दाऊद भाई बर्थडे पर सीरियल ब्लास्ट मत करवाना
दाऊद के जश्न में भले ही उसके अपने शुमार हों, पाकिस्तान में वो पटाखे फोड़े या फिर बम ये पाकिस्तान या आईएसआई जानें. लेकिन भारत में उसकी किसी भी हरकत या साजिश पर पाकिस्तान को नकेल टाइट रखनी होगी.
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भारत का मोस्ट वॉन्टेड क्रिमिनल और अमेरिका के ग्लोबल टेररिस्ट लिस्ट में शामिल दाऊद इब्राहिम 26 दिसंबर को अपना 60वां जन्मदिन मनाने जा रहा है. डी-कंपनी में पार्टनर छोटा शकील और भाई अनीस इब्राहिम बर्थडे सेलीब्रेशन की तैयारियों में लगे हैं. बर्थडे बैश का वेन्यू मोस्ट अनवॉन्टेड गेस्ट से पूरी तरह गोपनीय रखा गया है क्योंकि हाल ही में भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बैंकॉक में अपने पाकिस्तानी समकक्ष नासिर खान जांजुआ से मुलाकात में दाऊद पर नया डोजियर सौंपा है. इतना तो तय है कि जन्मदिन की पार्टी पाकिस्तान के किसी शहर में होने जा रही है.
ऐसा नहीं है कि इससे पहले दाऊद इब्राहिम का जन्मदिन सुर्खियों में नहीं रहा है. 1986 में भारत से फरार होने से पहले मुंबई में बॉलीवुड समेत राजनीतिक और कारोबारी हलकों में यह साल का सबसे अहम दिन माना जाता था. महीनों पहले से पार्टी का थीम, वेन्यू और संभावित मेहमानों पर चर्चा शुरू हो जाती थी. आमतौर पर पार्टी मुंबई के किसी पांच सितारा होटल या सुदूर इलाकों में किसी बीच के किनारे आयोजित की जाती थी. उस दौर के नामचीन बॉलीवुड सितारों के रंगारंग कार्यक्रमों से महफिल में चार चांद लगता रहा और रात के 12 बजे मुंबई का सबसे बर्थडे ‘हैपी बर्थडे टू यू...’ ऐसे गाया जाता था जैसे वही ‘सॉंन्ग ऑफ द इयर’ हो.
इस बात में कोई शक नहीं कि दाऊद मुंबई का सबसे बड़ा डॉन बनने में कामयाब हुआ लेकिन वह मुंबई का पहला डॉन नहीं था. 1970 और 1980 के दशक में मुंबई पर तीन डॉन की तिकड़ी (हाजी मस्तान, करीम लाला और वर्दराजन मुदलियार) का दबदबा था. इस दौर में इन तीनों की कमाई का प्रमुख स्रोत सोना, चांदी और इलेक्ट्रॉनिक गुड्स की स्मग्लिंग, जुआ और शराब का अड्डा और किडनैपिंग हुआ करता था. हाजी मस्तान और वर्दराजन मुदलियार तमिलनाडु के मूल निवासी थे वहीं करीम लाला अफगानिस्तान के पश्तून मूल का था. जहां हाजी और मुदलियार के तार तमिलनाडु के कई नेताओं से जुड़े माने जाते थे, वहीं करीम लाला के अफीम कारोबार के चलते पाकिस्तान से संबंध जोड़ा जाता था. शुरुआती झगड़ों के बाद इन तीनों ने आपस में मुंबई के इलाकों का बंटवारा कर लिया था, ताकि बगैर आपसी दखलंदाजी के ये काला कारोबार चलता रहे.
1980 के दशक के शुरुआती वर्षों में हाजी मस्तान के गैंग से दाऊद इब्राहिम ने जन्म लिया और देखते ही मुंबई के अंडरवर्ल्ड के साथ वहीं हुआ जो मार्क्स ने हीगेल के साथ किया. इस दशक में मुंबई में गैंगवॉर की शुरुआत हुई, हाजी मस्तान और वर्दराजन मुदलियार के उसूलों को चुनौती देकर पलट दिया गया, बिल्डर, बॉलीवुड और राजनीतिक गलियारों से फिरौती बटोरी जाने लगी और पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान से ड्रग्स की सप्लाई के तार और मजबूत होते गए. इस दौर में मुंबई का नया चेहरा उभर रहा था. बदलाव इतना जबरदस्त था कि महाराष्ट्र में बाल ठाकरे ने गुजरात और तमिलनाडु से आए माइग्रेंट का विरोध करते करते यूपी और बिहार के लोगों को बाहरी बता कर अपनी राजनीति चमका ली.
तब तक दाऊद मुंबई के हर काले कारोबार में पैर जमा चुका था. लेकिन मुंबई माफिया के बदले स्वरूप के चलते शिकंजा दाऊद पर भी कसने लगा था. 1986 में दाऊद ने भारतीय क्रिकेट टीम के सभी सदस्यों को कार गिफ्ट करने की पेशकश की बशर्ते वह शरजाह में पाकिस्तान को फाइनल मैच में हरा दे. मैच फिक्सिंग के इस मामले में दाऊद की गिरफ्तारी के कयास लगाए जाने लगे थे जिससे बचने के लिए वह भारत छोड़कर दुबई चला गया और वहीं से अपना गैंग संचालित करने लगा.
1993 में मुंबई के सीरियल धमाकों में पाकिस्तानी लिंक के तौर पर दाऊद इब्राहिम और उसकी गैंग का नाम सामने आने लगा. दाऊद पर आरोप लगा कि उसने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और आतंकी संगठनों के साथ साठ-गांठ कर इन धमाकों को अंजाम दिया, जिसमें 257 लोग मारे गए और 700 से अधिक लोग घायल हुए. यह घटना मुंबई के अंडरवर्ल्ड के नए चेहरे को हाजी मस्तान और वर्दराजन मुदलियार के अंडरवर्ल्ड से अलग करती है. मुंबई का भगोड़ा डॉन अब इंटरनैशनल टेररिस्ट बन चुका था.
मुंबई धमाकों के दो प्रमुख आरोपी दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन अब भी कानून की गिरफ्त से बाहर हैं. पाकिस्तान में उनके छिपे होने के पुख्ता सबूत बार बार सौंपे जाने के बावजूद पाकिस्तान उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेता. 9/11 हमलों के बाद अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने अल-कायदा और तालिबान के वित्तीय मामलों में दाऊद के हाथ होने का पता चलने के बाद उसे ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित कर दिया. क्रिसमस के अगले दिन दाऊद इब्राहिम के 60 साल तो पूरे हो रहे हैं लेकिन सीरियल ब्लास्ट पीड़ितों को मिला इंसाफ तब तक अधूरा रहेगा जब तक दाऊद भारत के हवाले नहीं किया जाता.
दाऊद के जश्न में भले ही उसके अपने शुमार हों, पाकिस्तान में वो पटाखे फोड़े या फिर बम ये पाकिस्तान या आईएसआई जानें. लेकिन भारत में उसकी किसी भी हरकत या साजिश पर पाकिस्तान को नकेल टाइट रखनी होकी. पेरिस में सोफे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बात नवाज को जरूर समझाई होगी - और पाकिस्तान को इसे बार बार याद दिलाने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए.
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