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Updated: 07 फरवरी, 2022 11:08 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को ही पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी का सीएम चेहरा घोषित कर दिया है. माना जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस में चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही खींचतान का अंत हो गया है. क्योंकि, सीएम चेहरे के ऐलान के बाद चरणजीत सिंह चन्नी कहते नजर आए कि वह सीएम बनने के बाद सिद्धू का पंजाब मॉडल लागू करेंगे. वहीं, नवजोत सिंह सिद्धू ने भी बुझे मन से ही सही लेकिन चन्नी के नाम पर मौन सहमति दे दी है. लेकिन, नवजोत सिंह सिद्धू के तेवरों में बिलकुल भी कमी नजर नहीं आई है. जिस मंच से राहुल गांधी ने सीएम चेहरे का ऐलान किया था, उसी मंच से सिद्धू ने साफ कर दिया है कि वो अब पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की ही राह पर चलने वाले हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो चन्नी को सीएम चेहरा बनाए जाने के बाद सिद्धू का लहजा कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ सख्त ही बना हुआ है. नवजोत सिंह सिद्धू ने सख्त तेवरों के साथ राहुल गांधी की मौजूदगी के सामने ही खुलासा कर दिया कि उनके बगावती सुरों को रोक पाना कांग्रेस आलाकमान के बस की बात नहीं है. 

दरअसल, सीएम चेहरे के ऐलान के दौरान ही नवजोत सिंह सिद्धू ने मंच से कड़े तेवर दिखाते हुए कहा कि 'अगर मैं पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बना रहा...तो वादा करता हूं कि किसी विधायक के बेटे को चेयरमैनशिप नहीं मिलेगी, कार्यकर्ता को मिलेगी...और, इतिहास गवाह है कि अगर ऐसा हुआ, तो उसी दिन इस्तीफा दे दूंगा...एक दिन मैं एक्स मिनिस्टिर हो जाऊंगा...एक दिन आप भी राहुल जी एक्स प्रेसिडेंट हो जाओगे...लेकिन, ये कार्यकर्ता कभी एक्स नहीं होगा.' मंच से सिद्धू जब ये ऐलान कर रहे थे, तो वहां राहुल गांधी के साथ चरणजीत सिंह चन्नी और सुनील जाखड़ समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता मौजूद थे.

ताकत अभी भी सिद्धू के हाथ में

पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम चेहरा घोषित न करने की बड़ी राजनीतिक भूल शायद ही कांग्रेस आलाकमान करता. क्योंकि, पंजाब के पहले दलित सीएम के तौर पर चन्नी को आगे लगाकर सूबे की एक बड़ी दलित आबादी को साधने का एक बड़ा दांव खेला था. तो, ये पहले से ही तय माना जा रहा था कि चन्नी ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे. चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम चेहरा घोषित करने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को काफी समझाइश दी थी. क्योंकि, चन्नी को चेहरा बनाकर कांग्रेस आलाकमान न केवल पंजाब चुनाव 2022 के लिए जमीन तैयार कर रहा है. बल्कि, कांग्रेस आलाकमान की नजर 2024 के चुनावों पर भी लगी है. कांग्रेस आलाकमान को उम्मीद है कि दलित सीएम के मास्टरस्ट्रोक से पंजाब के साथ ही भविष्य में होने वाले कई विधानसभा चुनावों में दलितों का रुख पार्टी की ओर मुड़ सकता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो चन्नी को आगे बढ़ाकर कांग्रेस आलाकमान अपने पुराने दलित वोट बैंक को फिर से रिवाईव करने की कोशिश कर रही है.

Navjot Singh Sidhu Strict Attitudeकांग्रेस ने टिकट बंटवारे में 70 फीसदी प्रत्याशी सिद्धू की पसंद के चुने हैं.

लेकिन, चौंकाने वाली बात ये है कि कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब में टिकट बंटवारे को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से भेजे गए नामों को वरीयता दी है. सियासी गलियारों में इस बात की खूब चर्चा है कि कांग्रेस ने टिकट बंटवारे में 70 फीसदी प्रत्याशी सिद्धू की पसंद के चुने हैं. वैसे, कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार ने चन्नी को सीएम कैंडिडेट बनाकर सिद्धू की ताकत बढ़ाने का फैसला क्यों लिया है, इसका जवाब राहुल गांधी ही दे सकते हैं. क्योंकि, नवजोत सिंह सिद्धू के तेवरों को देखते हुए ये बात शीशे की तरह साफ हो जाती है कि सिद्धू पंजाब कांग्रेस में सिर्फ दर्शानी घोड़ा बनकर नहीं रहने वाले हैं. बहुत हद तक संभव है कि अगर भविष्य में चन्नी को लेकर कोई समस्या खड़ी होती है, तो सिद्धू बगावत करने और कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने में समय नहीं लगाएंगे. वैसे, कांग्रेस आलाकमान की तरह सिद्धू ने भी मन मसोस कर ही सही, लेकिन भविष्य की राजनीति को दिमाग में रखकर ही सारे दांव खेले हैं.

कैप्टन के मामले में सस्ते में छूट गई थी कांग्रेस

कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू की बगावत को हवा देकर कांग्रेस आलाकमान ने अपना एक कांटा निकाल लिया था. और, कैप्टन अमरिंदर सिंह के जाने से फिलहाल कांग्रेस को कोई बड़ा नुकसान भी होता नहीं दिखा है. लेकिन, नवजोत सिंह सिद्धू के बयान से साफ है कि वह पंजाब में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए हरसंभव कोशिश करते रहेंगे. और, अगर कार्यकर्ताओं का भरोसा सिद्धू ने जीत लिया, तो कांग्रेस आलाकमान के लिए सिद्धू पर लगाम लगाना मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि, सीएम चेहरे के ऐलान से पहले सिद्धू ने कहा था कि 'ऊपर वाले लोग चाहते हैं कि कोई कमजोर मुख्यमंत्री हो, जिसे वो ता थैया, ता थैया नचा सकें और कहें कि नाच मेरी बुलबुल तुझे पैसा मिलेगा. कहां कद्रदान फिर ऐसा मिलेगा.' आसान शब्दों में कहा जाए, तो कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने पर पार्टी के बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था. लेकिन, भविष्य में अगर नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस का साथ छोड़ते हैं, तो पार्टी के लिए नुकसान की गणना करना मुश्किल हो जाएगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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