चुनाव के मद्देनजर 1000 कफन की व्यवस्था पाकिस्तान की स्याह हकीकत है
पेशावर के डिप्टी कमिश्नर ने सोमवार को घोषणा की कि चुनाव के मद्देनजर उन्होंने 1000 कफन का भी इंतजाम कर रखा है. ये सुनकर पहले तो अटपटा लगा, लेकिन दोपहर होने से पहले ही बलूचिस्तान में हुए धमाके ने 1000 कफन को तार्किक बना दिया.
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पाकिस्तान में आज 11वें चुनाव की वोटिंग हो रही है. हर बार चुनाव में हिंसा की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए इस बार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए. पेशावर के डिप्टी कमिश्नर ने सोमवार को घोषणा की कि चुनाव के मद्देनजर उन्होंने 1000 कफन का भी इंतजाम कर रखा है. जब ये खबर सामने आई तो बहुत से लोगों को बहुत अटपटा लगा कि सुरक्षा इंतजाम की बात तो ठीक है, लेकिन 1000 कफन का इंतजाम क्यों किया गया? क्या सुरक्षा एजेंसियों को पहले से ही भरोसा है कि लोग मरेंगे ही? लोगों के इन सवालों का जवाब पाकिस्तान चुनाव शुरू होने के कुछ समय बाद ही मिल गया. चुनाव के दिन ही एक बम धमाका हो गया है.
28 लोगों की धमाके में मौत
पेशावर के डिप्टी कमिश्नर इमरान हामिद शेख ने जिस आशंका के तहत 1000 कफन का इंतजाम पहले ही कर लिया था, कुछ वैसा ही हुआ है बलूचिस्तान में. बलूचिस्तान के क्वेटा में एक बाईपास के नजदीक बम धमाका हुआ है, जिसमें 28 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 40 घायल हैं. यह हमला दरअसल पेट्रोलिंग कर रही पुलिस टीम पर किया गया था. इस आत्मघाती हमले में मरने वालों में 2 बच्चे और 3 पुलिसवाले भी हैं.
#Quetta blast 15 dead over two dozen injured pic.twitter.com/qBXxfgUkho
— Syed Ali Shah (@alishahjourno) July 25, 2018
पाकिस्तान चुनाव में हिंसा होती ही है
चुनाव में छुटपुट हिंसा होना तो आम बात है, लेकिन जब बात पाकिस्तान की होती है तो ये बड़ी हिंसा होती है. क्वेटा का धमाका इसी ओर इशारा करता है. 10 जुलाई को ही एक रैली के दौरान आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें आवामी नेशनल पार्टी का एक उम्मीदवार भी था. इतना ही नहीं, 2014 में पेशावर के आर्मी स्कूल में तालिबानी आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें 149 लोग मारे गए थे. ये बेहद दर्दनाक हमला था, जिसमें मरने वालों में 132 स्कूली छात्र थे. अब आप ही सोचिए, जहां का इतिहास इतना खराब रहा हो, वहां पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी क्यों नहीं होगी. यही वजह है कि चुनाव के दिन पूरे पाकिस्तान में सुरक्षा बल के 8 लाख जवानों के तैनात किया गया है.
पाकिस्तान में हिंसा और मौतों का इतिहास पाकिस्तान की खस्ता हालत को बयां करता है. जिस देश में हाफिज सईद जैसे आतंकी की पार्टी चुनावी मैदान में हो और खुद हाफिज सईद का बेटा और दामाद चुनाव लड़ रहे हों, उस देश की क्या हालत होगी, ये समझाने की जरूरत नहीं है. अगर सईद की पार्टी जीत गई तो आप समझ सकते हैं कि पाकिस्तान को चलाने वाला एक आतंकी होगा. 2008 में मुंबई हमले को अंजाम देने वाले हाफिज के सिर पर अमेरिका ने 1 करोड़ डॉलर का इनाम रखा हुआ है, लेकिन वह सिर्फ खुलेआम घूम ही नहीं रहा है, बल्कि चुनाव भी लड़ रहा है. वैसे भी पाकिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हो रहा है क्या ये कम है? क्योंकि यहां तो तख्ता पलट कर के सत्ता हासिल करने की परंपरा चलती आई है. अब आप भी समझ ही गए होंगे कि लोगों के मरने से पहले ही प्रशासन ने क्यों 1000 कफन की व्यवस्था कर ली है.
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