Christchurch shooting: साबित हो गया कि आदिल अहमद डार और ब्रेन्टॉन टेरेंट एक जैसे ज़हरीले हैं
न्यूजीलैंड क्राइस्टचर्च शूटिंग को आतंकी हमला न कहना बेहद निंदनीय है. इसे आम शूटिंग अटैक कहकर शायद समस्या को और बढ़ाया जा रहा है. हालांकि, न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री ने अपनी दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे आतंकी हमला ही बताया है.
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सुबह होते ही न्यूजीलैंड से ऐसी खबर आई जिसने दिल दहला दिया. न्यूजीलैंड में मस्जिद में प्रार्थना करने गए लोगों पर एक आतंकी ने धुआंधार गोलियां बरसा दीं. मौजूदा आंकड़ों के अनुसार 49 लोगों की मौत हुई है और लगभग 30 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. शुरुआत में ये आंकड़ा 30 ही था, लेकिन न्यूजीलैंड पुलिस कमिशनर माइक बुश का कहना है कि घायलों ने अस्पताल में भी दम तोड़ा है और मृतकों की संख्या 49 हो गई है.
ये आंकड़े बढ़ भी सकते हैं. किसी भी विदेशी वेबसाइट पर देखेंगे तो इसे गनमैन या शूटिंग केस कहा जा रहा है. यानी एक आम गोलीबारी की घटना. पर मेरे हिसाब से ये भी एक आतंकी हमला ही है. न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री Jacinda Ardern ने कहा है कि ये न्यूजीलैंड के सबसे काले दिनों में से एक है. रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ गाड़ियों में IED का भी इस्तेमाल हुआ है, लेकिन इनकी अभी पुष्टी नहीं हो पाई है. न्यूजीलैंड का हमला किसी आतंकी हमले की तरह ही है. एक शूटर को पकड़ लिया गया है, लेकिन ये रिपोर्ट्स आ रही हैं कि और भी लोग इसमें शामिल हो सकते हैं.
जिस इंसान को पुलिस ने हिरासत में लिया है वो इस्लाम का कट्टर विरोधी माना जा रहा है. न्यूजीलैंड में शूटआउट क्राइस्टचर्च शहर के अल नूर मस्जिद (डीन्स एवेन्यू पर) और लिनवुड मस्जिद में ये कांड हुआ है. 30 लोग अल नूर मस्जिद में और 10 अन्य लिनवुड मस्जिद में मारे गए हैं. जहां हमला हुआ वहां बंगलादेशी क्रिकेट टीम भी मौजूद थी, लेकिन वो बिना किसी नुकसान के सुरक्षित वापस आने में सफल रही.
इस कांड को आतंकी हमला न कहना बेहद निंदनीय है. इसे आम शूटिंग अटैक कहकर शायद समस्या को और बढ़ाया जा रहा है. हालांकि, न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री ने अपनी दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे आतंकी हमला ही बताया है. न्यूजीलैंड की सुरक्षा को अति संवेदनशील कर दिया गया है और इसकी आशंका जताई जा रही है कि अभी भी हमले हो सकते हैं. साथ ही, न्यूजीलैंड की सभी मस्जिदों को बंद कर दिया गया है.
मुस्लिम विरोधी सोच के कारण हुआ ये हमला..
मौजूदा खबरों के अनुसार पुलिस ने चार आरोपियों को कब्जे में ले लिया है जिनसे पूछताछ चल रही है. उनमें से एक तो शूटर था और अन्य लोगों के ऊपर मदद करने का आरोप लगाया गया था. इनमें तीन पुरुष और एक महिला है. हमले के पहले 87 पेज का मेनिफेस्टो भी इंटरनेट पर अपलोड किया गया था. इस मेनिफेस्टो में मुस्लिम विरोधी बातें लिखी हुई थी. इसमें एंटी-इमिग्रेंट, एंटी मुस्लिम बयान थे और हमला करने के कारण को बताया गया था.
घायलों को तुरंत क्राइस्टचर्च अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया.
हमले का समय भी बेहद सटीक चुना गया था. शुक्रवार (जुमे) की नमाज का समय जब मस्जिद में सबसे ज्यादा लोग रहते हैं. स्थानीय समय के अनुसार दोपहर 1.40 पर हमला किया गया और बेगुनाह लोगों पर गोलियां बरसा दीं. न्यूजीलैंड जिसे एक शांत देश कहा जाता है, जहां कोई जंग नहीं होती, जहां कोई आतंक नहीं होता वहां ऐसा हमला चौंकाने वाला है. एक हमलावर ऑस्ट्रेलिया का नागरिक है और ऑस्ट्रेलिया में इस तरह के जातिवादि जुर्म पहले भी आम थे और अभी भी वहां छुट-पुट खबरें ऐसी मिलती रहती हैं.
