सूडान में फंसे भारतीयों के लिए संजीवनी सरीखा है 'ऑपेरेशन कावेरी' जिसपर नजर सबकी है!
गृहयुद्ध के बीच सूडान में लगातार मौतों का सिलसिला जारी है. चूंकि तमाम भारतीय हैं, जो रोजी रोटी की जुगत में सूडान रह रहे हैं. उनकी सुरक्षा भी सरकार की प्राथमिकता है. ध्यान रहे कि तीन हजार से ऊपर भारतीय सूडान में फंसे हैं जिनके लिए सरकार ने ऑपरेशन कावेरी की शुरुआत कर दी है.
-
Total Shares
हर बीतते दिन के साथ अफ्रीकी देश सूडान के हालात बद से बदतर हो रहे हैं. दो जनरलों के बीच जारी तनाव की आंच आम लोगों को झुलसाया रही है और सत्ता और सियासत के नाम पर जो खूनी खेल सूडान में चल रहा उसके चलते 400 से अधिक लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. वहीं तमाम लोग ऐसे भी हैं जो विद्रोह के चलते बुरी तरह जख्मी भी हुए हैं. चूंकि भारतीयों की भी एक बड़ी आबादी सूडान में रहती है इसलिए गृहयुद्ध की आग में जल रहे सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने की कवायद तेज हो गयी है और सरकार ने 'ऑपरेशन कावेरी' की शुरुआत कर दी है.
सूडान में जो हो रहा है भारत उसपर लगातार नजर बनाए हुए है. विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने ट्वीट किया है और बताया है कि सूडान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए ऑपरेशन कावेरी जारी है. करीब 500 भारतीय पोर्ट सूडान पहुंच गए हैं. विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के अनुसार भारतीयों को सूडान से वापस लाने के लिए भारतीय जहाज और एयरक्राफ्ट तैयार हैं. ध्यान रहे कि गृहयुद्ध की आग लगातार सूडान को अपनी चपेट में ले रही है. क्योंकि सूडान में गुजरे कई दिनों से आर्मी और पैरामिलिट्री फोर्स एक दूसरे के सामने हैं इसका खामियाजा आम जन मानस को भी भुगतना पड़ रहा है.
गृहयुद्ध के कारणवश हर बीतते दिन के साथ सूदन की हालत बद से बदतर हो रही है
जिक्र भारत और भारतीयों का हुआ है तो बताते चलें कि जो जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय से आई है उसके अनुसार करीब तीन हजार के आस पास ऐसे भारतीय हैं जो सूडान में रहकर ज़िन्दगी गुजर बसर कर रहे हैं और जिनकी जिंदगी को बचाया मौजूदा वक़्त में सरकार की प्राथमिकता है.
तो आखिर क्या है ऑपरेशन कावेरी?
अभी बीते दिनों ही सूडान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कि संघर्षग्रस्त सूडान से फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार ने 'ऑपरेशन कावेरी' शुरू किया था. दिलचस्प बात यह है कि अगले कुछ दिनों में कर्नाटक में चुनाव है इसलिए इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन कावेरी' नाम देने को चुनावों से भी जोड़ने की शुरुआत हो गयी है. यह कुछ कुछ उसी तर्ज पर हुआ है, जैसा अभी बीते दिनों हमने तब देखा था जब पीएम ने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को बचाने के लिए ऑपरेशन को 'ऑपरेशन गंगा' का नाम दिया था.
गौरतलब है कि कावेरी कर्नाटक और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्यों से होकर बहने वाली प्रमुख भारतीय नदियों में से एक है. नदी स्थानीय लोगों के लिए पवित्र है और देवी कावेरीअम्मा (मां कावेरी) के रूप में इसकी पूजा की जाती है.
Operation Kaveri gets underway to bring back our citizens stranded in Sudan. About 500 Indians have reached Port Sudan. More on their way. Our ships and aircraft are set to bring them back home. Committed to assist all our bretheren in Sudan. pic.twitter.com/8EOoDfhlbZ
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) April 24, 2023
सूडान में फंसे लोग सुरक्षित भारत लौटें इसके लिए एयरफोर्स के साथ साथ नेवी की भी मदद ली जा रही है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के दो ट्रांसपोर्ट विमान C-130J सऊदी अरब के जेद्दाह में स्टैंडबाय पर हैं. वहीं नौसेना का जहाज आईएनएस सुमेधा तो पोर्ट सूडान भी पहुंच गया है. बताया जा रहा है कि इसी एयरक्राफ्ट से 500 भारतीयों को सूडान से भारत वापस लाया जा रहा है.
तनावग्रस्त क्षेत्र में फंसे लोगों को बाहर निकालना सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती की तरह देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि राजधानी खार्तूम में खुनी संघर्ष जारी है और हालात 'अस्थिर' बने हुए हैं. भारत को अपने लोगों की कितनी परवाह है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत उन देशों के साथ लगातार संपर्क में है, जो सूडान में फंसे अपने नागरिकों को बाहर निकालने के लिए लगातार कोशिशें कर रहे हैं.
जिक्र सूडान में दो जनरलों के बीच लड़ाई और गृहयुद्ध का हुआ है तो हमारे लिए भी ये जान लेना बहुत जरूरी है कि अभी बीते दिनों ही सूडान में सेना और पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच युद्ध की शुरुआत हुई थी. ये संघर्ष सेना के,कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और पैरामिलिट्री फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच हो रहा है. मामले में दिलचस्प ये कि जनरल बुरहान और जनरल डगालो किसी ज़माने में साथ थे और हम प्याला और हम निवाला हुआ करते थे.
ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि सूडान में विद्रोह या ये कहें कि गृह युद्ध की शुरुआत आज हुई है. सूडान में जो ख़ूनी खेल आज खेला जा रहा है इसकी शुरुआत अप्रैल 2019 में तब हुई थी जब सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया था. बाद में सेना ने अल-बशीर की सत्ता को उखाड़ फेंक दिया था.
बशीर को सत्ता से बेदखल करने के बावजूद सूडान में शांति नहीं आई और बाद में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के तहत एक सोवरेनिटी काउंसिल बनी और तय हुआ कि 2023 के आखिर तक चुनाव करवाए जाएंगे. उसी साल अबदल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. लेकिन इससे भी बात नहीं बनी. अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया. जनरल बुरहान काउंसिल के अध्यक्ष तो जनरल डगालो उपाध्यक्ष बन गए.
चूंकि अभी भी सूडान में चुनाव नहीं हुए हैं इसलिए माना यही जा रहा है कि जैसे जैसे दिन आगे बीतेंगे विरोध बढ़ेगा. बहरहाल विषय भारतीयों की सुरक्षा है. तो जैसे प्रयास सरकार कर रही है माना यही जा रहा है कि वो न केवल सकुशल मुसीबत में फंसे अपने लोगों को बाहर निकालेगी बल्कि दूसरे देशों के लोगों की भी मदद करेगी.
आपकी राय