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Updated: 27 अगस्त, 2021 11:46 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के खिलाफ हुई बगावत के सुर 'कैप्टन' के शक्ति प्रदर्शन के बाद थमते नजर आ रहे हैं. लेकिन, इस असफल बगावत के बाद पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) का गुस्सा फूट पड़ा है. हालांकि, सिद्धू के इस गुस्से की वजह बगावत का फेल होना न होकर उनके सलाहकार मालविंदर सिंह माली का इस्तीफा है. दरअसल, मालविंदर सिंह माली को अपने हालिया विवादित बयानों के चलते कांग्रेस (Congress) आलाकमान के दबाव पर इस्तीफा देना पड़ गया. इस वजह से भड़के नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को ही निशाने पर ले लिया. सिद्धू ने दो टूक अंदाज में कहा कि 'अगर उन्‍हें फैसले लेने की आजादी नहीं दी गई, तो मैं किसी को नहीं छोड़ूंगा. ईंट से ईंट बजा दूंगा.' वैसे सिद्धू का इस तरह से भड़कना लाजिमी भी है. आखिर उनकी ओर से कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ रची गई बगावत की स्क्रिप्ट कांग्रेस आलाकमान के आगे दो दिन भी नहीं टिकी.

दरअसल, पंजाब कांग्रेस प्रधान बन जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू जो काम खुद नहीं कर पा रहे थे, उसके लिए उन्होंने अपने सलाहकारों को नियुक्त कर दिया था. सिद्धू के नवनियुक्त सलाहकार मालविंदर सिंह माली ने भी अपने इस नए दायित्व को पूरी तरह से निभाते हुए अमरिंदर सिंह पर जुबानी हमलों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी. मालविंदर सिंह माली और अमरिंदर सिंह के बीच हालात इस कदर खराब हो गए थे कि उनके कश्मीर पर दिए गए विवादित बयान को जब कैप्टन ने देशविरोधी करार दिया था. तो, मालविंदर सिंह माली अचानक से अमरिंदर सिंह के खिलाफ व्यक्तिगत हमलों पर उतर आए थे. इन बयानों को व्यक्तिगत बताने पर माली को पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत की ओर से क्लीन चिट मिल गई थी. लेकिन, कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने उन पर कार्रवाई का दबाव बनाए रखा. वैसे, मालविंदर सिंह माली के इस्तीफे के बाद इस बात की संभावना कहीं ज्यादा बढ़ गई है कि वो अमरिंदर सिंह पर निजी हमलों को और तेज कर सकते हैं.

मालविंदर सिंह माली भविष्य में अमरिंदर सिंह पर निजी हमलों को और तेज कर सकते हैं.मालविंदर सिंह माली भविष्य में अमरिंदर सिंह पर निजी हमलों को और तेज कर सकते हैं.

सिद्धू की राह पर चले सलाहकार माली

मालविंदर सिंह माली का इस्तीफा पंजाब कांग्रेस में चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है. दरअसल, सीएम अमरिंदर सिंह के खिलाफ सियासी बयान देकर ही नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर पहुंचे थे. तो, मालविंदर सिंह माली ने भी सिद्धू की राह पर चलते हुए पंजाब में कांग्रेस की सरकार आने पर किसी बड़े पद के मिलने की आशा में इसी तरीके का इस्तेमाल किया. मालविंदर माली ने पहले तो कश्मीर लेकर विवादित बयान दिया. जिस पर बवाल मचने पर उन्होंने उसे अपनी व्यक्तिगत राय बताकर पल्ला झाड़ लिया. लेकिन, इस मामले पर सीएम अमरिंदर सिंह ने हमलावर होते हुए माली के बयान की निंदा करने के साथ ही जबान पर लगाम देने की नसीहत दे डाली. हालांकि, ये मामला किसी तरह आया-गया वाला साबित कर दिया गया था. दरअसल, इस पोस्ट में माली ने कश्मीर को अलग देश बताते हुए कहा था कि भारत ने इस पर जबरन कब्जा किया है.

