पूर्वांचल में मुस्लिम वोट पलट सकते हैं अखिलेश की बाजी!
मुख्तार अंसारी और अफ़ज़ाल अंसारी भले दबंग और बाहुबली माने जाते हों. भले ही उनके आपराधिक रिकॉर्ड इलाके में उनके दहशत की दास्तां लिखते हों. लेकिन ये भी सच है मुसलमानों के एक तबके में उनकी अच्छी पकड़ रही है.
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क़ौमी एकता दल प्रकरण का फायदा पूर्वांचल में बसपा को मिल सकता है. अंसारी भाइयों ने इसे मुसलमानों के सम्मान से जोड़ा तो यकीन मानिए समाजवादी पार्टी का वोटबैंक दरक सकता है.
पूर्वांचल में मुसलमानों में समाजवादी पार्टी को लेकर एक तरह का गुस्सा दिखाई दे रहा है. ये गुस्सा अंसारी भाइयों की बेइज्जती से जुड़ा है. जिस क़ौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय के खिलाफ स्टैंड को लेकर अखिलेश यादव ने प्रदेशभर में सुर्खियां बटोरी, वही राजनैतिक स्टैंड पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी नेताओं के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है.
मुख्तार अंसारी और अफ़ज़ाल अंसारी भले दबंग और बाहुबली माने जाते हो, भले ही उनके आपराधिक रिकॉर्ड इलाके में उनके दहशत की दास्तां लिखते हो. लेकिन ये भी सच है मुसलमानों के एक तबके में उनकी अच्छी पकड़ रही है. मऊ से लेकर महाराजगंज या फिर वाराणसी तक के मुसलमानों पर ये अपना प्रभाव रखते हैं.
यूपी में अखिलेश का खेल बिगाड़ेंगे मुख्तार अंसारी |
गोरखपुर के सबसे पुराने दरगाह हजरत बाबा मुबारक खां की दरगाह पर आजतक को कई ऐसे लोग मिले जो अखिलेश यादव को तो निजी तौर पर पसंद करते हैं लेकिन अफ़ज़ाल अंसारी के साथ जो हुआ उसे मुसलमानो की बेइज्जती करार दे रहे हैं. इस दरगाह में मिले सैयद शादाब और सैयद सहफुद्दीन कहते हैं अगर मुख्तार और अफ़ज़ाल अपराधी है तो क्या राजा भैया शरीफ हैं? जिन्हें समाजवादी पार्टी ने आंखों का नूर बना रखा है, सैयद शादाब के मुताबिक समाजवादी पार्टी को इस चुनाव में ये बेइज़्ज़ती महंगी पड़ेगी.
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इसी दरगाह से जुड़े मो. इकरार कहते हैं कि जब एमएलसी चुनाव में अफ़ज़ाल और मुख्तार की जरूरत हो तो वे अच्छे लोग हो जाते हैं. और जब काम निकल गया तो अपराधी, सपा का ये डबल स्टैंडर्ड नहीं चलेगा. अब सवाल हमारी इज़्ज़त का है. पहले तो हमारे वोट बंट जाते थे लेकिन हम इसकी सजा समाजवादी पार्टी को जरूर देंगे.
मुख्तार अंसारी की क़ौमी एकता दल ने भी इसे अपनी जीत से कहीं ज्यादा स्वाभिमान से जोड़ दिया है. इसलिए वो अब इस मुद्दे को मुसलमानों के जलसों , दरगाहों तक चर्चा के तौर पर ले जा रहे हैं. गोरखपुर के मो. एजाज कहते हैं कि अगर कुछ महीनों में ये बात मुसलमानों में बैठ गई जिसकी सुगबुगाहट सुनाई भी देने लगी है तो ये समाजवादी पार्टी को चुनाव में कम से कम पूर्वी उत्तर प्रदेश में उसकी औकात दिखा देगा.
समाजवादी पार्टी से मुसलमानो के गुस्से का सीधा फायदा बसपा को हो सकता है. क्योंकि मुसलमान मानते है कि मायावती इकलौती ऐसी नेता हैं जो न सिर्फ बीजेपी को टक्कर दे सकती है बल्कि उनकी जीत से समाजवादी पार्टी से हिसाब भी चुकता किया जा सकता है. अफ़ज़ाल अंसारी ने अगस्त के दूसरे हफ्ते में मऊ में अपने पार्टी का खुला अधिवेशन बुलाया है, जिसमें समाजवादी पार्टी को हराने के अपने एजेंडे को अपनी जीत से कही ऊपर रखने की योजना है. और शायद इसलिए, पूर्वांचल के मुसलमानों के बीच बस समाजवादी पार्टी के हाथों हुई बेइज़्ज़ती को सबसे बड़े मुद्दे के तौर पर ले जायेगा.
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एक तरफ मुसलमान अपने अहम की लड़ाई लड़ रहे है. तो दूसरी ओर इसी पूर्वांचल में बीजेपी छोटी छोटी जातियों को अपने पाले में करने में लगी है. ऐसे में मुसलमानों के वोट अगर दरके तो समाजवादी पार्टी केलिए ये लड़ाई मुश्किल हो जाएगी. लखनऊ में जिस लड़ाई को बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच माना जा रहा है, ये पूर्वांचल आते-आते बीजेपी बनाम बसपा होता दिख रहा है. ऐसे में समाजवादी पार्टी को सबसे पहले पूर्वांचल के मुसलमानों में उपजे इस गुस्से से निबटना होगा.
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