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Updated: 11 अगस्त, 2017 10:58 PM
राहुल लाल
राहुल लाल
  @rahul.lal.3110
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मिसाइल परीक्षणों, परमाणु कार्यक्रमों, आर्थिक प्रतिबंधों एवं धमकियों से परिपूर्ण उत्तर कोरिया संकट दिनों-दिन गहराता ही जा रहा है. कोरियाई संकट ऐसी गुत्थी बनता जा रहा है, जिसे जितना सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है, मामला उतना ही उलझता जा रहा है. अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है.

उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनातनी लंबे समय से चल रही है. लेकिन पिछले कुछ सप्ताह से ऐसी आशंकाएं गहन हो गयी है कि उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच युद्ध हो सकता है. जिसमें परमाणु हथियारों का प्रयोग भी संभव है. उत्तर कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक प्रतिबंधों के बाद जब अमेरिका को धमकी दी, तो ट्रंप ने उत्तर कोरिया को भस्म करने की धमकी दे डाली. इसके जवाब में बुधवार को उत्तर कोरिया ने अमेरिका द्वीप गुआम पर हमले की तैयारी कर ली.

USA, North Korea, Warइस आग में कौन-कौन जलेगा?

इसके बाद जापान ने देश में हाई अलर्ट की घोषणा कर दी है. स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए अमेरिका बमवर्षक जहाज बी-1 लैंसर्स गुआम से कोरियाई आसमान पर उड़ान भर रहे हैं. 1945 में जापान पर परमाणु बम गिरने के 72 साल बाद दुनिया पुन: परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़ी है. 28 जुलाई को उत्तर कोरिया ने अंतरमहाद्वीपीय बैलस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) ह्वासोंग- 14 का सफल परीक्षण किया. उत्तर कोरिया का दावा है कि यह मिसाइल अमेरिका के लॉस एंजिल्स समेत ज्यादतर अंदरूनी शहरों पर हमला करने में सक्षम है. परमाणु हथियार संपन्न उत्तर कोरिया अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान के लिए खतरा बना हुआ है. 28 जुलाई के इस परीक्षण का चीन ने भी विरोध किया है.

उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र के कठोर प्रतिबंध-

विश्व समुदाय के दबाव की लगातार अवहेलना कर उत्तर कोरिया जिस तरह लंबी दूरी के महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है, उसके जवाब में अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा कठोर प्रतिबंध लगा दिए हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर कोरिया पर आर्थिक प्रतिबंध पूर्ण सहमति से लगा. इस प्रतिबंध पर न तो रूस और न ही चीन ने वीटो का प्रयोग किया. लंबे अरसे बाद इसे ट्रंप की कूटनीतिक सफलता के रुप में देखा जा सकता है. ट्रंप ने लंबे समय तक चीन से वार्ता करने के बाद यह सहमति प्राप्त की.

ज्ञात हो कि चीन और रूस ही उत्तर कोरिया के सबसे बड़े व्यापार साझीदार हैं. उत्तर कोरिया का 89% व्यापार चीन के साथ है. जबकि रूस दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है. ऐसे में चीन और रूस के बिना पूर्ण सहयोग के उत्तर कोरिया पर कोई भी प्रतिबंध अधूरी होगी. इस प्रतिबंध से उत्तर कोरिया को सलाना एक अरब डॉलर का नुकसान होगा. इससे उसका एक तिहाई निर्यात प्रभावित होगा.

संयुक्त राष्ट्र के इस आर्थिक प्रतिबंध से उत्तर कोरिया से कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, लेड, मछली और अन्य सी-फूड लेने पर रोक लग गई है. इससे सीधे तौर पर उत्तर कोरिया को दूसरे देशों से मिलने वाली विदेशी मुद्रा कम होगी. इन प्रतिबंधों के कारण उत्तर कोरिया विदेशों में अपने कामगारों की संख्या नहीं बढ़ा पाएगा. जिससे नए उद्योग स्थापित करने और मौजूदा संयुक्त कंपनियों में नया निवेश करने पर प्रतिबंध लग जाएगा. ये नए प्रतिबंध संयुक्त राष्ट्र द्वारा उत्तर कोरिया पर वर्ष 2006 में पहली बार परमाणु परीक्षण करने के बाद से लेकर अब तक 7 वीं बार लगाए जाने वाले प्रतिबंध होंगे. नए प्रतिबंध के अंतर्गत उत्तर कोरिया के जो जहाज संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए पाए जाएंगे, उन्हें सभी बंदरगाहों में प्रवेश करने से वर्जित कर दिया जाएगा.

