बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के चश्मदीदों से पाकिस्तान के झूठ बेनकाब
पाकिस्तान ने भारत की सर्जिकल स्ट्राइक पर हुए नुकसान को सिरे से नकार दिया और कहा कि वहां जैश ए मोहम्मद का कोई मदरसा है ही नहीं, लेकिन क्या पाकिस्तान इन तीन अहम सबूतों को भी झुठला सकता है?
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जब से भारत सरकार ने पुलवामा आतंकी हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक 2 की है तब से ही इस बारे में बहस हो रही है कि क्या वाकई सर्जिकल स्ट्राइक में लोग मारे गए हैं या नहीं? इसका सबसे अहम कारण ये है कि पाकिस्तान की तरफ से इस बात का खंडन किया जा रहा है. पाकिस्तान ने सर्जिकल स्ट्राइक की बात को तो स्वीकारा, लेकिन अंतराष्ट्रीय मंच पर ये भी कह दिया कि हिंदुस्तानी सर्जिकल स्ट्राइक में तो सिर्फ पेड़ ही शहीद हुए हैं और किसी तरह का जान-माल का नुकसान नहीं हुआ.
पर 26 फरवरी को भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान का हमला करना इसका सबूत है कि कुछ तो हुआ है. खैर, पाकिस्तानी सरकार या सेना के प्रवक्ता चाहें कुछ भी कहें, लेकिन दुनिया के अलग-अलग कोने से आ रही खबरें इस बात का सबूत देती हैं कि पाकिस्तान का झूठ अब धीरे-धीरे सामने आने लगा है.
1. पहला सबूत: JeM के बालाकोट मदरसे का स्टूडेंट जो बच निकला
सबसे पहला सबूत है जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के मदरसे में पढ़ रहे एक बच्चे ने कहा कि 26 फरवरी को भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी सेना ने उन्हें बालाकोट से हटाकर किसी सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचा दिया. Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार मदरसे में पढ़ने वाले सभी लोगों को एक सेफ हाउस में पहुंचाया गया था और उसके बाद उन्हें उनके घरों में भेज दिया गया था.
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक स्टूडेंट ने अपने रिश्तेदारों को ये सब बताया था और वहीं से इसकी जानकारी सार्वजनिक हुई है. तलीम-उल-कुरान (Taleem-ul-Quran) मदरसे से मिलने वाली ये पहली जानकारी है जिसे कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद चलाता है. ये मदरसा एक पहाड़ी के ऊपर है जिसे जाभा टॉप कहा जाता है.
सोशल मीडिया पर जैश के मदरसे की ये तस्वीर वायरल हो रही है.
सूत्रों का ये भी कहना है कि पाकिस्तानी सैनिक सर्जिकल स्ट्राइक के एक हफ्ते पहले से ही उस मदरसे को सुरक्षा दे रहे थे. जैसा कि उस स्टूडेंट ने अपने परिवार वालों को बताया कि 26 फरवरी को तड़के (तब अंधेरा ही था.) वो और उसके साथी एक ही कमरे में सो रहे थे तब बहुत जोरदार धमाका हुआ.
धमाका बहुत दूर से नहीं हुआ था. वो घबरा कर उठ गए थे, लेकिन बाद में कुछ नहीं सुनाई दिया तो वो लोग सो गए. उन्हें लगा कि ये उनका वहम होगा या फिर किसी भूकंप का झटका. जब वो दोबारा उठे तब सैनिक आ चुके थे और उन्हें कहीं और जाने को कह रहे थे. फौजी उन्हें कहीं और ले गए पर रिश्तेदारों को नहीं पता था कि कहां. स्टूडेंट्स को वहां दो से तीन दिन रखा गया. मदरसे में कई लोग थे, लेकिन सभी को सुरक्षित ठिकानों पर नहीं भेजा गया. सिर्फ वो स्टूडेंट जिसके रिश्तेदार से बात हुई वो और कुछ अन्य जो उसी की उम्र के थे वहां गए. ये जानकारी नहीं मिल पाई कि धमाका कहां हुआ था और बाकियों का क्या हुआ.
सूत्रों के अनुसार मदरसे की सुरक्षा के लिए फौजी आए थे क्योंकि मदरसे की तस्वीरें ऑनलाइन लीक हो गई थीं. जिस स्टूडेंट की बात कही जा रही है वो मदरसे में वापस जाने को तैयार था. सभी रिश्तेदार उसे कह रहे थे कि वो शादी कर ले और यहीं रुक जाए, लेकिन वो मदरसा जाना चाहता था.
2. दूसरा सबूत: पाकिस्तानी पत्रकार ने ही जारी किया जैश का ऑडियो
ये सबूत थोड़ा और पक्का है. ये किसी सूत्र से नहीं बल्कि खुद पाकिस्तानी पत्रकार की तरफ से आया है. पाकिस्तानी पत्रकार ताहा सिद्दिकी जो स्वघोषित देश निकाले पर पाकिस्तान से भागकर पैरिस जा बसे हैं वो एक ऑडियो क्लिप और एक पोस्टर शेयर कर चुके हैं जो कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भाई का है. इस ऑडियो में बोलने वाला शख्स ये स्वीकार कर रहा है कि जैश के मदरसे पर हमला हुआ है.
#Exclusive: In a sermon in #Pakistan, #JaisheMohammad leader accepts Indian planes were targeting their center in #Balakot. He criticizes @ImranKhanPTI for releasing #IndianAirForce pilot #Abhinandhan. He also calls Pakistanis for joining #jihad in Indian-administered #Kashmir pic.twitter.com/j4pQ4WG96T
— Taha Siddiqui (@TahaSSiddiqui) March 2, 2019
इतना ही नहीं ताहा सिद्दिकी ने एक पोस्टर भी जारी किया है जिसमें कथित तौर पर ये लिखा गया है कि 28 फरवरी 2019 को पेशावर में जैश के एक लीडर ने सभा की थी.
