Mood of the Nation: बंटा हुआ विपक्ष मोदी के 'पक्ष' में जा रहा है
इंडिया टुडे के Mood of the Nation सर्वे के अनुसार अगर मौजूदा समय में चुनाव हो जाएं तो भाजपा एक बार फिर से जीत जाएगी. बंटा हुआ विपक्ष मोदी की ताकत बनता दिख रहा है.
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पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए एक बार फिर से सत्ता में आने के लिए तैयार है. इंडिया टुडे के 'Mood of the Nation July 2018' के सर्वे के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनावों में भी एनडीए सत्ता में आती हुई दिख रही है. हालांकि, इसमें सबसे अहम रोल क्षेत्रीय पार्टियों का है. सर्वे के अनुसार अगर मौजूदा समय में चुनाव हो जाएं तो इस समय के राजनीतिक माहौल के हिसाब से भाजपा एक बार फिर से जीत जाएगी. कांग्रेस की यूपीए का देश की सत्ता में आने और मोदी-शाह की जोड़ी को हराने का सपना अभी पूरा होने वाला नहीं दिख रहा. चलिए जानते हैं किसे मिलेंगी कितनी सीटें.
देश की सत्ता हासिल करने के लिए अभी राहुल गांधी को और मेहनत करने की जरूरत है.
किसे मिल रही कितनी सीटें?
इस सर्वे के अनुसार अगर अभी चुनाव होते हैं तो एनडीए के खाते में करीब 281 सीटें होंगी, जो कुल सीटों से आधे से 9 अधिक है. यानी एनडीए का सिर्फ अपने ही दम पर सत्ता में आना पक्का है, क्योंकि बहुमत उसे मिल ही जाएगा. वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस की यूपीए भी 2014 के मुकाबले 20 सीटें अधिक जीतेगी, लेकिन बावजूद इसके सत्ता का सफर अभी कांग्रेस के लिए लंबा है. इन सबके बावजूद यूपीए 122 सीटें जीतने में सफल रहेगी. इसके अलावा अगर अन्य की बात करें तो उनके पास 140 सीटे हैं. अगर पूरा यूपीए और अन्य पार्टियां मिल भी जाएं तो भी एनडीए ही जीतेगी.
सिर्फ अपने ही दम पर बहुमत पाने में सझम है एनडीए.
भाजपा तब हारेगी जब...
अगर नीतीश कुमार की जेडीयू किसी कारणवश भाजपा का दामन छोड़ देती है, तो चुनावी आंकड़े बदल जाएंगे और भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ सकता है. अगर भाजपा अकेली लड़ी तो वह सिर्फ 245 सीटें ही जीत पाएगी, लेकिन बावजूद इसके वह देश की सबसे बड़ी पार्टी रहेगी.
अकेले-अकेले लड़े तो कोई पार्टी नहीं हासिल कर सकेगी बहुमत.
वहीं दूसरी ओर, अगर जेडीएस ने कांग्रेस को छोड़ दिया तो भी आंकड़े बदल जाएंगे. सिर्फ कांग्रेस को इस चुनाव में महज 83 सीटें मिलेंगी. यूं तो ये आंकड़ा पिछली बार की तुलना में करीब दोगुना है, लेकिन बावजूद इसके सीटों की संख्या बेहद कम है. टीडीपी और पीडीपी जैसी पार्टियां जिस गठबंधन का हिस्सा बनेंगी, उसकी जीत के चांस बढ़ सकते हैं.
वो क्या है, जिससे मोदी सरकार को नुकसान हुआ?
यूं तो मोदी सरकार को हुआ नुकसान बहुत ही मामूली है, लेकिन फिर भी उस ओर ध्यान देना जरूरी है, जिसने मोदी सरकार की लोकप्रियता को कम किया है. दरअसल, इसकी सबसे बड़ी वजह है नोटबंदी. मोदी सरकार का ये सबसे बड़ा पॉलिसी डिसीजन था, जिसे 9 नवंबर 2016 से लागू किया गया था और 500-1000 के सभी पुराने नोट बंद कर दिए गए थे. करीब तीन-चौथाई (73 फीसदी) लोगों ने कहा कि नोटबंदी से जितना फायदा हुआ, उससे कहीं अधिक दिक्कतें लोगों को झेलनी पड़ीं.
ये मुद्दे बदल सकते हैं चुनावी समीकरण
बेरोजगारी, बढ़ती कीमतें और भ्रष्टाचार इस समय भारत में सबसे बड़ी समस्याएं हैं. 34 फीसदी लोगों को बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा लगती है, 24 फीसदी लोगों को लगातार बढ़ती कीमतें सता रही हैं और 18 फीसदी लोग भ्रष्टाचार से परेशान हैं. इन मुद्दों पर जिस भी पार्टी ने सही दाव खेल लिया, सत्ता बेशक उसके हाथ में आ जाएगी. लेकिन फिर चुनौती होगी अपने वादों को पूरा करने की, क्योंकि बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को खत्म करने का नारा देकर तो भाजपा भी सत्ता में आई थी, लेकिन अभी भी ये समस्याएं बनी हुई हैं.
मौजूदा समय में इन मुद्दों से परेशान है देश.
अब भी मोदी ही हैं फेवरेट
अगर बात की जाए लोकप्रियता की तो मोदी की तो अभी भी 55 फीसदी लोग नरेंद्र मोदी को ही दोबारा पीएम बना हुआ देखना चाहते हैं. हालांकि, जनवरी में हुए सर्वे की तुलना में मोदी की लोकप्रियता कुछ घटी है, लेकिन अन्य नेताओं से वह अभी भी बहुत ऊपर हैं. वहीं 56 फीसदी लोग एनडीए सरकार के प्रदर्शन से भी खुश हैं. यानी कुल मिलाकर लोग दोबारा से मोदी सरकार को ही सत्ता में देखना चाहते हैं. करीब 47 फीसदी लोग मानते हैं कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का पुनरुत्थआन हो सकता है. 46 फीसदी लोग ये भी मानते हैं कि अगर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाया जाता है तो ये बात अन्य विपक्षी पार्टियों के गले आसानी से उतर जाएगी.
इन आंकड़ों के देख कर एक बात तो साफ हो जाती है कि कोई भी पार्टी अकेले 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं जीत सकती है. अब अगर देखा जाए तो कांग्रेस सिर्फ अपने दम पर तो जीतने से रही और नीतीश कुमार समेत सारा विपक्ष कांग्रेस से मिल जाए, ऐसा भी होना मुमकिन नहीं लगता है. अगर विपक्ष पूरी तरह से एकजुट हो गया और भाजपा अकेली रह गई, तब तो भाजपा की हार पक्की है, लेकिन बंटा हुआ विपक्ष निश्चित रूप से सत्ता फिर से भाजपा के हाथों में दे देगा, जिसकी संभावनाएं अधिक हैं.
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