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Updated: 19 अप्रिल, 2019 04:01 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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पाकिस्तान के अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं. इमरान खान जिन्होंने अपने कैबिनेट मिनिस्टर्स के साथ नया पाकिस्तान बनाने का दावा किया था वो 8 महीने में ही अपनी कैबिनेट के काम से खुश नहीं हैं. आलम ये है कि इस दौर में पाकिस्तान की सबसे जरूरी मिनिस्ट्री यानी मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस ने अपना पोस्ट ब्वॉय खो दिया है. असद उमर ने पाकिस्तानी वित्तमंत्री की कुर्सी से इस्तीफा दे दिया और ये हुआ भी तब जब उमर ने ये वादा किया था कि कुछ ही हफ्तों में वो IMF का बेलआउट पैकेज पाकिस्तान के लिए ले आएंगे.

7 साल की उम्मीद 8 महीने में ही टूट गई-

असद उमर ने 2012 में पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी का हाथ थामा था और तब से लेकर अब तक असद उमर को इमरान खान ने पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की उलझन का जवाब बताया था. दरअसल, असद उमर एक मल्टीमिलियन डॉलर कंपनी के सीईओ हुआ करते थे और पाकिस्तान में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले सीईओ भी. Engro Corporation कंपनी से असद 1985 में जुड़े थे और 1997 में वो इस कंपनी के सीईओ बन गए थे. 2004 में उन्हें इसी ग्रुप के प्रेसिडेंट और सीईओ का पद मिला था और 2009 में पाकिस्तान का सितारा-ए-इम्तियाज अवॉर्ड क्योंकि वो पब्लिक सेक्टर में काफी अच्छा काम कर रहे थे.

असद पाकिस्तान के सबसे चर्चित बिजनेसमैन के रूप में जाने जाते थे और उन्हें Engro Corporation को फर्श से अर्श तक पहुंचाने के लिए जाना जाता था. यही कारण है कि 2012 में उन्हें आर्थिक मसीहा के रूप में पेश किया गया और पीटीआई ने तब से लेकर अब तक की लड़ाई में असद को इमरान खान ने एक ऐसे जवाब के तौर पर पेश किया जो पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के पेचीदा सवाल का हल था, लेकिन सरकार बनने के महज 8 महीने के अंदर ही असद उमर को अपने पद से हटना पड़ा.

कैबिनेट की अदला-बदली को इमरान खान सरकार की नाकामी माना जाए या फिर उसके मंत्रियों की ये तो नहीं पता, लेकिन एक बात तो पक्की है कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए ये बेहद खराब दौर चल रहा है.

असद उमर हाल ही में अमेरिकी दौरे से वापस आए थे और उनके मुताबिक IMF का पैकेज जल्दी ही मिलने वाला था, लेकिन उसके पहले ही असद उमर का इस्तीफा अब उस बेकआउट पैकेज के लिए भी सवालिया निशान खड़े कर रहा है.

किन हालात में है पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था?

2019 में मौजूदा हालात में पाकिस्तान गजब की आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. ये देश आयात पर ज्यादा खर्च कर रहा है और निर्यात हो नहीं रहा. इसका करंट अकाउंट डेफिसिट 2.7 बिलियन डॉलर (2015) से बढ़कर 18.2 बिलियन डॉलर (2018) में हो गया. किसी देश के करंट अकाउंट डेफिसिट यानी (सीएडी) से पता चलता है कि उसने गुड्स, सर्लिस और ट्रांसफर्स के एक्सपोर्ट के मुकाबले कितना ज्यादा इंपोर्ट किया है? यह जरूरी नहीं है कि करंट अकाउंट डेफिसिट देश के लिए नुकसानदेह ही होगा. विकासशील देशों में लोकल प्रॉडक्टिविटी और फ्यूचर में एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए शॉर्ट टर्म में करंट अकाउंट डेफिसिट हो सकता है. लेकिन लॉन्ग टर्म में करंट अकाउंट डेफिसिटी इकनॉमी का दम निकाल सकती है.

