पनीरसेल्वम : चाय दुकान से अम्मा के दिल से मुख्यमंत्री तक का सफर
पनीरसेल्वम की पहचान जयललिता के ‘भक्त’ के रूप में है. चाय की एक दुकान से अम्मा का भक्त और अब तमिलनाडू के मुख्यमंत्री बनने तक का सफर काफी दलचस्प रहा है.
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तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के दुखद निधन के कुछ ही समय बाद 65 वर्षीय श्री ओ पनीरसेल्वम को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई. उनके साथ 31 अन्य मंत्रियों को राज भवन में राज्यपाल सी एच विद्यासागर राव ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई, लेकिन ये मौका गम से भरे माहौल में संपन्न हुआ और कई मंत्री काफी भावुक भी हो गए. जयललिता के निधन की घोषणा होने के बाद अन्नाद्रमुक विधायक दल की बैठक में श्री पनीरसेल्वम को नया नेता चुना गया.
पनीरसेल्वम तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं. उनके मंत्रिमंडल में उन सभी मत्रियों को रखा गया है जो जयललिता मंत्रिमंडल में शामिल थे. पनीरसेल्वम सुश्री जयललिता के 22 सितंबर को अस्पताल में भर्ती होने के बाद से मुख्यमंत्री का कामकाज देख रहे थे. इससे पहले वह 2001 तथा 2014 में कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री रह चुके हैं. जब 2015 में जयललिता छठवीं बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. जयललिता के मंत्रिमंडल के वह सबसे कद्दावर मंत्री थे. उनके पास वित्त, योजना, संसदीय कार्य, चुनाव, पासपोर्ट और प्रशासनिक सुधार जैसे मंत्रालय थे और पनीरसेल्वम की राजनितिक हैसियत और कद पार्टी और तमिलनाडु की राजनीती में काफी बढ़ गया था.
पनीरसेल्वम- फाइल फोटो |
थी चाय की दुकान..
ख़बरों के मुताबिक 1970 के दशक में उन्होंने ठेणी में पीवी कैंटीन नाम से चाय की दुकान खोली थी, जिसे 80 के दशक में उन्होंने अपने भाई को सौंप दिया. बाद में इसका नाम रोजी कैंटीन कर दिया गया. चायवाले से नेता बने पनीरसेल्वम अपने साथियों के बीच ‘ओपीएस’ के नाम से लोकप्रिय हैं और वह दिवंगत जयललिता के वफादार सहयोगी रहे हैं. पनीरसेल्वम की पहचान जयललिता के ‘भक्त’ के रूप में है. जयललिता की गैरमौजूदगी में पनीरसेल्वम ही कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे हैं. वे जयललिता के जेल जाने पर सार्वजनिक मंच पर आंसू नहीं रोक पाए थे.
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पहली बार वर्ष 2001 में कोर्ट के फैसले के बाद जयललिता को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था और पनीरसेल्वम 6 महीने के लिए तमिलनाडु के 13वें मुख्यमंत्री के तौर पर कमान संभाली थी. पर बाद में वर्ष 2002 में चुनाव जीतकर जयललिता फिर मुख्यमंत्री बन गईं. फिर भाग्य ने चमत्कार दिखाया और दूसरी बार फिर 2014 में पनीरसेल्वम को मुख्यम्नत्री बनाने का सौभाग्य मिला जब भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जयललिता को जेल जाना पड़ा था, वैसे अभी भी जब जयललिता बीमार हुई तब पिछले 2 महीने से पनीरसेल्वम कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत थे.
पनीरसेल्वम के सामने सबसे बड़ी चुनौती अन्नाद्रमुक को एक साथ जोड़कर रखने की है. वैसे चुनौती राष्ट्रीय राजनीति में उस साख को बरकरार रखने की भी है, और MG रामचंद्रन और जयललिता के विरासत की भी रक्ष करने के साथ केंद्र में भाजपा सरकार के साथ काम करके तमिलनाडु के बेहतर प्रसाशन और उन्नति को गश देना भी है, अब देखना ये महत्वपूर्ण होगा कि नई जवाबदेही का निर्वहन में पनीरसेल्वम कितने सफल होते हैं.
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