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Updated: 29 नवम्बर, 2017 06:39 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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समाज की अवधारणा में बेरोजगारी और खालीपन पसंद नहीं किया जाता. बेरोजगार और खाली इंसान को समाज सिरे से नकार देता है और कोई उसके साथ उठाना बैठना तक पसंद नहीं करता. समाज के विपरीत, राजनीती ऐसे व्यक्तियों को ज्यादा प्रभावित नहीं करती. खाली बैठकर बेरोजगारी के दिन काट रहा नेता अपने बयानों से कुछ समय के लिए चर्चा का विषय बन सकता है. या ये कहें कि खाली बैठे नेता के लिए उसके बयान किसी एक्सरसाइज की तरह हैं जहां उसे उसका असल कद मालूम चल जाता है.

अब इस बात को पाकिस्तान और जर्नल परवेज मुशर्रफ के सन्दर्भ में रख कर देखिये. एक समय पर बात बेबात चहकने वाले और भारत पर हर समय टेड़ी निगाह रखने वाले पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जर्नल परवेज मुशर्रफ पूर्णतः खाली बैठे हैं मगर उनकी हरकतें देख कर यही लग रहा है कि उनके दिल से भारत के प्रति नफरत और आतंकवाद को बढ़ावा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा.

पाकिस्तान, परवेज मुशर्रफ, आतंकवाद, हाफिज सईद   अपने बयान के बाद मुशर्रफ लोगों की आलोचना का शिकार हो गए हैं

पाकिस्तान के तानाशाह राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान के निजी समाचार चैनल पर खुद को लश्कर ए तैयबा (एलईटी) का सबसे बड़ा समर्थक बताया है. टीवी शो के दौरान उन्होंने मुंबई हमले का मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद के बारे में बोलते हुए कहा कि वह मुझे बेहद पसंद है और मैं उससे मिल भी चुका हूं. मुशर्रफ ने आतंकी संगठन जमात-उद-दावा को लेकर यह भी कहा कि न सिर्फ मैं बल्कि वे भी मुझे पसंद करते हैं.

विश्व के खूंखार आतंकी संगठनों को ध्यान में रखकर पाकिस्तान के ARY न्यूज चैनल से मन की बात करते हुए मुशर्रफ को देखकर यही महसूस हो रहा है वो कुछ "बड़ा" सोच रहे हैं जो शायद उनके लिए तो सही है मगर जिससे पाकिस्तान को भारी नुकसान और जग हंसाई का सामना करना पड़ सकता है.

ARY न्यूज चैनल को दिए गए अपने इंटरव्यू में मुशर्रफ ने यह बात मानी है कि कश्मीर में भारतीय सेना को दबाने और एक्शन में रहने का सपोर्ट वो पहले से करते आये हैं. साथ ही मुशर्रफ ने ये भी माना है कि अमेरिका के साथ मिलकर भारत ने लश्कर-ए-तैयबा को टेररिस्ट घोषित कर दिया, लेकिन यह संगठन सबसे बड़ी फोर्स है. मुशर्रफ यहीं नहीं रुके, आगे उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि, जी हां, लश्कर ए तैयबा कश्मीर में ही है और यह हमारे और कश्मीर के बीच का मामला है.

खैर परेवज मुशर्रफ ने वैसा बयान दिया है जैसे बयान की उम्मीद उनसे की जा सकती थी. हो सकता है कि कश्मीर, हाफिज सईद, लश्कर ए तैयबा और जमात-उद-दावा पर बयान और आतंकवाद पर बात दुनिया के किसी भी अमन पसंद व्यक्ति को विचलित कर दे मगर जब इस बयान का गहराई से अवलोकन किया जाए तो मिलेगा कि इस बयान के पीछे मुशर्रफ की एक सोची समझी चल है और उनका ये बयान उनका राजनीतिक भविष्य सीचने का काम करेगा.

पाकिस्तान, परवेज मुशर्रफ, आतंकवाद, हाफिज सईद  खैर ये कोई पहला मौका नहीं था जब मुशर्रफ की तरफ से ऐसा बयान आया हो

गौरतलब है कि 2008 में सत्ता छोड़ने के बाद मुशर्रफ को करीब 4 वर्ष अपने देश से बाहर रहकर बिताने पड़े. 2013 में वे चुनाव लड़ने के लिए फिर पाकिस्तान आए मगर उन्हें ये कहकर लौटा दिया गया कि वो चुनाव लड़ने के लिए उनकी पात्रता अयोग्य है. कहीं न कहीं मुशर्रफ इस टीस के साथ जी रहे हैं और कहा जा सकता है कि यही बात इस बयान की जड़ है.