इसका सबसे अहम कारण है आयात का बढ़ना जो CPEC प्रोजेक्ट के कारण हुआ है. इसके पहले वाली सरकारों ने ध्यान नहीं दिया और आयात इतना बढ़ गया कि पाकिस्तान में विकास होने की जगह अर्थव्यवस्था ही चरमरा गई. जून 2018 तक पाकिस्तान का कर्ज $179.8 बिलियन डॉलर हो चुका था और महज एक ही साल में ये 25.2 बिलियन डॉलर बढ़ा है. 2018 में तो सिर्फ पाकिस्तानी रुपए की कीमत कम होने के कारण $7.9 बिलियन डॉलर का कर्ज बढ़ा है.

पाकिस्तान, असद उमर, इमरान खान, अर्थव्यवस्थाअसद उमर जिन्हें पाकिस्तान का पालनहार समझा जा रहा था वो तो बीच मजधार में ही छोड़कर चले गए.

गौरतलब है कि मार्च में पाकिस्तान में महंगाई दर 9.41% पहुंच गई, जो नवंबर 2013 के बाद से सबसे अधिक है. महंगाई को काबू में करने के लिए पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर को 10.75% कर दिया है, जिससे आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है. कुछ कंपनियों ने पाकिस्तान से अपना कारोबार समेटने का भी फैसला किया है. बैंक ने इंट्रेस्ट रेट जनवरी 2018 से लेकर अब तक में 4.50 प्रतिशत बढ़ा दिया है जो अपने आप में चिंता का विषय है.

पाकिस्तानी सरकार का कहना था कि महंगाई की दर 6% के आस-पास रहेगी, लेकिन इस साल फरवरी में ही पाकिस्तानी महंगाई सरकार के आंकड़े को पार कर गई. पाकिस्तान में दूध का दाम अब पेट्रोल के दाम को पार कर चुका है और खाने-पीने की चीज़ों को लेकर भी महंगाई ने आसमान छूना शुरू कर दिया है.

असद उमर को पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को सुधारने का जिम्मा दिया गया था और उन्होंने पाकिस्तानी जनता से कई तरह के वादे किए थे, लेकिन अब पाकिस्तान की इस हालात के बाद लग रहा है जैसे जल्दी ही इमरान खान भी बदल सकते हैं!

असद उमर जाते-जाते भी ये कह गए कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए कड़े फैसले लेने की जरूरत है और मैंने ऐसे फैसले लेने से मना कर दिया जिनसे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा जाए.

पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए 8 बिलियन डॉलर का पैकेज IMF से आना है और इसी वित्तीय वर्ष में सऊदी अरब, चीन, यूएई जैसे देशों से पाकिस्तान पहले से ही 9.1 बिलियन डॉलर की मदद ले चुका है. अभी भी अगर IMF का पैकेज नहीं मिला तो अगले कुछ महीनों में पाकिस्तान की हालत बेहद खराब हो सकती है.

जरदारी शासन में वित्त मंत्री रहे शेख अब इमरान के नए वित्‍त मंत्री!

पाकिस्तान के नए वित्त मंत्री बने हैं अब्दुल हाफिज शेख. यूं ताे वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रहे हैं और वर्ल्ड बैंक में भी काम कर चुके हैं. लेकिन उनकी खास पहचान ये है कि वे 2010 से 2013 के बीच पाकिस्‍तान पीपुल्‍स पार्टी की सरकार में भी वित्‍त मंत्री थे. ये वही शासनकाल है, जिसको कोस-कोस कर इमरान सत्‍ता में आए. और वे जरदारी और नवाज शरीफ के शासन काल की वित्‍तीय कुव्‍यवस्‍था को पाकिस्‍तान की बदहाली के लिए जिम्‍मेदार मानते हैं. इमरान खान और असद उमर पाकिस्‍तान की कंगाली के लिए बिंदास पुरानी दो सरकारों के सिर ठीकरा फोड़ते थे, लेकिन क्‍या अब्दुल हाफिज शेख ऐसा कर पाएंगे? और शेख यदि ऐसा कहना भी चाहें तो किस मुंह से कहेंगे. क्‍योंकि यदि पहले की सरकारों ने कोई घपला किया है, तो उस दौरान वित्‍तमंत्री भी तो वे ही थे. वित्‍तीय क्षेत्र में 35 साल का अनुभव रखने वाले शेख के लिए आगे का रास्‍ता आसान नहीं है. जरदारी और शरीफ के दौर में मंत्री रहे लोगों को अपने कैबिनेट में लेकर इमरान खान अपने ही जाल में फंसते जा रहे हैं.