माली ने कश्मीर को अलग देश बताते हुए कहा था कि भारत ने इस पर जबरन कब्जा किया है.माली ने कश्मीर को अलग देश बताते हुए कहा था कि भारत ने इस पर जबरन कब्जा किया है.

लेकिन, इसके कुछ ही दिन बाद मालविंदर सिंह माली ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक विवादित स्केच पोस्ट कर दिया. माली ने एक पंजाबी पत्रिका का कवर पेज शेयर करते हए लिखा कि हर जबर दी यही कहानी, करना जबर‌ ते‌ मुंह दी खानी यानी हर जुल्म करने वाले कि यही कहानी है. आखिर में उसे मुंह की खानी पड़ती है. इस स्केच में इंदिरा गांधी इंसानी खोपड़ियों के ढेर पर खड़ी दिख रही हैं. स्केच में उनके हाथ में एक बंदूक है, जिस पर भी एक खोपड़ी लटक रही है. उन्होंने फेसबुक पर इसे अभी भी अपनी कवर स्टोरी बना रखा है. गौरतलब है कि मालविंदर सिंह माली की इन तमाम पोस्ट पर विवाद बढ़ने पर नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई थी.

वहीं, अमरिंदर सिंह की मुंह बंद रखने की हिदायत के बाद माली ने कैप्टन निजी हमला कर दिया. मालविंदर सिंह माली ने पाकिस्तान की पत्रकार और अमरिंदर सिंह की करीबी दोस्त अरूसा आलम की तस्वीरों के जरिये कैप्टन पर व्यक्तिगत हमले शुरू कर दिए. इतना सब होने के बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू ने इस मामले पर पूरी तरह से चुप्पी साध रखी थी. माना जा रहा था कि अमरिंदर सिंह के खिलाफ इन हमलों को सिद्धू की 'मौन सहमति' मिली हुई थी. इसका अंदाजा मालविंदर सिंह माली के इस्तीफे के बाद भड़के नवजोत सिंह सिद्धू ने सीधे कांग्रेस नेतृत्व को ही खुली चुनौती देने से ही लग जाता है. ऐसा लग रहा था कि सिद्धू ने अपने सलाहकारों को तमाम मुद्दों पर शांत रहने की हिदायत की बजाय अमरिंदर सिंह के खिलाफ जंग छेड़ने की छूट दे दी.

कौन हैं अरूसा आलम?

पाकिस्तान की पत्रकार अरूसा आलम पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की करीबी हैं. कैप्टन और अरूसा आलम की दोस्ती काफी पुरानी है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमरिंदर सिंह की बायोग्राफी 'द पीपल्स महाराजा' में अरूसा आलम के साथ रिश्तों का जिक्र करने के लिए एक चैप्टर लिखा गया है. बताया जाता है कि 2004 में अमरिंदर सिंह की पाकिस्तान यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात अरूसा आलम से हुई थी. अरूसा आलम और अमरिंदर सिंह की दोस्ती को लेकर हमेशा से ही सवाल उठाए जाते रहे हैं. अरुसा आलम पहले भी ऐसे सवालों पर सफाई दे चुकी हैं कि वो केवल दोस्त हैं. उन्होंने कहा था कि वो शादीशुदा हैं और पाकिस्तान में भी औरतों को लेकर बातें बनाने वालों की कमी नही है.

विवाद से मजबूत हुए 'कैप्टन'

पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस आलाकमान किसी भी तरह जोखिम उठाने के मूड में नजर नहीं आ रहा है. माली का इस्तीफा इसका बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है. हालांकि, माना जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही सियासी खींचतान पर अब और उग्र हो सकती है. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद भी सिद्धू परोक्ष रूप से अमरिंदर सिंह पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे थे. लेकिन, अमरिंदर सिंह ने अपनी खिलाफ हुई बगावत को जिस तरह शक्ति प्रदर्शन के जरिये 'पानी का बुलबुला' साबित किया है. उससे ये साबित हो गया है कि सिद्धू का दांव बेअसर रहा और इसने अमरिंदर सिंह को कमजोर करने की बजाय और मजबूत कर दिया है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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