पूर्व में भी मुशर्रफ कर चुके हैं आतंकवाद का समर्थन

बात 2015 की है, एक अन्य टीवी चनैल को दिए गए इंटरव्यू में मुशर्रफ ने ये बात स्वीकार की थी कि कश्मीर के मद्देनजर आतंकी हाफिज सईद और दीगर आतंकी संगठन सही दिशा में हैं और जब तक कश्मीर आजाद नहीं होता और आम कश्मीरियों को 'आजादी' नहीं मिलती वो ऐसे अभियानों और गतिविधियों पर अपना समर्थन देते रहेंगे. ध्यान रहे कि पाकिस्तान की सियासत में कई ऐसे मौके आए हैं जब पूर्व राष्ट्रपति जर्नल मुशर्रफ ने न सिर्फ लादेन, अल जवाहिरी और हक्कानी जैसे कुख्यतों को पाकिस्तान का असली हीरो बताया था बल्कि ये भी स्वीकार किया था कि तालिबान और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान सरकार पूरा सैन्य प्रसीक्षण और आर्थिक मदद दे रही है ताकि वो भारत के कश्मीर में अपनी गतिविधियों को सुचारू ढंग से अंजाम देते रहें.

समर्थकों की चाह में ऐसे बयान देकर मुशर्रफ कर रहे हैं मन की बात

जी हां बिल्कुल सही सुना आपने, मुशर्रफ के इन बयानों का उद्देश्य कट्टरपंथी समर्थकों का एक ऐसा बेस तैयार करना है जिनसे पूरा पाकिस्तान खौफ़ खाता हो. ये बात किसी से भी छुपी नहीं है कि नर्म के मुकाबले सदैव ही पाकिस्तान में गर्म को तवज्जो दी गयी है और शायद यही वजह है कि पाकिस्तान के जलने पर कानून मंत्री जाहिद हामिद के इस्तीफे के बाद, मुशर्रफ को ये महसूस हुआ हो कि यही वो समय है जब वो आक्रामक बयान देकर चरमपंथियों के बीच अपनी बैठ जमा सकते हैं.

पाकिस्तान, परवेज मुशर्रफ, आतंकवाद, हाफिज सईद  अपने इस बयान से फिर मुशर्रफ ने दुनिया के सामने पाकिस्तान की किरकिरी करवाई है

कहीं इन बेतुके बयानों की वजह बेनजीर की हत्या तो नहीं

माना जा रहा है कि मुशर्रफ द्वारा लगातार ऐसे बयान देने की वजह पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या भी है. इसके पीछे का तर्क बस इतना है कि पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर की हत्या में परवेज का हाथ बताया जा रहा है. और इसी को लेकर इनपर केस भी चल रहा है. परवेज इस बात को भली भांति जानते हैं कि सजा उन्हें आज नहीं तो कल अवश्य ही होगी. ऐसे में सजा से बचने का एक ही तरीका है कि परवेज संसद में अपने लिए समर्थक जुटाएं, जो मुश्किल वक़्त में उनका साथ दें और उन्हें बाइज्जत बरी कराएं.

बहरहाल एक ऐसे वक्त में जब पाकिस्तान में गृह युद्ध की स्थिति बनी हुई है और देश की जनता सड़कों पर है. मुशर्रफ का आतंकवाद और आतंकवादियों के समर्थन पर ये बयान साफ तौर पर दर्शाता है कि वो अपने कृत्यों और बयानों से पाकिस्तान को एक ऐसी दिशा में झोंक रहे हैं जहां से उसे न तो चीन से दोस्ती ही निकाल सकती है और न ही अमेरिका से हुई ताजी-ताज़ी दुश्मनी.

यदि मुशर्रफ अपने निजी फायदे के लिए इस तरह के बयान देकर पाकिस्तान के उस वर्ग का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं जो हिंसा के जरिये दहशत पैदा करने का काम बीते कई दशकों से करता चला आ रहा है तो उन्हें ये भी मान लेना चाहिए कि दुनिया उनको देखकर समझ चुकी है कि आतंकवाद को लेकर पकिस्तान ने हमेशा झूठ बोला है और केवल और केवल इसे खाद पानी देने का काम किया है. अंत में बस इतना ही कि पाकिस्तान को ये बात सोचनी चाहिए कि अगर वो दुनिया के सामने अपने को शांतिप्रिय दिखाना ही चाह रहा है तो पहले वो खुद ऐसे बयानों और ऐसे बयान देने वाले पूर्व राष्ट्रपति जर्नल परवेज मुशर्रफ का खुल के बहिष्कार करें.   

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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