ताहा सिद्दिकी ने सरकार से गुजारिश की है कि वो इस तरह की सभा का विरोध करे
ताहा के मुताबिक ये सभा मसूद अजहर के भाई मौलाना अम्मार की थी जहां उसने ये कबूल किया कि बालाकोट में जैश का मदरसा है और वही भारतीय वायुसेना का टारगेट था. ताहा सिद्दिकी पिछले काफी समय से पैरिस में ही रह रहे हैं. उन्हें पाकिस्तान छोड़कर भागना पड़ा क्योंकि वो लगातार पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लिखते थे और पाकिस्तान में चल रही काली कर्तूत का कच्चा-चिट्ठा खोलते थे. यहां तक कि जब वो पाकिस्तान छोड़कर जाने के लिए एयरपोर्ट जा रहे थे तब भी उनपर हमला हुआ और वो किसी तरह बच निकले थे. उन्हें अमेरिकी इंटेलिजेंस द्वारा सावधान रहने को भी कहा गया था और किसी भी देश की पाकिस्तानी एंबेसी के पास जाने से सावधान भी किया था. पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की मौत के बाद उनपर भी हत्या का खतरा मंडरा रहा है. एक पाकिस्तानी पत्रकार अगर खुद ही ये कह रहा है कि पाकिस्तान में आतंकवादियों को पनाह दी जा रही है और उसे झूठा पूरा पाकिस्तान कह रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी आवाज़ भी सुनी जाती हैं और उसके द्वारा दी गई खबरों को सत्यता के पैमाने पर नापा जाता है तो फिर उस पत्रकार की दी हुई जानकारी को झूठा कैसे कह सकता है कोई? ये वही पत्रकार है जिसपर इस तरह की खबरों को देने के लिए पाकिस्तान में कई बार हमले हुए हैं. एक लेख में ताहा ने साफ किया है कि अब उन्हें पैरिस की गलियों में भी सुरक्षित महसूस नहीं होता क्योंकि उन्हें लगता है कि उनपर किसी भी वक्त हमला हो सकता है और उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश की जा सकती है.
3. तीसरा सबूत: इटली के पत्रकार ने कहा कि एयरस्ट्राइक के बाद 35 लाशें छुपाई गईं
ये एक और सबूत है जिसे शायद झुठलाना गलत होगा. पाकिस्तान पर की गई भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही पूरे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इस बात को लेकर आशंका जताई गई है कि क्या वाकई भारत ने जैश के ठिकाने को तबाह किया या नहीं किया, लेकिन Francesca Marino एक इतालवी पत्रकार का कहना है कि एयर स्ट्राइक के बाद मौत की संख्या 40-50 हो सकती है. उन्होंने ये भी दावा किया कि 35-40 लोग इस हमले में घायल भी हुए हैं.
WION TV को दिए अपने बयान में पत्रकार का कहना है कि उसके पास 100% विश्वसनीय लोगों के बयान हैं. भारतीय फॉरेन सेक्रेटरी विजय गोखले ने कहा कि बहुत बड़ी मात्रा में आतंकियों और उनके ट्रेनर्स को खत्म किया गया है, लेकिन कोई आंकड़ा उन्होंने नहीं बताया. भारतीय मीडिया ने इस आंकड़े को 200 के पार पहुंचा दिया, लेकिन ऐसा हो सकता है कि आंकड़ा 35-45 के बीच हो और इसीलिए शायद पाकिस्तान को लाशें हटाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई.
ये वो तस्वीर है जिसे पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल गफूर ने ट्विटर पर शेयर किया था और कहा था कि भारत की सर्जिकल स्ट्राइक में सिर्फ पेड़ टूटे हैं.
भारतीय एयर मार्शल का कहना भी यही है कि ये तय करना कि कितनी मौतें हुई हैं ये बेहद जल्दबाजी होगी. Marino का कहना है कि 12 जवान जैश के ट्रेनी इस हमले में मारे गए हैं. इसके अलावा, जैश का ट्रेनर मुफ्ती मोईन और बम एक्सपर्ट उस्मान घनी भी उन लोगों में शामिल था जिन्हें मारा गया है.
Marino ने कहा कि चश्मदीदों ने देखा कि 35 लाशों को एयर स्ट्राइक की जगह से ले जाया जा रहा था. उस इलाके में सेना का कब्जा था और वहां पुलिस को भी जाने नहीं दिया जा रहा था. यहां तक कि जो एम्बुलेंस आई थीं उसमें भी मेडिकल स्टाफ का फोन तक ले लिया गया था.
ये तीन सबूत इस बात की पुष्टी करते हैं कि जो दावा पाकिस्तान कर रहा है वो सच्चा नहीं है. जहां एक ओर पूरी दुनिया को पाकिस्तान ये बताने में जुटा हुआ है कि भारत की सर्जिकल स्ट्राइक से वहां कोई नुकसान हुआ ही नहीं वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय मीडिया के पास अब सबूत भी हैं. तो क्या इन सबूतों को भी नजरअंदाज कर रहा है पाकिस्तान? वजह जो भी हो, लेकिन पाकिस्तान पर भरोसा करना तो किसी भी हाल में सही नहीं हो सकता. पाकिस्तान जैसा देश जिसने अजमल कसाब को भी अपना नागरिक मानने से मना कर दिया था उसपर भरोसा करना कितना सही है?
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