जब दंगा शांत कराने पहुंचे ओवैसी और साध्वी प्राची!
देश की ये दो बड़ी हस्तियां यदि दंगे से सुलग रहे इलाके में पहुंचेंगी तो क्या होगा? बल्लभगढ़ में क्या हुआ होगा इनके आने पर...
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हरियाणा के बल्लभगढ़ में पिछले दिनों हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगा हो गया. सोमवार को देश की दो हस्तियों इस दंगे की आग को शांत कराने पहुंची. सुबह आए एमआईएम सांसद असदउद्दीन ओवैसी और शाम को पहुंचीं बीजेपी सांसद साध्वी प्राची. अरे, आप क्या सोचने लगे? जी हां, इसे ही कहते हैं कैरोसीन से आग बुझाना.
ओवैसी और साध्वी प्राची गए तो लोगों के दर्द पर मरहम रखने ही. लेकिन कहते हैं न, कि क्या करें आदत है तो मुंह से कुछ निकल ही जाता है. सुबह ओवैसी पहुंचे थे, तो पहला नंबर उन्हीं का था. पहुंचते ही शुरू हो गए- 'प्रधानमंत्री मोदी सबका साथ सबका विकास की बात करते है पर यहाँ तो हमारा विनाश हो रहा है. वे केरल की मस्जिद का दौरा कर रहे हैं, जबकि उन्हें पहले बल्लभगढ़ आना चाहिए था. जो दिल्ली से 50 किमी दूर ही है'. खैर, एमआईएम पार्टी के सांसद ओवैसी वही हैं, जो अपने छोटे भाई के जहरीले भाषणों पर चुप्पी साध जाते हैं.
फरीदाबाद जिले की बल्लभगढ़ तहसील के गांव अटाली में एक मस्जिद के निर्माण को लेकर हुआ विवाद इतना बढ़ा कि पथराव के बाद कुछ घरों को आग लगा दी गई. सहमे हुए दो सौ मुस्लिम एक थाने में शरण लिए हुए हैं. ओवैसी के आने के बाद तनाव कम होना तो दूर, और बढ़ गया. कोई समझौता तो नहीं हुआ, मामले में और गर्माहट आ गई.
इस गर्माहट में जिसकी कमी थी, वह भी शाम होते-होते पूरी हो गई. बल्लभगढ़ में सवारी पहुंची थी साध्वी प्राची की. अचानक हुए इस आगमन ने अचानक प्रशासन का सिरदर्द बढ़ा दिया. सिरदर्द क्यों न बढ़ता, साध्वी प्राची ने वही कहा, जिसकी आमतौर पर उम्मीद की जाती है. बल्लभगढ़ रेस्ट हाऊस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए साध्वी प्राची ने सबसे पहला इशारा ओवैसी की ओर किया, फिर बोलीं देश के गद्दारो का नाम अपनी जुबान पर नहीं लाना चाहती और अपनी जुबान को अपवित्र नही करना चाहती. हमारी मां-बहनों पर पथराव हुआ, उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ है. लेकिन मीडिया के दबाव के चलते उसे नहीं दिखाया गया है. वे बालीं, जहां भी महिलाओं पर अत्त्याचार होता है, वे वहां पहुंच जाती हैं. उन्होंने कहा कि देश के गद्दार इस मामले को राजनीतिक रंग दे रहे हैं.
एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए दोनों ने अंत में अलग-अलग समय पर ही सही, लेकिन एक ही बात कही. घटना शर्मनाक है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. हालांकि, इस मांग में दोनों का जोर दूसरे पक्ष के लोगों की गिरफ्तारी कराने पर था. अब यही तो सियासत है. सुलह का हल ढूंढने की जिम्मेदारी तो बल्लभगढ़ में वर्षों से रह रहे बाशिंदों की है. झगड़ा भी तो उन्होंने ही किया था.
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