आर्थिक प्रतिबंधों से भड़का उत्तर कोरिया-

अमेरिका को उम्मीद थी कि सर्व-सहमति से लगाये गये आर्थिक प्रतिबंध से उत्तर कोरिया को बातचीत की मेज पर लाने में मदद मिलेगी. इससे कोरियाई प्रायद्वीप में शांति स्थापित करने के प्रयासों को बल मिलेगा. लेकिन हुआ इसके ठीक उल्टा. संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया और भी भड़क गया. उत्तर कोरिया ने कहा कि- 'वह संयुक्त राष्ट्र की ओर से नई पाबंदी लगाए जाने का जवाब देगा और अमेरिका को इसकी कीमत चुकानी होगी'. उत्तर कोरिया ने इसे अपनी संप्रभुता का हिंसक हनन बताया है.

USA, North Korea, Warपरमाणु हमले तक के आसार बन रहे हैं

कोरियाई धमकी पर उबले ट्रंप और भस्म करने की धमकी दी-

उत्तर कोरिया के धमकियों के बाद ट्रंप का गुस्सा फूटा और उन्होंने उत्तर कोरिया को भस्म  करने की धमकी दे डाली. ट्रंप ने मंगलवार (8 अगस्त) को कहा कि 'उत्तर कोरिया के लिए अच्छा होगा कि वह अमेरिका को बार-बार धमकी देना बंद करे. वरना वह गुस्से की आग में जलकर भस्म हो जाएगा. उत्तर कोरिया पर इतनी गोलीबारी होगी जो दुनिया ने कभी नहीं देखी होगी.' ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि 'अमेरिका का परमाणु जखीरा इस समय जितना आधुनिक और मजबूत है, उतना पहले कभी नहीं रहा था. आशा है इसके इस्तेमाल की जरुरत नहीं पड़ेगी.'

ट्रंप के चेतावनी के बाद उत्तर कोरिया ने "गुआम द्वीप" पर हमले की धमकी दी-

अमेरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की चेतावनी के कुछ ही घंटों के बाद उत्तर कोरिया ने गुआम पर मिसाइल से हमले की धमकी दे डाली. उत्तर कोरिया का कहना है कि वह अमेरिका पैसिफिक क्षेत्र के द्वीप गुआम में मिसाइल हमले पर विचार कर रहा है. गुआम पश्चिमी प्रशांत महासागर में एक अमेरिकी द्वीप है. करीब पौनै 2 लाख की आबादी वाले इस द्वीप में अमेरिका का एक बड़ा सैन्य अड्डा भी है. वैसे गुआम के गवर्नर एडी काल्वो ने हमले की आशंका को अस्वीकार किया है.

उत्तर कोरियाई सैन्य प्रवक्ता के अनुसार नेता किम जोंग उन का आदेश मिलते ही अमेरिका द्वीप पर हमला कर दिया जाएगा. इसमें उत्तर कोरिया में ही बनी मिसाइल ह्वावासोंग- 12 का प्रयोग किया जा सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के उत्तर कोरिया को भस्म कर देने के बयान तथा अमेरिका सेना के गुआम में सैन्य अभ्यास के बाद उत्तर कोरिया के इस आक्रामक बयान से स्थिति और बिगड़ गई. अमेरिका का एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम "थाड " गुआम में सक्रिय है. यह दुश्मनों की बैलेस्टिक मिसाइलों को हवा में ही मार गिराने में सक्षम है. गुआम अमेरिका का प्रमुख एयर और नेवल बेस है.

गुआम पर ही उत्तर कोरिया हमला क्यों करना चाहता है?

