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Updated: 05 अगस्त, 2020 10:59 PM
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अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के भाषण में कई संदेश हैं. ये संदेश बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से भी जुड़ रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के ध्यानार्थ भी हैं. प्रधानमंत्री ने केवट और वनवासी बंधुओँ के जिक्र के साथ ग्वालों का भी जिक्र किया. प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में भगवान राम के बहाने भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों से लेकर कोरोना तक ज्यादातर मुद्दों पर टिप्पणी देखने को मिली है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में एक और खास बात है जिस पर हर किसी का ध्यान गया है - भय से उपजने वाले प्रेम को लेकर. प्रधानमंत्री मोदी ने रामचरित मानस के सुंदरकांड से एक दोहे का भी जिक्र किया है - भय बिनु होहिं न प्रीत.

प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से जोर देकर भय की बात की है, ये ऐसा दूसरा मौका है. आम चुनाव से पहले भी प्रधानमंत्री मोदी ने डर को लेकर काफी कुछ कहा था जिसमें निशाने पर पाकिस्तान तो रहा ही, राजनीतिक विरोधी भी रहे. अब जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से वही बात दोहरायी है - सवाल है कि निशाने पर देश के सरहद पार वाले दुश्मन चीन और पाकिस्तान (China and Pakistan) ही हैं या फिर देश के भीतर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जैसे राजनीतिक विरोधी भी?

डर के आगे प्रेम है

अयोध्या से प्रधानमंत्री ने भगवान राम की शख्सियत के माध्यम से प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया, बोले, 'जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां हमारे राम प्रेरणा न देते हों... राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते हैं, सोचते हैं, करते हैं - राम हमें समय के साथ बढ़ना सिखाते हैं, चलना सिखाते हैं.'

भाषण के प्रवाह में ही प्रधानमंत्री मोदी ने सुंदरकांड का जो प्रसंग उठाया राम के गुस्से वाला है. अक्सर देखने को मिलता है लक्ष्मण को ही बात बात पर गुस्सा आता है और राम उनको हमेशा ही शांत कराते रहते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने जिस प्रसंग का जिक्र किया है उसमें होता ये है कि राम को ही गुस्सा आ जाता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने सुंदरकांड के दोहे के एक अंश का जिक्र किया जो समझने के लिए काफी समझा जाता है - भय बिनु होहिं न प्रीति.

पूरा दोहा है - 'विनय न मानत जलधि जड़, गये तीन दिन बीत. बोले राम सकोप तब भय बिनु होहिं न प्रीति.'

लॉकडाउन के दौरान ही प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत मुहिम शुरू किया - और तब से लगातार उस दिशा में कोशिशें जारी हैं. प्रधानमंत्री ने उसी बात को आगे बढ़ाते हुए समझाने की कोशिश की है कि देश जब हर तरीके से आत्मनिर्भर और मजबूत होता तो दुनिया भी सलामी ठोकेगी.

narendra modiराम के बहाने मोदी ने दुनिया को सिखाया प्रेम की ताकत समझाने की कोशिश की है!

2019 के आम चुनाव से पहले एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने तरह तरह से ये समझाने की कोशिश की थी कि डर कब कब और क्यों अच्छा होता है. तभी प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान की तरफ से देश की हवाई सीमा में घुसपैठ को लेकर राफेल की कमी का एहसास दिलाया था. बोले, राफेल होता तो बात कुछ और होती. तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर रहे. बहरहाल अब तो राफेल विमानों की पहली खेप भारत पहुंच भी चुकी है - और माहौल भी काफी बदला बदला सा है.

अभी अभी इमरान खान ने पाकिस्तान का नया नक्शा तैयार कराया है. पाकिस्तान ने भी नेपाल की ही तरह भारत के कुछ हिस्सों को नक्शे में दिखाया है. पाकिस्तान की इस हरकत को भारत ने 'राजनीतिक मूर्खता' करार दिया है. भारत का कहना है कि ऐसी हास्यास्पद चीजों की न तो कोई कानूनी वैधता है और न ही कोई अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता.

हाल ही में एक इंटरव्यू में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि चीन के साथ संतुलन तक पहुंचना आसान नहीं है - और ऐसे में भार को उसका डट कर विरोध करते हुए मुकाबले के लिए खड़ा होना होगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में कहा कि भगवान राम का जिक्र ईरान और चीन तक में पाया गया है और राम कथा दुनिया के तमाम मुल्कों में प्रचलित है. मतलब, ये कि चीन को भी भारत के इरादे मालूम होने चाहिये. कुछ दिनों पहले लेह में सैनिकों से मिलने गये प्रधानमंत्री ने चीन का नाम लिए बगैर कहा था कि विस्तारवाद ने ही मानव जाति का विनाश किया, इतिहास बताता है कि ऐसी ताकतें मिट गईं. गलवान घाटी की घटना के बाद से ही प्रधानमंत्री मोदी चीन को खास मौकों पर ताकीद करते रहते हैं - और देखा ये भी गया है कि चीन की तरफ से भी तत्काल रिएक्शन आता है. ये भी फर्क नहीं पड़ता कि चीन का नाम लिया गया है या नहीं. प्रधानमंत्री के लेह दौरे के भाषण को लेकर भी यही हुआ था.

ये तो साफ है कि भय के चलते प्रेम का सबक चीन और पाकिस्तान के साथ साथ नेपाल के लिए भी है, लेकिन पिछली बार की तरह इस बार भी इशारा विपक्षी दल कांग्रेस और उसके नेतृत्व की तरफ है क्या?

प्रेम के मायने

राम मंदिर भूमि पूजन के एक दिन पहले ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का बयान और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की ईंटे भेजने की खबर चर्चित रही. प्रियंका गांधी के बयान को कांग्रेस के बदलते राजनीतिक स्टैंड के तौर पर लिया गया. समझा गया कि राहुल गांधी के बाद प्रियंका गांधी भी कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व के इरादे सामने रखने की कोशिश कर रही हैं.

भूमि पूजन के दौरान ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक ट्वीट में भगवान राम के बहाने बीजेपी नेतृत्व खास कर प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लिया है - लेकिन बगैर नाम लिये. हालांकि, राहुल गांधी के लिए नाम लेना और न लेना बहुत मायने नहीं रखता. राहुल गांधी के मोदी को लेकर दिये गये 'डंडा मार...' वाले बयान के बाद तो और भी नहीं.

राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में मर्यादा पुरुषोत्तम राम को सर्वोत्तम मानवीय गुणों का स्वरूप बताया है - और कहा है कि राम प्रेम, करुणा और न्याय के प्रतीक हैं. साथ ही, राहुल गांधी ने कहा है कि राम कभी भी घृणा, क्रूरता और अन्याय में प्रकट नहीं हो सकते.

देखा जाये तो एक बार फिर राहुल गांधी ने राम के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट किया है और नफरत से लेकर नाइंसाफी तक से जोड़ने की कोशिश की है. राहुल गांधी चीन को लेकर मोदी सरकार पर तीखे हमले कर रहे हैं. हाल फिलहाल कांग्रेस में भी कलह चरम पर पहुंच चुका है - और ऐसा लगता है जैसे राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की राय मेल खाती नहीं लग रही है.

जब प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को लेकर डर की बात की थी, तभी चुनावों में आक्रामक हो चुके विपक्ष को भी आगाह करने का प्रयास किया था - और तब डर का एक फलक विपक्षी खेमे के नेताओं, जिनमें राहुल गांधी सबसे आगे चल रहे थे, पर भी फोकस रहा.

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