मुंबई अटैक जैसा होता जा रहा है पेरिस अटैक का हाल
आतंकियों के हमला करने के तरीके. उसके बाद मुठभेड़. फिर जांच. पेरिस अटैक के मामले में अब आगे जो भी होता जा रहा है, वह भी मुंबई हमले के जैसा ही है.
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26/11 मुंबई अटैक भारत और पाकिस्तान के बीच उलझ कर रह गया है और इसके जिम्मेदार लोग आज भी आजाद घूम रहे हैं. ठीक उसी तरह पेरिस पर हुआ आतंकी हमला भी अमेरिका और रूस के बीच उलझ चुका है और इसके भी जिम्मेदार लोग तुर्की और सीरिया में खुले आम घूम रहे हैं.
पेरिस पर आतंकी हमले के बाद अमेरिका, रूस, फ्रांस और तुर्की समेत कुछ देशों ने जहां एक तरफ आतंकी संगठन ISIS के खिलाफ हवाई हमले तेज कर दिए हैं वहीं ISIS को लेकर अमेरिका और रूस के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं. इन मतभेदों के चलते तीन दिन पहले तुर्की की एयर फोर्स ने अपने एफ-16 विमान से रूस के लड़ाकू विमान सुखोई-24 को मार गिराया. इस हमले पर रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने तुर्की पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया है और फिलहाल उससे कारोबारी रिश्तेद तोड़ दिए हैं.
दरअसल, सीरिया में अमेरिका, रूस और फ्रांस के साथ-साथ पूरी दुनिया का मकसद एक ही है, कि किसी तरह से ISIS पर लगाम लगाई जाए. सीरिया में गृह युद्ध छिड़ा हुआ है. ब्लादिमीर पुतिन सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के साथ खड़े हैं. सीरिया की सुन्नी ताकतें असद को सत्ता से हटाना चाहती है और उन्हें तुर्की से मदद मिलने के ठोस प्रमाण मिल रहे हैं. इस विवाद में अमेरिका भी तुर्की के साथ खड़ा है क्योंकि वह भी असद फ्री सीरिया की कामना करता है. वहीं गृह युद्द में तुर्की समर्थित सुन्नी ताकतों के लिए असद को सत्ता से हटाना इसलिए मुश्किल हो रहा है क्योंकि असद के कब्जे वाले सीरिया में रूसी सेना की मजबूत पकड़ है.
वहीं पेरिस हमले के बाद जिस तरह रूस और फ्रांस ने ISIS के खिलाफ हवाई हमला तेज किया है उससे आतंकी संगठन को बड़ा नुकसान पहुंच रहा है. दरअसल ISIS के कब्जे में सीरिया के कई तेल के कुएं हैं जिनसे क्रूड ऑयल निकालकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचा जा रहा है. जाहिर है इसी कमाई से ISIS अपने लड़ाकों के लिए गोला-बारूद खरीद रही है. लिहाजा, सीरिया में तुर्की द्वारा गिराए गए रूसी लड़ाकू विमान का सीधा असर रूस और फ्रांस की ISIS को कमजोर करने की कोशिश के विरोध में माना जा रहा है. इसके साथ ही तूर्की और रूस के बीच यह मामला अब आपसी नहीं रह गया है क्योंकि अब धीरे-धीरे यह भी साफ हो रहा है कि अमेरिका नहीं चाहता है कि रूस की सेनाएं सीरिया में असद को मजबूत करें.
पेरिस पर ISIS के आतंकी हमले के बाद दबाव में आए फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रैंकॉय ओलांद इस कोशिश में हैं कि वह अमेरिका और रूस को एक साथ रखते हुए ISIS के खिलाफ ठोस अभियान चला सकें. उनकी कोशिश है कि वह भी ISIS को ठीक वैसा जवाब दे सकें जैसा अमेरिका ने 9/11 हमलों के बाद जिम्मेदार आतंकी संगठन अलकायदा को दिया था. इसी कोशिश में फ्रैंकॉय ओलांद ने ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है लेकिन इतना साफ है कि उन्हें यह काम इतना आसान नहीं दिख रहा क्योंकि इस पूरे विवाद में अमेरिका और रूस एक दूसरे से विपरीत दिशा में खड़े हैं. लिहाजा, संभावना यही है कि पेरिस हमलों के गुनहगार भी तुर्की और सीरिया में छिपे रहेंगे, ठीक सी तरह जैसे 26/11 के गुनहगार पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं.
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