भारत से करीब 7 हजार किमी दूर छोटा अमेरिका द्वीप गुआम उत्तर कोरिया के निशाने पर आने के बाद पूरे विश्व में चर्चा का विषय बन गया है. अमेरिका से गुआम की दूरी करीब 11 हजार किमी है. जबकि उत्तर कोरिया से दूरी 3430 किमी है. इस प्रकार गुआम उत्तर कोरिया के पहुंच में है. यह द्वीप 541 वर्ग किमी फैला है तथा अमेरिका के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है.

पौने दो लाख आबादी वाले इस द्वीप के 29% हिस्से का प्रयोग अमेरिकी सेना करती है. यहां एंडरसन एयरफोर्स बेस और नौसेन्य बेस है. यहां बी-1,बी-2 और बी-5 बमवर्षक विमानों का जखीरा है. 1989 में स्पेन से युद्ध के बाद अमेरिका ने इस द्वीप पर कब्जा किया था. यहां के लोगों को अमेरिकी नागरिकता प्राप्त है. लेकिन वे राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते. अभी यहां 6 हजार सैनिक तैनात हैं, जिसकी संख्या में अमेरिका और भी वृद्धि करना चाह रहा है.

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गुआम का रणनीतिक महत्व-

इस द्वीप के मदद से अमेरिका पहुंच दक्षिण चीन सागर, कोरिया और ताइवान तक है. गुआम ऐसी जगह पर है, जहां से दक्षिण चीन सागर में चीन वर्चस्व पर अमेरिका महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है. इस तरह गुआम पर हमले की धमकी देकर उत्तर कोरिया एक तीर से कई शिकार कर रहा है.

कोरियाई प्रायद्वीप में शांति के लिए चीन और रूस का सहयोग महत्वपूर्ण-

उत्तर कोरिया के परमाणु व मिसाइल कार्यक्रम के विकास में चीन तथा रूस की महत्वपूर्ण भूमिका है. चीन और रूस ने आर्थिक प्रतिबंधों पर भले ही अपनी सर्वसहमति लगा दी है. लेकिन वास्तव में स्थिति इतनी सरल नहीं है. उत्तर कोरिया के तेवर से स्पष्ट है कि चीन और रूस दोनों देशों का आंतरिक समर्थन उत्तर कोरिया को प्राप्त है. "गुआम" पर ही उत्तर कोरिया के हमले की धमकी के पीछे चीनी रणनीतिकारों के खड़े रहने की मंशा स्पष्ट रूप से दिख रही है.

चीन अभी "डोकलाम" मामले पर भारत से दबाव में है. वहीं दक्षिण चीन सागर में बार-बार चीनी वर्चस्व को अमेरिका चुनौती मिल रही है. अमरीका द्वारा दक्षिण चीन सागर में चुनौती देने में "गुआम" द्वीप का महत्वपूर्ण योगदान है. इस तरह चीन, उत्तर कोरिया की धमकी द्वारा अमेरिका को "गुआम" में उलझाकर रखना चाहता है. उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम के कारण संकट खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है.

पहले उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा था. लेकिन हाल ही में जापानी सरकार के श्वेतपत्र में उत्तर कोरिया के पास छोटे परमाणु हथियारों की पुष्टि हुई है. जापानी श्वेतपत्र के अनुसार उत्तर कोरिया इन्हें लंबी दूरी की मिसाइलों में फिट कर सकता है. अमेरिकी अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि की है.

दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति मून जेइ इन ने उत्तर कोरिया के साथ सदैव वार्ता कर मामले को निपटाने की बात कही तथा प्रयास भी किया. परंतु ट्रंप के अड़ियल रवैये तथा चीन के उकसावे पूर्ण नीति ने संपूर्ण कोरियाई प्रायद्वीप को तनाव के उच्चतम स्तर चरम पर पहुंचा दिया है,जहां परमाणु हमला भी संभव है. मानवता के रक्षा के लिए विश्व समुदाय को जहां दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति को उत्तर कोरिया से वार्ता के लिए फिर से प्रोत्साहित करना चाहिए. वहीं महाशक्तियों विशेषकर अमेरिका, चीन, रूस को इस संपूर्ण मामले में सह्रदय सहयोग देना चाहिए.

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लेखक

राहुल लाल राहुल लाल @rahul.lal.3110

लेखक अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं

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