ज्यादातर नेता गोली मारने लायक हैं - काटजू
जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि देश के ज्यादातर नेता ऐसे हैं जिन्हें गोली मार देनी चाहिए. जस्टिस काटजू ने कहा है कि उन्हें भारतीय होने पर गर्व है.
-
Total Shares
जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि देश के ज्यादातर नेता ऐसे हैं जिन्हें गोली मार देनी चाहिए. जस्टिस काटजू की ये टिप्पणी भारतीयों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के दरम्यान आई है, जिसको लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है.
जस्टिस काटजू ने अपने ब्लॉग 'सत्यम ब्रूयात' भारत के समृद्ध इतिहास का हवाला देते हुए अपनी बात के पीछे तर्क पेश किया है. हालांकि इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का कहीं नाम नहीं लिया है. जस्टिस काटजू ने कहा है कि उन्हें भारतीय होने पर गर्व है.
काटजू का ब्लॉग
"मुझे भारत में कई चीजों से नफरत है. मुझे बड़े पैमाने पर यहां फैली गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, आम जनता के लिए स्वास्थ्य और अच्छी शिक्षा की कमी, 50 फीसदी से ज्यादा बच्चों का कुपोषण का शिकार होना, किसानों की आत्महत्या, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति, जातिवाद, सांप्रदायिकता, अंधविश्वास, नेताओं (जिनमें से ज्यादातर गोली मार दिए जाने के लायक हैं) से नफरत है. मीडिया का ज्यादातर हिस्सा जो इस कदर निचले स्तर पर गिर चुका है कि जनता का ध्यान जरूरी मुद्दों से भटकाने के लिए फिल्म और क्रिकेट की जिन्दगी और ज्योतिष से जुड़े तुच्छ मुद्दों को ज्यादा अहमियत देता है.
मैंने कभी नहीं सोचा कि भारत में पैदा होकर मैंने कोई गुनाह किया है, जैसा कि एक महान व्यक्ति ने कोरिया में कहा है. भारत में कई बुराइयों के बावजूद मुझे भारतीय होने पर गर्व है. भारत में मौजूद बुराइयों से नफरत करने के बाद भी मैं इसके विज्ञान, कला, साहित्य, दर्शन, संस्कृति में हमारे पूर्वजों की उपलब्धियों और भगत सिंह, सूर्यसेन (मास्टर दा), चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्ला खां, राजगुरु, खुदीराम बोस जैसे नायकों की बहादुरी से चमत्कृत और स्तब्ध हूं.
दुनिया ने अब तक सबसे महान राजा कौन सा देखा है? वह महान सम्राट अकबर थे, जो कि अपने समय से 200 साल आगे थे. जब यूरोप में धर्म के नाम पर लोग एक दूसरे को मार-काट रहे थे, अकबर ने 'सुलह-ए-कुल' की नीति को अपनाया जो सभी धर्मों के लिए वैश्विक सहिष्णुता पर आधारित था.
किसने शून्य और दशमलव का आविष्कार किया, यह अपने समय में सबसे महान वैज्ञानिक खोजें थीं. इनके बिना ज़रा सी भी प्रगति संभव नहीं थी, ऐसे थे हमारे पूर्वज.
दुनिया में सबसे पहले करुणा, नैतिकता (अष्टांग मार्ग) और इंसानों के बीच समानता की शिक्षा और संदेश प्रसारित करने वाला कौन था? वे थे गौतम बुद्ध और उनके सबसे महान शिष्य सम्राट अशोक जिन्होंने विश्व में सबसे पहले कल्याणकारी राज्य के सिद्धांत को धारण और लागू किया.
सभी भाषाओं में सबसे अधिक वैज्ञानिक भाषा कौन सी है? वह है संस्कृत.
दुनिया में सबसे प्रभावशाली तरीके से इंसानी दिल के जज्बातों को रखने वाली काव्य विधा कौन सी है? वह उर्दू की शेरो-शायरी और ग़ज़ल है.
मैं ऐसे कई और उदहारण दे सकता हूं. फेरहिस्त बहुत लंबी है.
हां, यह सही है कि आज हमारे समाज में कई बुराइयां व्याप्त हैं (जातिवाद, सांप्रदायिकता, अंधविश्वास आदि) और हम इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं, जो शायद अगले 20 वर्षों तक जारी रहेगा और हमारे लिए काफी दर्द भरा होगा. लेकिन इसका यह मतलब हरगिज नहीं कि हम अपने देश से नफरत करें? नहीं, अब इतिहास का वह दौर आ चुका है, जब देश को विकराल बन चुकी इन समस्याओं से निजात दिलाने वाले सच्चे देशभक्तों की जरूरत है.
मेरे पास ज्यादा वक्त (मैं 69 साल का हूं) नहीं है. जिंदगी के इस बचे हिस्से में अब मैं भारतीय युवाओं को वह सही राह दिखाता रहूंगा जो इस देश की विकराल समस्यायों का समाधान करें और हर भारतीय को सम्मानजनक जीवन जीने का मौका दे सकें. भारत के युवा ही भारत के भाग्य-विधाता है और देश का उज्जवल भविष्य इन्हीं पर निर्भर करता है. क्या आप इस चुनौती को स्वीकार करेंगे या मेरी आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह अनसुनी रह जाएगी?"
आपकी राय