कश्मीर के बहाने बाजवा और इमरान खान दोनों ने 'एक्सटेंशन' ले लिया
पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को 3 साल बढ़ाया गया है. माना जा रहा है की ये इमरान खान की उस राजनीति का हिस्सा है जिसमें उन्हें पाकिस्तान में कश्मीर के नाम पर अगले 3 सालों तक सत्ता सुख भोगना है.
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जम्मू कश्मीर से मोदी सरकार धारा 370 हटाए जाने के मुद्दे को भले ही भारत और भारतीय जनमानस ने एक बेहद साधारण नजर से देखा हो. मगर जब बात पाकिस्तान की आती है तो इसे लेकर वहां जबरदस्त सियासी घमासान मचा हुआ है. भारत पाकिस्तान के बीच जैसे हालत हैं इस घमासान में जिस व्यक्ति को सबसे ज्यादा फायदा प्रधानमंत्री इमरान खान के बाद हुआ है वो और कोई नहीं बल्कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा हैं.
पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को 3 साल के लिए और बढ़ा दिया गया है. ध्यान रहे की माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार भारत के विरोध में ट्वीट कर रहे हैं और पाकिस्तानी आवाम के अलावा दुनिया से हमदर्दी जुटाने का प्रयास कर रहे हैं. कश्मीर को लेकर जैसा रुख इमरान खान का है साफ़ है की अभी ये उथल पुथल शांत नहीं होगी और जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ेंगे हम ऐसा बहुत कुछ देखेंगे जिसकी काल्पन शायद ही कभी हमने की हो.
आर्मी चीफ जनरल बाजवा का कार्यकाल 3 साल बढ़वाकर इमरान खान ने अपनी भी मुश्किलें आसान की हैं
बाजवा का कार्यकाल बढ़ाए जाने की मंजूरी खुद इमरान खान ने दी है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है, जनरल कमर जावेद बाजवा को अगले तीन सालों के लिए फिर से आर्मी चीफ नियुक्त किया जाता है. ये आदेश उनके मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने की तारीख से प्रभावी होगा. साथ ही ये भी कहा जा रहा है की यह निर्णय क्षेत्रीय सुरक्षा वातावरण को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.
Appointing your boss, like a boss pic.twitter.com/s4AR0twyuI
— Kamlesh K Singh (@kamleshksingh) August 19, 2019
ध्यान रहे की चाहे नौकरी हो या फिर बेरोजगारी. अर्थव्यवस्था से लेकर कर्जे तक पाकिस्तान में विपक्ष लगातार इमरान खान के खिलाफ आ गया था और माना यही जा रहा था कि तमाम मोर्चों पर विफल रहने के चलते किसी भी क्षण पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार गिर सकती है. वहीं बात अगर कमर जावेद बाजवा की हो तो उनका कार्यकाल पूरा हो गया था और वो रिटायर होने वाले थे. ऐसे में 'कश्मीर' मुद्दे को दोनों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है.
ज्ञात हो कि इमरान खान के पास अभी तीन साल शेष हैं. वहीं बात अगर बाजवा के सन्दर्भ में हो तो उनके एक्सटेंशन का आधार ही क्षेत्रीय सुरक्षा वातावरण को बनाया गया है. यानी अगले तीन वर्षों तक पाकिस्तान में कश्मीर एक बड़ा मुद्दा रहेगा जिसकी आड़ में प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी नाकामियां छुपाते रहेंगे और इसपर राजनीति ठीक वैसे ही चलेगी जैसे अभी चल रही है. कह सकते हैं कि इस वक़्त तक पाकिस्तान में इमरान खान ने इतना कश्मीर-कश्मीर कर दिया है की एक आम पाकिस्तानी भी ये सोचने में असमर्थ हो गया है की उसकी मूलभूत जरूरत नौकरी, शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं हैं या फिर कश्मीर के लोग उनकी 'आजादी'.
बात बाजवा के एक्सटेंशन की चल रही है तो ये बताना भी बेहद जरूरी है की इस पूरे मुद्दे पर प्रधानमंत्री इमरान खान ने जो यूटर्न लिया है उसने पूरी दुनिया के सामने उनका चाल चरित्र और चेहरा दर्शा दिया है. ज्ञात हो की जिस वक़्त पाकिस्तान में परवेज़ मुशर्रफ ने जनरल अशफाक परवेज कयानी का एक्सटेंशन किया खुद इमरान खान ने इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया था और कहा था कि कोई भी चीज कानून से बड़ी नहीं है और एक देश का निजाम तभी चलता है जब वहां पर होने वाली चीजें कानून के अंतर्गत हों. जो बातें तब इमरान खान ने कहीं थीं अगर उनपर गौर किया जाए तो मिलता है की तब मुशर्रफ सरकार के उस कृत्य की इमरान खान ने तीखी आलोचना की थी और उसे असंवैधानिक करार दिया था.
"Generals were not given extensions even during world war... When you change the rules for one person... you destroy the entire institution" - Imran Khan
But
"Doing a U-turn... is the hallmark of great leadership" - also Imran Khan pic.twitter.com/H6aM7WYr69
— M. Jibran Nasir (@MJibranNasir) July 16, 2019
अब जबकि इमरान खान ने खुद इसी चीज को दोहराया है तो ये अपने आप साफ़ हो गया है की उनकी नीयत में एक बड़ा खोट है और वो जो भी कर रहे हैं सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे को ध्यान में रखकर कर रहे हैं. बाकी बात कमर बाजवा के सन्दर्भ में चल रही है तो ये बताना भी जरूरी है की उनका शुमार उन लोगों में है जो इमरान खान के करीबी हैं और कहा तो यहां तक जाता है की इमरान द्वारा लिए गए फैसलों का एक बड़ा हिस्सा बाजवा की राय से प्रभावित होता है.
जैसा की हम बता चुके हैं पाकिस्तान में ये कोई पहली बार नहीं हुआ है. नवम्बर 2016 में सेवानिवृत्त होने वाले जनरल राहील शरीफ को 2017 में इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेररिज्म कोएलिशन (आईएमसीटीसी) का प्रमुख बनाया गया था और उन्हें सऊदी अरब भेजा गया था. कहा जाता है कि इस विषय पर खुद राहील ने अपनी सरकार पर दबाव बनाया था और शुरू में तो इसका विरोह हुआ था मगर बाद में सरकार द्वारा राहील की मांग मानना मज़बूरी बन गया था.
बहरहाल, एक ऐसे समय में जब पाकिस्तान की सेना आतंकियों को घुसपैठ कराने के इरादे से लगातार संघर्षविराम का उल्लंघन कर रही हो और भारत की तरफ से उसे मुंह तोड़ जवाब दिया जा रहा ही बाजवा के कार्यकाल को विस्तार देना कहीं न कहीं पाकिस्तान की एक बड़ी मजबूरी के तहत देखा जा सकता है. क्योंकि इमरान और बाजवा एक दूसरे को समझते हैं इसलिए इमरान सरकार के इस फैसले को देश के मुकाबले दोनों के व्यक्तिगत फायदे के रूप में ज्यादा देखा जा रहा है.
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