9 साल, 9 फैसले, वे जो मोदी को बनाते हैं 'मोदी'
हाल ही में हमारी सांस्कृतिक धरोहरों और हमारी आध्यात्मिक पहचान को समेटे हुए स्थापित हुई नई संसद ने ये एहसास और पुख्ता किया है. नई संसद में पूरे विधि विधान से राजदंड सेंगोल की स्थापना ने ये एहसास भी करा दिया है कि राजधर्म के पालन में मोदी पीछे हटने वाले नहीं, फिर चाहे कितनी भी चुनौतियां सामने क्यों न आएं.
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ताऱीख थी एक मार्च 2019. तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी संसद और देश को संबोधित कर रहे थे. उनका गला बार बार अटक रहा था. दुनिया की नजरें उन पर टिकी हुई थीं. पाकिस्तान के भीतर घुस सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए भारत के विंग कमांडर अभिनंदन पाक सेना के कब्जे में थे. भारत के भीतर सन्नाटा पसरा हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक मौके की ताक में थे. उन्हें उम्मीद थी कि बहुत जल्द उन्हें पीएम मोदी पर तगड़ा हमला करने का मौका मिलने ही वाला है. पर एकाएक तस्वीर पलट गई. इमरान खान ने ऐलान किया कि अभिनंदन को बिना शर्त पूरे सम्मान के साथ तुरंत छोड़ा जा रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि भारत ने ही घुस कर पाकिस्तान के भीतर हमला किया है, फिर भी शांति की खातिर वे भारत के प्रधानमंत्री से बार बार बात करने की कोशिश कर रहे हैं. यही वह क्षण था जब भारत के 130 करोड़ लोगों के साथ ही साथ दुनिया को ये एहसास हो चला कि अब ये नया भारत है.इस घटना में प्रधाममंत्री नरेंद्र मोदी की आक्रामक रणनीति और तगड़ी कूटनीति ने भारत की एक सशक्त छवि पेश की. वरना यही पाकिस्तान था, जब 2013 में लांसनायक हेमराज के साथ की गई उसके सैनिको की बर्बरता दुनिया ने देखी थी.
अपने 9 साल के कार्यकाल में पीएम मोदी ने ऐसा बहुत कुछ कर दिया है जो ऐतिहासिक है
जाहिर है इस बार पाकिस्तान से अकेले अभिनंदन कुमार नहीं लौटे, पिछले कुछ वर्षों में खोया हुआ भारत के लोगों का आत्मविश्वास भी पुरजोर तरीके से लौटा.दुनिया में स्पष्ट संदेश जा चुका था कि यह अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर गुहार लगाने वाला नहीं बल्कि दगा करने पर सीमाओं में घुस कर सबक सिखाने वाला नया भारत है. यह ऐसा ऐसा क्षण था जब प्रधानमंत्री मोदी के धैर्य, साहस और उनकी रणनीति ने देश के 130 करोड़ लोगों को खुद के भारतीय होने पर गर्व करने का अवसर दिया. पिछले नौ वर्षों में ऐसे कई मौके आए. इन नौ वर्षों के दौरान यूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विकास से लेकर गरीब और महिला कल्याण के क्षेत्र में मिसाल देने जैसे काम किए.
परंतु इन नौ वर्षों में उन्होंने नौ ऐसे बड़े निर्णय लिए जो शायद सिर्फ मोदी ही कर सकते थे और जिसके लिए उन्हें इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा.अनुच्छेद 370 का खात्मा ऐसा ही एक निर्णय था. हिंदुस्तान से असल में प्यार करने वाले हर सच्चे भारतीय के दिल में अनुच्छेद 370 एक बड़ी टीस थी. तुष्टीकरण के बल पर सत्ता हासिल करने वाले अधिकांश दल 370 के साथ खड़े थे. यह जानते हुए भी कि ऐसा करके वे देश का सर्वाधिक नुकसान ही कर रहे हैं.
हैरानी की बात तो ये है कि सदन के भीतर और मीडिया के सामने 370 के पक्ष में बोलने वाले अधिकांश राजनीतिक दलों के लोग कैमरे की जद से हटते ही ये स्वीकार करने से भी नहीं चूकते कि 370 का हटाया जाना देश हित में है लेकिन वोट के लालच में सार्वजनिक तौर पर ऐसा बोल पाना उनके लिए संभव नहीं. ऐसे में 370 का सफाया नामुमकिन ही दिखता था. राजनितिक के मझे हुए लोग दावे करते थे कि 370 हटाना संभव नहीं है. वे कई बार मजाक भी उड़ाते कि 370 हटाने की बात कहना महज एक राजनीतिक स्टंट है. पर पीएम मोदी ने उन्हें भी चौंका दिया.