क्योंकि अभी भी पाकिस्तान के पास IMF पैकेज लेने का मौका है और असद उमर के मुताबिक इस महीने के अंत तक बात आगे बढ़ सकती है इसलिए नए वित्त मंत्री से भी काफी उम्मीद लगाई जा रही है कि वो देश को आर्थिक संकट से बचा लेंगे, लेकिन असद उमर का इस्तीफा ये बताता है कि पाकिस्तान में कभी भी कुछ भी हो सकता है.

एक और नियुक्ति जो चौंका देगी..

पाकिस्तानी कैबिनेट में एक और ऐसी नियुक्ति हुई है जो आपको चौंका सकती है. ये है ब्रिगेडियर एजाज़ शाह की नियुक्ति जिन्हें इमरान खान सरकार में आंतरिक मंत्री बनाया गया है. रिटायर्ड ब्रिगेडियर एजाज़ शाह असल में पाकिस्तान के अनेकों सबसे विवादित आर्मी अफसरों में से एक हैं. ये वही ब्रिगेडियर शाह हैं जिनके खिलाफ बेनजीर भुट्टो ने कहा था कि ये उनकी हत्या करवा सकते हैं और कुछ दिन बाद भुट्टो की हत्या हो भी गई थी. एजाज़ शाह की हिस्ट्री काफी रोचक रही है क्योंकि ये सेना में चर्चा के साथ-साथ ये आतंकवाद के लिए भी चर्चा में रहे हैं.

एजाज़ शाह मुशर्रफ के काफी करीब माने जाते रहे हैं. 2004 में परवेज मुशर्रफ ने इन्हें ऑस्ट्रेलिया का पाकिस्तानी हाई कमिश्नर नियुक्त करना चाहा था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय से ये मना हो गया और इसकी जगह इन्हें पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ब्यूरो का चीफ नियुक्त कर दिया गया.

2007 में कराची बम ब्लास्ट के बाद बेनजीर भुट्टो का कहना था कि मेरी हत्या की साजिश चल रही है और इसमें एजाज़ शाह का हाथ हो सकता है. इसमें उन्होंनो चार लोगों का नाम लिया था जिसमें पंजाब (पाकिस्तान) के मुख्यमंत्री चौधरी परवेज इलाही, सिंध के मुख्यमंत्री अरबाब गुलाम रहीम और ISI चीफ हामिद गुल भी शामिल थे.

वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या के आरोपी अहमद ओमार सईद शेख को भी शाह ने अपने यहां पनाह दी थी. इतना ही नहीं ब्रिगेडियर शाह ने तो ओसामा बिन लादेन को भी पनाह दी थी. ISI के पूर्व डायरेक्टर जनरल जियाउद्दीन भट्ट ने कहा था कि ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तानी ब्रिगेडियर एजाज़ शाह ने ही अबटाबाद (पाकिस्तान) के एक घर में रखा था. हालांकि, बाद में जनरल भट्ट ने अपना बयान वापस ले लिया था.

इमरान खान सरकार पहले ये कह रही थी कि पाकिस्तान की इसके पहले की सभी सरकारों ने अपना काम करने में कमी रखी है और तो और आर्थिक नुकसान और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया है. लेकिन इमरान खान सरकार बनने के 8 महीनों के अंदर ही ऐसी स्थिति बन गई है जो बताती है कि इमरान खान भी वही कर रहे हैं जो उनके पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्रियों ने किया.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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