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Updated: 22 फरवरी, 2017 02:10 PM
ऋचा साकल्ले
ऋचा साकल्ले
  @richa.sakalley
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सुनो प्रधानमंत्री जी.. मैं देश की एक आम नागरिक हूं. आपका भाषण सुनती रहती हूं. आप बहुमत से जीते हैं प्रधानमंत्री बने हैं इसलिए आपके पद की इज्जत करती हूं, लेकिन सच कहूं आपके भाषणों का स्तर देख सुनकर आपके लिए इज्जत खत्म होती जा रही है. जब आपको बहुमत मिला और आप प्रधानमंत्री बने तो मैंने गुजरात दंगों के बाद आपके लिए मन में पनपी नफरत को किनारे कर दिया सोचा देश की जनता ने भी सब कुछ भूलकर बदलाव के लिए, देश में कुछ अच्छा होने की आशा से आपको आपकी पार्टी को जिताया है तो क्यों ना इस मौके पर आपको स्वीकार कर लिया जाए. सो स्वीकार लिया कि आप प्रधानमंत्री हैं, लेकिन सुनो प्रधानमंत्री जी आपका हर भाषण अंदर से हिला देता है. लगता है देश को संबोधित करने के लिए क्या एक प्रधानमंत्री की भाषा का ये स्तर होना चाहिए.

क्यों कर रहे हैं देश की कंडीशनिंग?

प्रधानमंत्री जी ये मेरे प्यारे देशवासियों की आप क्या कंडीशनिंग करने पर तुले हैं? क्यों बरगलाते हैं आप उन्हें? क्यों सही सोचने नहीं देते आप उन्हें. मेरी विनती है आपसे मेरे देश को हिंदू, मुसलमान, ऊंच-नीच, जात-पात के नाम पर मत बांटिए. आप बांट रहे हैं प्रधानमंत्री जी और मैं मेरे देश का धर्म के नाम पर बंटवारा बर्दाश्त नहीं करुंगी. मेरे जैसे कई लोग आपके भाषणों से बनने वाले देश की कल्पना कर पा रहे हैं और इसीलिए आपका विरोध भी कर रहे हैं. आप किस विकास की बात करते हैं. सिर्फ सड़कें बन जाना ही विकास नहीं होता है अगर ऐसा है तो 69 साल में भी ऐसा विकास तो हुआ ही है. अपनी जनता से जुड़िए, उनके हितों को समझिए, उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करिए, शिक्षा, स्वास्थ्य का अधिकार सुलभ करिए. सबको जागरुक बनाइए. अपनी जनता को अब कम से कम वोटबैंक मत समझिए. उन्हें अपना मानिए, देश को अपना मानिए.

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मैं पूछती हूं कि आप मेरे देश को क्या बनाना चाहते हैं प्रधानमंत्री जी. आप विभिन्नता में एकता वाले मेरे सुंदर देश को क्यों बांटना चाहते हैं प्रधानमंत्री जी. आप अपने हर भाषण में एक ही झटके में 69 साल के मेरे देश को खारिज कर देते हैं. आप एक ही झटके में जवाहर लाल नेहरु के लोकतंत्र को नकार देते हैं जिनकी दूरदर्शिता और सपने के बल पर ही इस देश ने 69 साल पूरे किये हैं. क्या आज जो देश खड़ा आपको सौगात में मिला है जिसके प्रधानमंत्री बन आप अच्छे दिन का सपना दिखाते हैं वो सब क्या मैजिक स्टिक से हो गया? क्या किसी ने कुछ किया ही नहीं? हां, प्रधानमंत्री जी बिल्कुल, मैं मानती हूं कि कांग्रेस अपनी राह से भटक गई नेहरु-गांधी के बनाए अपने मूल उद्देश्यों का उसने एक हद तक पतन किया लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि 69 साल के इस लोकतंत्र को खड़ा करने में कांग्रेस के योगदान को सिरे से नकार ही दिया जाए. मैं, मेरी पीढ़ी के लोग, हमारे बच्चे, हमारे युवा जो आपको देख सुन रहे हैं उनके समक्ष सत्य और न्याय की बात कहिए. जुमले तो आते जाते रहते हैं लेकिन सत्य तो सत्य होता है, अटल होता है ना प्रधानमंत्री जी.

प्रधानमंत्री जी मेरे विचारों को सुनकर आप और आपके अंध भक्त ये ना समझें कि मैं कांग्रेसी हूं. मैं एक बार फिर आपको बता दूं मैं इस देश की नागरिक हूं. इस लोकतंत्र का हिस्सा हूं जहां कोई भी आपकी तरह अपने मन की बात कर सकता है. जो मैं कह रही हूं वो मेरे मन की बात है.

ऐसा नहीं है कि आपके कालेधन पर लिए फैसले पर लोगों ने यहां तक कि आपके धुर विरोधियों ने भी आपका साथ ना दिया हो, यही तो हमारे लोकतंत्र की पहचान है प्रधानमंत्री जी कि हम सही को सही कहते हैं और गलत को गलत. इसे स्वीकारिए साहब.

प्रधानमंत्री जी मुझे तो लगता है आपको अब तक यकीन नहीं हुआ है कि आप इस देश के प्रधानमंत्री है वरना आप अपने भाषणों में हल्की बातें कभी ना करते.

कोई भी सरकार जो वोट के लिए धर्म के आधार पर देश को बांटती है वो गलत है पर आप तो ना करें. आप क्यों भूल जाते हैं प्रधानमंत्री जी दुनिया के एक बड़े लोकतंत्र की अरब जनता के नुमाइंदे हैं आप. आप संघ प्रचारक थे, हैं नहीं. अब आप प्रधानमंत्री हैं. वास्तविकता को स्वीकार कीजिए, संकीर्ण सोच के दायरे से ऊपर उठिए. एक व्यक्ति के रुप में, एक प्रधानमंत्री के रुप में ऐसी अनुकरणीय छवि पेश कीजिए कि इतिहास नेहरु की तरह आपको भी दिल से माने.

आपके देश की एक नागरिक.

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लेखक

ऋचा साकल्ले ऋचा साकल्ले @richa.sakalley

लेेखिका टीवीटुडे में प्रोड्यूसर हैं.

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