रहा है, और असली साजिश से ध्यान हटाया जा रहा है. दिल्ली से नोएडा आने-जाने वालों को जो तकलीफ हो रही है, उसे दिल्ली का वोटर देख रहा है. वह इस वोटबैंक की राजनीति को समझ भी रहा है. इस साजिश को यहीं रोकना जरूरी है. वरना कल किसी और सड़क और किसी और गली को रोकने का काम करेगा. भाजपा को दिया गया हर वोट इस काम को करने की ताकत रखता है.

9. और आखिर में अपने नाम पर वोट: दिल्ली को सुरक्षित बनाने के लिए कमल पर बटन दबाइए. दिल्ली विधानसभा में भाजपा को मिला वोट केंद्र में मुझे भी ताकतवर बनाएगा.

निष्कर्ष: दिल्ली चुनाव में उतरे प्रधानमंत्री मोदी का भाषण अपने आप में मेनिफेस्टो भी था, और मुद्दा भी. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या ये दिल्ली के वोटरों को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए काफी था? दिल्ली का वोटर सूझ-बूझ और लेन-देन वाला है. 2015 में वह केजरीवाल को 70 में से 67 सीटें देता है, तो 2019 के लोकसभा चुनाव में उसी केजरीवाल को तीसरे पायदान पर फेंक देता है. लेकिन 2020 में बात फिर दिल्ली विधानसभा की है. और मोदी ने अपने भाषण में तमाम वादे और बातें प्रधानमंत्री होने के नाते कही हैं. जो यदि पूरे देश पर लागू होती हैं तो दिल्ली में भी लागू होंगी ही. दिल्ली ने देश का मजबूत प्रधानमंत्री चुन लिया है. अब बारी एक मजबूत मुख्यमंत्री चुनने की है. प्रधानमंत्री मोदी की बातों में भले दम हो, लेकिन उसे दिल्ली के वोटर के दरवाजे तक ले जाने वाला भरोसेमंद चेहरा नहीं है. जो उसे घर से निकालकर बीजेपी के पक्ष में मतदान करवा सके. दिल्ली ही केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की सारी जमा-पूंजी है. जबकि मोदी और बीजेपी के लिए दिल्ली सिर्फ एक और चुनाव. दिल्ली में बीजेपी का कोई नेता इसे जीने-मरने का चुनाव बनाकर मैदान में नहीं उतरा है. बीजेपी ने शाहीन बाग प्रोटेस्ट को चुनावी मुद्दे के रूप में विकसित तो कर लिया है, लेकिन क्या ये दिल्ली के वोटर के लिए स्थायी मुद्दा है? इसका जवाब बहुत आत्मविश्वास से नहीं दिया जा सकता. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्वी को चुनाव लड़ने की प्रैक्टिस है, इसलिए उसका कॉ‍न्फिडेंस दिखता है, लेकिन दिल्ली के स्थानीय नेतृत्व में इसी कॉ‍न्फिडेंस की कमी है.

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय