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Updated: 27 फरवरी, 2018 03:54 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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करीब डेढ़ साल पहले 15 अक्टूबर 2016 को दिल्ली के जेएनयू से लापता हुआ नजीब अहमद एक बार फिर से खबरों की सुर्खियां बन रहा है. एबीवीपी से हुई मारपीट के बाद लापता होने के दिन से ही नजीब को लेकर दो फाड़ हो गए थे. एक पक्ष का मानना था कि एबीवीपी ने ही नजीब को गायब किया है, जबकि एबीवीपी का आरोप था कि नजीब आईएसआईएस से जा मिला है. उसी दौरान एक खबर भी वायर हुई, जिसमें नजीब ने कहा था कि वह अपनी मंजिल तक पहुंच चुका है और आईएसआईएस में शामिल हो गया है. हालांकि, बाद में इस बात की पुष्टि हुई कि वह शख्स जेएनयू का नजीब नहीं है. उसी पुरानी खबर को एक बार फिर से नजीब अहमद से जोड़कर सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है. सोमवार, 26 जनवरी को जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की वाइस प्रेसिडेंट शेहला राशिद जेएनयू से गायब हुए नजीब अहमद के मामले में प्रदर्शन करने सीबीआई के मुख्यालय पहुंचीं. उनका आरोप था कि पुलिस इस मामले में ढिलाई बरत रही है. लेकिन तभी एक खबर सोशल मीडिया पर वायरल (Najeeb Fake News) होना शुरू हो गई कि नजीब अहमद ने आईएसआईएस ज्वाइन कर लिया है.

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क्या खबर हो रही है वायरल?

वायरल खबर में एक टीवी चैनल के प्रिंट शॉट के साथ-साथ एक लिंक शेयर किया जा रहा है, जिसमें बताया जा रहा है कि नजीब अहमद ने आईएसआईएस ज्वाइन कर लिया है. इसे लेकर एक कॉलमिस्ट शेफाली वैद्य ने भी एक ट्वीट किया था. ट्वीट में उन्होंने लिखा है- 'यह वही नजीब है, जिसे लेकर जेएनयू में प्रदर्शन किए जा रहे हैं.'

इसके साथ-साथ टाइम्स ऑफ इंडिया की वजह रिपोर्ट भी शेयर की जा रही है, जिसमें यह दावा किया गया था कि नजीब ने आईएस के बारे में इंटरनेट पर सर्च किया था. रिपोर्ट के मुताबिक नजीब ने आईएसआईएस में शामिल होने के तरीके और इससे जुड़ी कई चीजों के बारे में इंटरनेट पर सर्च किया था.

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यूं सामने आया सच

नजीब को लेकर किए गए शेफाली वैद्य के ट्वीट पर एबीवीपी के नेता गौरव झा ने रिप्लाई करते हुए कहा- 'दीदी, आपने जो आर्टिकल शेयर किया है वह साल भर पुराना है और दिल्ली पुलिस इसके फर्जी होने की पुष्टि पहले ही कर चुकी है. ऐसा नहीं है कि नजीब के साथ मेरी कोई सहानुभूति है, लेकिन मैं नहीं चाहता कि आपकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे. कृपया इस ट्वीट को डिलीट कर दें.' इसके बाद शेफाली वैद्य ने उस ट्वीट को डिलीट कर दिया और गलत जानकारी शेयर करने के लिए माफी भी मांगी. हालांकि, उन्होंने माफी इसलिए मांगी क्योंकि उन्होंने पुरानी खबर शेयर कर दी. उन्होंने अपने ट्वीट में ऐसा कुछ नहीं कहा कि ये गलत खबर है यानी खबर में दिखाया जा रहा नजीब केरल का है, ना कि जेएनयू वाला.

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तो ये कौन सा नजीब है?

सेहला राशिद ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि यह खबर न सिर्फ पुरानी है, बल्कि इसमें जिस नजीब की बात हो रही है वह केरल का है, ना कि जेएनयू वाला. दरअसल, एक ही नाम होने की वजह से यह कंफ्यूजन हुआ, जिसकी वजह से एक फर्जी खबर शेयर हो गई. लेकिन इससे एक ये सबक जरूर मिलता है कि हमें कुछ भी शेयर करने से पहले थोड़ी जांच परख कर लेनी चाहिए.

सीबीआई के भी हाथ खाली

15 अक्टूबर 2016 को 27 साल का नजीब अहमद जेएनयू परिसर में ही स्थित माही-मांडवी हॉस्टल से लापता हो गया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने इसकी जांच करने के लिए आदेश दिए थे, लेकिन पुलिस की जांच से सतुंष्ट न होने पर मामला सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया. अब इस मामले को डेढ़ साल होने वाला है, लेकिन अभी तक सीबीआई के हाथ भी इस मामले में खाली हैं. दोस्तों और परिवार के मुताबिक, नजीब की एबीवीपी के कुछ छात्रों के साथ बहस हुई थी, जिसके बाद से ही वह लापता है.

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