एक इफ्तार पार्टी, जो रद्द होने के लिए आयोजित हुई...
भारत-पाक के प्रधानमंत्रियों की बैठक के आसपास कुछ घटनाएं या कंट्रोवर्सी ऐसी होती हैं, जिनके बारे में सुनकर लगता है जैसे यह किसी फिल्म प्रमोशन का हिस्सा है.
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भारत और पाकिस्तान किसी मंच पर एक साथ खड़े हों और वह सुर्खियों में न आए, यह हो ही नहीं सकता. खासकर जब दोनों देशों के प्रधानमंत्री मिलें तब तो चर्चा बनती ही है. दोनों देशों के बीच हाई प्रोफाइल मीटिंग के समय जो गहमागहमी हम देखते हैं. कुछ वैसी ही गहमागहमी बैठकों से पहले भी दिखाई देती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के शहर उफा में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सालाना शिखर वार्ता से इतर पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मिले. प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की शरीफ से यह तीसरी मुलाकात रही.
पाक राजदूत ने अलगाववादियों के साथ इफ्तार पार्टी कैंसल की
ऐसी खबरें आई हैं कि पाक राजदूत ने SCO की बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच मुलाकात को देखते हुए हुर्रियत नेताओं को दी जाने वाली इफ्तार पार्टी को कैंसल कर दिया. यह पार्टी 4 जुलाई को होनी थी. गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में सचिव स्तर की बैठक से ठीक पहले पाक राजदूत के हुर्रियत नेताओं से मिलने पर भारत ने नाराजगी जताते हुई वह बैठक रद्द कर दी थी. इसका असर नवंबर में काठमांडू में दक्षेस (SAARC) सम्मेलन में भी देखने को मिला. तब दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई.
ऐसे में इस इफ्तार पार्टी के कैंसल किए जाने के क्या मायने निकाले जाएं. क्या पाकिस्तान ने अपने रूख में बदलाव के संकेत दिए हैं? क्या यह भारत सरकार की कूटनीतिक जीत है? या फिर यह किसी बड़ी फिल्म के रिलीज से पहले होने वाले प्रोमोशनल कार्यक्रम की तरह है. हो सकता कि यह इफ्तार पार्टी रद्द करने के लिए ही आयोजित की गई हो ताकि पाकिस्तान एक साकारात्मक संदेश दुनिया में दे सके.
भारत-पाक वार्ता से पहले अक्सर बढ़ जाती है गहमागहमी
भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी बैठक से पहले कुछ घटनाएं बहुत आम हैं जो अक्सर सामने आती हैं. सीमा पार से घुसपैठ और गोलीबारी इसका एक उदाहरण है. यह हर बार होता है. अभी SCO के दौरान बैठक से पहले भी गोलीबारी की खबर आई जिसमें एक भारतीय जवान शहीद हो गया. जानकारों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना और आतंक फैलाने वाले कुछ तत्व जानबूझ कर ऐसा करते हैं, ताकि रिश्ते सामान्य नहीं हो सकें. वैसे यह हर बार होता है. पूर्व में भी भारत-पाक वार्ता से पहले ऐसी खबरें आती रही हैं जो बैठक के लिए एजेंडा भले ही सेट नहीं करती हों लेकिन एक माहौल तो तैयार कर ही देती हैं. यह माहौल सकारात्मक और नाकारात्मक, दोनों ही हो सकते हैं और इनका असर भी बैठकों पर देखने को मिलता रहा है.
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