खून की नदिया बहाने और अंतर्राष्ट्रीय अदालतों में मुद्दा उठाने की धमकियों से बेपहवाह पीएम मोदी ने डंके की चोट पर ना सिर्फ 370 हटाई बल्कि कश्मीर में पूरी तरह शांति कायम करने के लिए भी मजबूत कदम उठाए. नहीं तो भला कौन सोच सकता था कि कश्मीर में कभी लाल चौक पर हमारा तिरंगा शान से लहराएगा और सरकारी दफ्तरों से लेकर स्कूल कालेजों तक में राष्ट्रगान और वंदेमातरम का गान भी होगा. हाल ही में जी 20 पर विदेशी मेहमानों की मौजूदगी में कश्मीर में सफलतापूर्वक संपन्न हुए शानदार आयोजन ने दुनिया को कश्मीर की हकीकत से रूबरू भी करा दिया है.
प्रधानमंत्री मोदी के खाते में यूं तो पिछले 9 वर्षों के दौरान उपलब्धियां ही उपलब्धियां हैं. पर मुस्लिम बहनों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कुरीति तीन तलाक को जड़ से खत्म करने का उनका फैसला हमेशा याद रखा जायेगा. पूर्व पीएम राजीव गांधी इस बात के सबसे बड़े उदाहरण हैं कि कैसे प्रचंड जनादेश से बनी कोई सरकार महज वोटों के लालच में जानते बूझते हुए बुराइयों के आगे घुटने टेकती है. तीन तलाक की शिकार देश की बेटी शाहबानो सुप्रीम अदालत से तीन तलाक के खिलाफ आदेश लेकर आईं थीं.
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय लागू करने की औपचारिकता भर बची थी. लेकिन इसी बीच कांग्रेस हुकुमत रातों रात बिल ले आई और लोकतंत्र के पवित्र मंदिर से देश की सुप्रीम अदालत का निर्णय पलट दिया. मुस्लिम समाज में ही तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओ के साथ ही संपूर्ण देश इस सरकार के इस निर्णय से हैरान रह गया.हर कोई यह मान बैठा तीन तलाक की कुप्रथा अब देश से कभी खत्म न हो पाएगी.पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में चौंकाया.
उनके नेतृत्व में एनडीए सरकार ने संसद के भीतर कानून लाकर तीन तलाक जैसी वाहियात परंपरा को हमेशा हमेशा के लिए दफन कर दिया. मुस्लिम बहनों के साथ ही देश को भी हर दृष्टि से इस फैसले का बड़ा लाभ मिला है और मिलता रहेगा. आज जब नौ वर्षों के कार्यकाल की चर्चा होती है तब बहुत सारे ऐसे काम हैं जिन पर विस्तार से चर्चा हो सकती है पर कई ऐसे फैसले हैं जो देश के युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों व कमजोर तबके को पीएम मोदी का मजबूत प्रशंसक बनाते हैं और वे मानते हैं कि ऐसे निर्णय सिर्फ मोदी के ही वश की बात है.
तमाम मर्तबा तो विपरीत विचारधारा से जुड़े लोग भी बंद कमरों में यह मानते हैं कि मोदी ने राजनीति और वोट बैंक की बजाए देश की संप्रभुता, सुरक्षा और सांस्क़ृतिक गौरव को तरजीह दी. विपरीत विचारधारा से ताल्लुक रखने वाले कुछ मित्र इस बात के लिए पीएम मोदी के प्रशंसक हैं कि 2014 में उनके कमान संभालने के बाद से देश में एक भी आतंकी हमला नहीं हुआ. वरना किसे याद नहीं 2014 के पहले की तस्वीर. काशी हो या अयोध्या और लखनऊ, या फिर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई.
आतंकी हमलों ने निर्दोष लोग मारे जाते. दुनिया के सामने हमारी कमजोर छवि प्रस्तुत होती. और कई बार आतंकियों को दुर्भाग्यपूर्ण राजनीतिक संरक्षण मिलता. ऐसे में कुछ लोग यह सवाल भी उठाते हैं कि 2014 में यदि देश का नेतृत्व मोदी के हाथों में नहीं आया होता तो आज क्या हालात होते. आज जब चीन से सटी भारत की सीमाओं पर हमारे जवान चीनी सैनिकों को पीट कर खदेड़ते हुए दिखते हैं तब देश में हर किसी का सीना चौड़ा होता है.
भारत का सांस्कृतिक गौरव लौटाने का श्रेय भी पीएम मोदी के ही खाते में जाएगा. इतिहासकारों के मुताबिक भारत की ख्याति से अभिभूत इटली का व्यापारी कोलंबस 1492 में भारत ही ढूढने निकला था.भटक कर वह अमेरिका जा पहुंचा था.
आज जब दुनिया में अयोध्या के भव्य राम मंदिर, वाराणसी में मां गंगा और विहंगम काशी विश्वनाथ कारीडोर, प्रयागराज के कुंभ, उज्जैन में महाकाल दरबार की चर्चा होती है तब ये लगता है कि भारत कि सांस्कृतिक ख्याति लौटने लगी है. हाल ही में हमारी सांस्कृतिक धरोहरों और हमारी आध्यात्मिक पहचान को समेटे हुए स्थापित हुई नई संसद ने ये एहसास और पुख्ता किया है. नई संसद में पूरे विधि विधान से राजदंड सेंगोल की स्थापना ने ये एहसास भी करा दिया है कि राजधर्म के पालन में मोदी पीछे हटने वाले नहीं, फिर चाहे कितनी भी चुनौतियां सामने क्यों न आएं.
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