क्यों अहम है यह पाकिस्तान चुनाव
आगामी चुनाव पाकिस्तान के भविष्य के लिहाज से भी काफी अहम होने वाला है. हालांकि यह भी सच है कि जो भी देश का अगला प्रधानमंत्री बनेगा उसको कई तरह की चुनौतियों का सामना करना होगा.
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25 जुलाई 2018 को पाकिस्तान अपने नए प्रधानमंत्री को चुनने के लिए मतदान करेगा और संभवतः यह उम्मीद भी आगामी प्रधानमंत्री अपने पांच साल के कार्यकाल को पूरा करें. क्योंकि पाकिस्तान के 71 सालों के इतिहास में अब तक वो मौका नहीं आया जब किसी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया हो. और यह चुनाव पाकिस्तान के इतिहास में दूसरा मौका होगा जब कोई लोकतान्त्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार वापस से चुनावों में जाएगी. इससे पहले पाकिस्तान समय-समय पर अपने मिलिट्री शासकों द्वारा तख्तापलट देखता आया है. ऐसे में यह चुनाव हर पाकिस्तानी के लिए चुनी हुई सरकार लाने का बेहतर मौका लेकर आयी है.
पाकिस्तान के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा ये चुनाव
अपने जन्म के समय से ही राजनैतिक उठापठक के गवाह रहे पाकिस्तान को इसका भारी खामियाजा भी भुगतना पड़ा है. आज पाकिस्तान की पहचान एक ऐसे देश के रूप में होती है जो भारी अंतर्राष्ट्रीय कर्ज में डूबा है, जहां की अर्थव्यवस्था निर्यात के बजाय भारी आयात पर निर्भर रहती है, और तो और वर्तमान में पाकिस्तान में थोड़ी बहुत आर्थिक हालात ने जो गति पकड़ी है वो भी चीन के रहमो करम पर है. पाकिस्तान की कानून व्यवस्था का आलम यह है कि आपको खुलेआम अंतराष्ट्रीय स्तर के आतंकवादी सभा करते दिख जाते हैं. और देश में कठमुल्लेपन की हद यह है कि कोई भी चुनी हुई सरकार चाह कर भी इन आतंकवादियों का बाल भी बांका नहीं कर सकती, क्योंकि इन्हें पाकिस्तानी सेना का वरदहस्त प्राप्त है. और भले ही देश में चुनी हुई सरकार हो मगर देश में सेना का क्या ओहदा है वो किसी से छिपी नहीं है.
ऐसे में आगामी चुनाव पाकिस्तान के भविष्य के लिहाज से भी काफी अहम होने वाला है. हालांकि यह भी सच है कि जो भी देश का अगला प्रधानमंत्री बनेगा उसको कई तरह की चुनौतियों का सामना करना होगा. मसलन जहां एक तरफ प्रधानमंत्री के कंधे पर देश कि लुढ़कती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी होगी तो वहीं दूसरी तरफ भारत समेत दूसरे पड़ोसी देशों से सम्बन्ध सुधारने की दिशा में काम करना होगा. साथ ही आगामी सरकार को आतंकवाद के मुद्दे पर भी सख्ती दिखानी होगी जिसके कारण पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलालत झेलनी पड़ती है.
इमरान खान और नवाज शरीफ में कांटे की टक्कर
इस बार पाकिस्तान के चुनावों में मुख्य रूप से नवाज़ शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़), इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ, और बिलावल भुट्टो ज़रदारी की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के बीच में है. हालांकि चुनावों के पूर्व के सर्वेक्षण नवाज़ शरीफ की पार्टी और इमरान खान को ही मुख्य लड़ाई में बताती है. हालांकि जहां एकतरफ नवाज़ शरीफ के जेल चले जाने के बाद पार्टी की कमान और आगामी प्रधानमंत्री के रूप में शाहबाज़ शरीफ मैदान में हैं. शाहबाज़ शरीफ की पहचान एक कड़े प्रशासक के रूप में है, और पंजाब प्रान्त का मुख्यमंत्री रहते हुए उनके विकास के कामों की तारीफ भी हुई है. वहीं भारत के साथ सम्बन्ध के मामले में भी शरीफ का बयान बेहतर दिशा में लगते हैं. शरीफ ने अमेरिका और दक्षिण कोरिया के मुलाकात के बाद भारत से भी शांतिपूर्ण संबंधों की वकालत की थी. ऐसे में कहा जा सकता है कि भारत के नजरिये से शहबाज़ शरीफ बेहतर साबित हो सकते हैं. हालांकि इसके विपरीत क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान को पाकिस्तानी सेना की पसंद माना जाता है, और उनके राज में भारत पाकिस्तान सम्बन्ध के सामान्य होने की बहुत ज्यादा संभावना दिखती नहीं है.
ऐसे में पाकिस्तान का चुनाव देश की दशा दिशा तय करने वाला होगा. अगर देश की जनता देश में एक मजबूत सरकार बनाने में कामयाब होती है तो शायद देश के हालात कुछ हद तक पटरी पर लौट सकते हैं वर्ना पाकिस्तान के हालात और भी मुश्किल हो सकते हैं.
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