सुन लो FATF वालों, पाकिस्तानी बैंकों के लिए terror finance आउट ऑफ कोर्स वाली बात है
आने वाले 13 और 18 अक्टूबर को फिर से FATF की बैठक होनी है, जिसमें ये तय किया जाएगा कि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करना है या नहीं. या फिर ग्रे ही रहने दिया जाना है.
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आतंक का पनाहगार बना पाकिस्तान अब अपनी हरकतों का हर्जाना भुगतने की दिशा में आगे बढ़ता सा दिख रहा है. जिस आतंक के दम पर पाकिस्तान दुनिया को डराने की नाकाम कोशिशें करता है, वही आतंकी दलदल अब पाकिस्तान को निगलने को तैयार लग रहा है. इस आतंक की वजह से पाकिस्तान पहले ही FATF (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में पहुंच चुका है और ब्लैकलिस्ट होने के बेहद करीब है. आने वाले 13 और 18 अक्टूबर को फिर से FATF की बैठक होनी है, जिसमें ये तय किया जाएगा कि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करना है या नहीं. वैसे अभी तक जो रिपोर्ट सामने आई हैं, उन्हें देखकर तो नहीं लगता कि कहीं से कहीं तक पाकिस्तान को इस मामले में राहत मिल सकती है. हां, पाकिस्तान के जिगरी यार चीन का कुछ कह नहीं सकते, वह ऐन मौके पर तुरुप का इक्का फेंककर अक्सर पाकिस्तान को बचा लेता है. मसूद अजहर पर बैन लगाने की राह का रोड़ा भी चीन ही बना था, जो बार-बार वीटो पावर का इस्तेमाल कर के मसूद को बचा रहा था. ये देखना दिलचस्प होगा कि इस बार चीन क्या कर पाता है.
अभी तक जो रिपोर्ट सामने आई है, उसे देखकर तो लगता है कि पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट होगा, लेकिन चीन बचा भी सकता है.
टेरर फाइनेंसिंग का मतलब ही नहीं पता
आतंकियों की फंडिंग (टेरर फाइनेंसिंग) पर रोक लगाने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की एशिया की इकाई एशिया-पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने पाकिस्तान पर अपनी रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक और मार्केट रेगुलेटर को टेरर फाइनेंसिंग का सही मतलब ही नहीं पता है. रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सही और गलत दोनों सोर्स के जरिए ही टेरर फाइनेंसिंग के खतरे के बीच में है. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान के सिस्टम में ही गड़बड़ हो रही है, जिसमें सब कुछ सही तरीके से भी होगा, तो आतंकियों को फंडिंग होने से पूरी तरह रोक पाना मुश्किल है. अब पहले से ही ग्रे लिस्ट में पहुंच चुके पाकिस्तान पर ब्लैकलिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है.
तो इसलिए टेंशन में हैं इमरान खान
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के सामने सबसे बड़ी चिंता अब इसी बात की है कि कहीं पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट ना हो जाए. पिछले ही महीने संयुक्त राष्ट्र में बोलते हुए उन्होंने भारत को टारगेट किया था और कहा था कि भारत की ओर से पाकिस्तान को FATF में ब्लैकलिस्ट करने की तरफ धकेला जा रहा है. उन्होंने कहा था कि FATF की बैठकों में भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ कदम उठाए जा रहे हैं. वह कोशिश कर रहे हैं कि हम पूरी तरह से दिवालिया हो जाएं. भारत चाहता है कि पाकिस्तान तबाह हो जाए.
ताकतवर हुआ चीन पाकिस्तान को बचाएगा !
वैसे इमरान खान के माथे पर भले ही शिकन दिख रही हो, लेकिन दिल में इस बात का सुकून जरूर होगा कि उनका दोस्त चीन एक बार फिर ताकतवर हो गया है. दरअसल, इस साल FATF के प्रेसिडेंट की कुर्सी बीजिंग के पीपल्स बैंक ऑफ चाइना के जिंयाग्मिन लिउ (Xiangmin Liu) के पास गई है और ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि चीन अपनी पूरी ताकत के साथ पाकिस्तान के हितों की रक्षा करने की कोशिश करेगा. वैसे भी, जो चीन मसूद अजहर जैसे आतंकी को बचाने के लिए पाकिस्तान की मदद कर सकता है, वह पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट होने से तो रोक ही सकता है. यहां तक कि भारत के काउंडर टेरर अधिकारियों ने भी चीन का हवाला देते हुए यही कहा है कि भले ही एपीजी की म्यूचुअल इवैल्युएशन रिपोर्ट (Mutual Evaluation Report) पाकिस्तान के खिलाफ है, लेकिन पाकिस्तान का ब्लैकलिस्ट होना बहुत ही मुश्किल है.
एपीजी रिपोर्ट: हर मामले में पाकिस्तान फिसड्डी
अगर FATF की एशिया इकाई एपीजी की रिपोर्ट देखें तो पाकिस्तान लगभग हर मोर्चे पर फिसड्डी साबित हुआ है. मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई के 10 मानदंडों में से 9 में पाकिस्तान फिसड्डी साबित हुआ है, जबकि एक में मध्यम स्थान मिला है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल रिजॉल्यूशन 1267 को लागू करने के लिए सही कदम नहीं उठाए हैं. रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सरकार ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा, जमात-उद-दावा (जेयूडी) व फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) और इनके सरगना हाफिज सईद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएनएससीआर 1267 कमेटी की रिपोर्ट में 2008 में जेयूडी और 2012 में एफआईएफ का नाम आ चुका है, बावजूद इसके पाकिस्तान में ये दोनों संगठन खुलेआम अपनी जनसभाएं कर रहे हैं और पैसे इकट्ठा कर रहा है. पाकिस्तानी मीडिया में भी ऐसी कई रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं, जिनमें ये देखा गया है कि मानवीय राहत और सहायता के नाम पर एफआईएफ चंदा वसूल रहा है. यहां तक कि इन संगठनों की ओर से एंबुलेंस सेवाएं भी जारी रखने पर सवाल उठाए गए हैं. अब पेरिस में FATF की बैठक होने वाली है, जिसमें भारत की कोशिश होगी कि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कराया जाए, लेकिन ये भी नहीं भूलना चाहिए कि अब अध्यक्ष की कुर्सी चीन के पास है. वो कहते हैं ना... सइयां भये कोतवाल, अब डर काहे का.
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