गांधी जी, नीतीश कुमार और शराब पर प्रतिबंध!
नीतीश कुमार ने अपने शराबबंदी मुहिम को गांधी से जोड़ कर एक बडा दांव खेला है. हांलाकि गांधी शराब के साथ-साथ हर तरह के नशा का विरोध करते थे. नीतीश कुमार का पूरा जोर शराबबंदी को लेकर है.
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सौ साल पहले चंपारण के किसानों पर अत्याचार को लेकर गांधीजी ने अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह शुरू किया ही साथ ही चम्पारण की गरीबी, बदहाली और नशाबंदी के खिलाफ भी मुहिम छेडी थी. आज सौ साल बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केवल चंपारण में ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में शराबबंदी की मुहिम छेड दी है. गांधी ने कहा था कि शराब आत्मा और शरीर दोनों का नाश करती है. आज नीतीश कुमार कह रहें है कि बिहार में शराब रहेगी या फिर वो. दरभंगा में उन्होंने यह बयान देकर शराब बंदी के खिलाफ चल रहे मुहिम की हवा निकालने की कोशिश की है. उन्होंने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि शराब पीना मौलिक अधिकार नही है. सुप्रीम कोर्ट भी इस बात को मानती है यह पूरी तरह से राज्य पर निर्भर करता है कि अगर वो चाहे तो शराबबंदी का कानून लागू कर सकता है.
नीतीश कुमार शराबबंदी के मुहिम को और मजबूत करने के लिए गांधी का सहारा भी ले रहें है. अपने भाषणों में वो लगातार कह रहें है कि महात्मा गांधी ने शराब के खिलाफ मुहिम चलाई थी. चंपारण के किसानों की व्यथा सुनने गांधी 15 अप्रैल 1917 को वहां पहुंचे थे. 16 अप्रैल को जसुलीपट्टी जाते समय चन्द्ररहया गांव में एक पुलिस अधिकारी ने उन्हें चंपारण छोड कर चले जाने का नोटिस दिया. उन्होंने जब इंकार किया तो 18 अप्रैल को उन पर मुकदमा चला. गांधी ने अपने चंपारण आने का उद्देश्य बताया और 20 अप्रैल को उन पर से न सिर्फ मुकदमा उठा लिया गया बल्कि किसानों पर हो रहे नीलहे के अत्याचार की जांच के लिए एक कमेटी भी बनी. यह गांधी की पहली जीत थी. इस जीत के बाद गांधी ने चंपारण को अपना दूसरा घर मान लिया और चंपारण के लोगों ने उन्हें महात्मा का दर्जा दिया.
किसानों की समस्या सुलझाने के बाद गांधी ने चंपारण में अशिक्षा, बेहतर रहन सहन और नशामुक्ति का अभियान भी चलाया था. गांधी ने चंपारण में अपना पहला आश्रम मोतिहारी शहर से 35 किलोमीटर दूर बड़हड़वा लखनसेन में बनाया. जिसका मुख्य उद्देश्य था लोगों को साफ-सफाई, शिक्षा और नशामुक्ति को लेकर जागरूक करना. कहा जाता है कि उस समय चंपारण में नशा करने का प्रचलन था. गांधी जी ने बड़हड़वा लखनसेन गांव में एक बांस का खम्भा गड़वाया और लोगों से नशीले पदार्थ उस पर लटकाने की अपील करते हुए नशा छोडने का आग्रह किया था. कई लोगों ने उस खम्भे पर नशीला पदार्थों और शराब की बोतलों को टांग कर नशा से तौबा कर ली.
लेकिन चंपारण के लोगों ने बहुत दिनों तक गांधी के नशामुक्ति आंदोलन का साथ नही दिया. धीरे-धीर फिर सब नशा के शिकार हो गए. खुद बड़हड़वा लखनसेन गांव में शराब की नदियां बहती थी. लोग शराब पीकर एक दूसरे से झगड़ते थे. लेकिन एक बार फिर अब गांव में शान्ति लौट आई है. बिहार में शराबबंदी के बाद बड़हड़वा लखनसेन के लोग खुश है. उनका मानना है कि इसी बहाने 100 साल बाद गांधी के सपनों को साकार करने का मौका लोगों को मिल रहा है.
बिहार में 1 अप्रैल से शराबबंदी है. पहले देशी शराब को बैन किया गया उसके बाद 5 अप्रैल को विदेशी शराब पर पाबंदी लगाकर पूर्ण शराबबंदी कर दी गई. शुरू में तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी को अपने किए गए वायदे को पूरा करने का दावा किया. लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें गांधी की याद आई. चंपारण में गांधी के 100 साल के आयोजनों को लेकर बिहार में गांधी की आजकल काफी चर्चा है. नीतीश कुमार ने बिना देर किए शराबबंदी को गांधी से जोड दिया. सहरसा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले शराबबंदी को गांधी के मुहिम से जोडा. नीतीश कुमार ने कहा कि सभी धर्मों में शराब को बुरी चीज माना गया है. गांधी जी तो इसके खिलाफ अभियान चलाते थे. 100 साल पहले जब वो चम्पारण आए थे और निलहों के अत्याचार के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत की थी, जो बाद में देश की आजादी के लिए एक बडा प्रयोग साबित हुआ. उसी गांधी ने चंपारण में नशामुक्ति का आंदोलन भी चलाया था. उन्होंने कहा कि गांधी का यह सपना उनकी कर्मभूमि से पूरा होगा.
बिहार में शराबबंदी अब थमेगी नहीं. नीतीश कुमार ने अपने शराबबंदी मुहिम को गांधी से जोड़ कर एक बडा दांव खेला है. हांलाकि गांधी शराब के साथ-साथ हर तरह के नशा का विरोध करते थे. नीतीश कुमार का पूरा जोर शराबबंदी को लेकर है. वो जानते है कि देश की एक बडी आबादी शराब से प्रभावित है. खासकर महिलाए इसके खिलाफ रहती है. ऐसे में यह एक देशभर का मुद्दा बन सकता है. नीतीश कुमार ने इसके लिए अभियान की शुरूआत भी कर दी है. 11 मई को वो झारखंड जा रहें है जहां शराबबंदी के खिलाफ वो मुहिम छेडेगे. उसके बाद उनका उतर प्रदेश का दौरा भी होना है. नीतीश के इस दौरे का मकसद है कि शराबबंदी के मुद्दे को देश का मुद्दा बनाना और इसमें अगर गांधी का साथ मिले तो यह मुद्दा और मजबूत हो जाएगा.
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