'नीतीश कुमार जनता को झांसा दे रहे हैं'
10 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद एक भी नया बिजलीघर लगाने और बिजली उत्पादन में बुरी तरह विफल रहे नीतीश कुमार बताएं कि क्या आज बिहार पूरी तरह से केन्द्र सरकार की बिजली पर निर्भर नहीं है.
-
Total Shares
हर घर में बिजली पहुंचाने का वादा पूरा करने में फेल रहे नीतीश कुमार अब अपनी चुनावी सभाओं में जनता को झांसा देने की कोशिश कर रहे हैं. 10 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद एक भी नया बिजलीघर लगाने और बिजली उत्पादन में बुरी तरह विफल रहे नीतीश कुमार बताएं कि क्या आज बिहार पूरी तरह से केन्द्र सरकार की बिजली पर निर्भर नहीं है. भाजपा गठबंधन की सरकार बनने के तीन महीने के अंदर बाढ़ थर्मल की दूसरी इकाई से उत्पादन चालू कर दिया जायेगा. ग्रामीण विद्युतिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कृषि के लिए अलग फीडर का निर्माण कराया जायेगा.
नीतीश कुमार बताएं कि हर गांव और हर घर में बिजली पहुंचाने का उनका वादा पूरा क्यों नहीं हुआ? क्या आज भी प्रदेश के 50 हजार टोले और 40 लाख बीपीएल परिवार बिजली से वंचित नहीं है? शहरों में 24 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 48 घंटे में जले ट्रांसफॉर्मर बदलने में नीतीश कुमार की सरकार फेल क्यों हो गई? यूपीए सरकार के दौरान केन्द्र से बिहार को कितनी बिजली मिल रही थी और आज नरेन्द्र मोदी बिहार को कितनी बिजली दे रहे हैं? क्या नरेन्द्र मोदी की सरकार बिहार की जरूरतों को देखते हुए ही दादरी की बिजली की अतिरिक्त आपूर्ति बिहार को नहीं कर रही है?
गठबंधन सरकार के दौरान ऊर्जा व राजस्व विभाग तो जदयू के पास ही था? फिर निर्माणाधीन चौसा (बक्सर) पीरपैंती (भागलपुर) और कजरा (लखीसराय) बिजली परियोजनाओं के लिए जमीन का अधिग्रहण क्यों नहीं हो पाया? औरंगाबाद के नवीनगर बिजली कारखाना का निर्माण कार्य अब तक अधूरा क्यों है? बरौनी बिजली कारखाना अब तक बंद क्यों पड़ा है? कांटी के क्षमता विस्तार का कार्य आधा-अधूरा क्यों है? केन्द्र सरकार द्वारा बरौनी के लिए अलग कोल ब्लॉक के आवंटन के बावजूद विस्तारीकरण का काम पूरा क्यों नहीं हो पाया? बिजली बोर्ड के विखंडन में पांच साल क्यों लगा?
भाजपा की सरकार बनने पर बिजली को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जायेगी. दिसम्बर, 2016 तक हर हाल में राज्य के सभी गांवों और घरों में बिजली पहुंचायी जायेगी. वहीं कृषि के लिए अलग फीडर का निर्माण कराया जायेगा ताकि खेती के लिए 12 घंटे बिजली उपलब्ध करायी जा सके. बरौनी बिजली कारखाना को चालू कराने के साथ ही कांटी के क्षमता विस्तार के अधूरे काम को भी पूरा किया जायेगा. निर्माणाधीन नवीनगर, चौसा, कजरा और पीरपैंती बिजली कारखानों की बाधाएं भी दूर की जायेगी और बिहार को बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जायेगा.
आपकी राय