अल नूर मस्जिद जहां इस घटना को अंजाम दिया गया
इसे क्या कहा जाए कि एक ऐसा देश जिसे लोग शांतिप्रीय कहते हैं उस देश में प्रार्थना के दौरान ही हमला हो जाता है. आरोपी के अनुसार उसने न्यूजीलैंड को इसलिए चुना क्योंकि वो ये बताना चाहता था कि दुनिया के सबसे सुदूर इलाके भी आप्रवासन (इमीग्रेशन) से अछूते नहीं हैं और यहां भी मुसलमान अपना घर बना चुके हैं. न्यूजीलैंड एक ऐसा देश है जहां आम तौर पर आप्रवासियों का स्वागत किया जाता है.
ब्रेन्टॉन आखिर आदिल डार से कहां अलग है?
जिस 28 साल के व्यक्ति ने लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. उसने शूटिंग का लाइव वीडियो भी बनाया. ये व्यक्ति ऑस्ट्रेलिया में पैदा हुआ और इसका नाम ब्रेन्टॉन टेरेंट (Brenton Tarrant) है. शुरुआत में ही ये कहता है कि अब पार्टी शुरू करने का वक्त आ गया है. अमेरिकी सिविल वॉर का म्यूजिक सुनता हुआ ये व्यक्ति मस्जिद में घुस जाता है और जो भी सामने आया उसे मारता जाता है. इसकी गाड़ी में कई सारे हथियार रखे थे और साथ ही पेट्रोल और विस्फोटक भी.
Brenton Tarrant जिसने हमला भी किया और शूटिंग का लाइव वीडियो भी बनाया
ये लाइव स्ट्रीमिंग 17 मिनट तक चलती रही और लोग मरते रहे. इस व्यक्ति की तुलना आखिर क्यों पुलवामा आतंकी हमला करने वाले जैश ए मोहम्मद के आतंकी आदिल डार से न की जाए. आदिल ने भी लोगों को मारने से पहले वीडियो बनाया था और अपने मंसूबों को साफ किया था. ब्रेन्टॉन मुसलमानों के खिलाफ मन में जहर रखता था, तो आदिल हिंदुओं के खिलाफ.
ब्रेन्टॉन ने भी वीडियो बनाया और इसके साथ ही अपना मेनिफेस्टो भी पोस्ट किया था. जिसमें उसने ये साफ कर दिया था कि उसके हिसाब से गोरे लोगों के देश में ये मुस्लिम कब्जा नहीं कर सकते. ये इस्लामिक सोच के प्रति नफरत का ही तो एक रूप है. आदिल डार अपने वीडियो में भारत और हिंदुओं के प्रति नफरत दिखा रहा था.
आतंकी हमले की परिभाषा क्या होती है? यही न कि किसी एक संगठन या व्यक्ति के जरिए किसी दूसरी सोच, समझ, देश, धर्म या भाषा के लोगों को नुकसान पहुंचाना और उपनी सोच को ही सर्वोपरी मानना. हिंसा का इस्तेमाल करना और लोगों की जान की परवाह न करना यही तो आतंकवाद है. ऐसे में न्यूजीलैंड के इस मामले को आतंकवाद ही तो कहा जाएगा न.
इतना ही नहीं पाकिस्तान भी इस मामले को आतंकी हमला ही कह रहा है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट कर इस हमले की निंदा तो की लेकिन साथ ही ये भी कहा कि आतंक को किसी एक धर्म से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है.
I blame these increasing terror attacks on the current Islamophobia post-9/11 where Islam & 1.3 bn Muslims have collectively been blamed for any act of terror by a Muslim. This has been done deliberately to also demonize legitimate Muslim political struggles. https://t.co/5bBREoayLz
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) March 15, 2019
इमरान खान की इस ट्वीट ने कम से कम इतना तो साबित कर दिया कि ये आतंकी हमला ही है. हालांकि, इनके लिए पुलवामा आतंकी हमला सिर्फ एक दुर्घटना थी उसे आतंकी हमला नहीं कहा गया था और कुछ पाकिस्तानी अखबारों ने तो आदिल डार को फ्रीडम फाइटर कहा था. इससे साबित होता है कि कुछ देशों की सोच कितनी सिलेक्टिव हो गई है.
अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, एशिया और ऐसे देशों में जहां गोरे नहीं रहते वहां ऐसी कोई भी घटना आतंकी घटना कहलाती है और बाकी देशों में Mass Shooting वाली हेडलाइन बनती है. फ्रांस की पत्रिका चार्ली हेब्दो में हुआ अटैक भी आतंकी हमला कहलाया था क्योंकि तब कट्टर इस्लामिक संगठनों द्वारा हमला किया गया था. पर जिस तेज़ी के साथ White radicalism बढ़ रहा है उसमें ये कहना कि ये आतंकवाद की शुरुआत नहीं है ये गलत होगा.
किसी भी हालत में न्यूजीलैंड की इस घटना को कम नहीं आंका जा सकता है. दुनिया के सबसे सुदूर देशों में से एक न्यूजीलैंड में इस तरह का हमला बताता है कि आतंकवाद अपनी जड़ें कहीं भी पसार सकता है. दुनिया का कोई भी देश आतंकवाद से अछूता नहीं है और ये वाकई न्यूजीलैंड नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए काले दिन की तरह है.
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