जेल की सजा भुगत रहे नवाज शरीफ के लिए परवेज मुशर्रफ की फांसी 'आखिरी' मुस्कान जैसी है !
परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) ने 2007 में संविधान को संस्पेंड कर दिया. पाकिस्तान (Pakistan) सुप्रीम कोर्ट के टॉप जजों को जेल में डाल दिया. अब कोर्ट ने मुशर्रफ को राष्ट्रद्रोह (Treason) के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई है, जिससे नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) को खुशी हुई होगी.
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परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) तीसरे मिलिट्री कमांडर थे, जिन्होंने पाकिस्तान (Pakistan) पर शासन किया, जब उन्होंने 1999 में नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) की लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलट कर दिया था. उन्होंने देश के संविधान को सस्पेंड कर दिया था. अब उन्हें राष्ट्रद्रोह (Treason) के मामले में दोषी पाया गया है और इस्लामाबाद की एक स्पेशल कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई है. परवेज मुशर्रफ ने 2007 में संविधान को संस्पेंड कर दिया था और अति संवैधानिक आपातकाल की घोषणा कर दी थी. पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के टॉप जजों को जेल में डाल दिया गया था. 100 से भी अधिक जजों को बर्खास्त कर दिया गया था. लोकतांत्रिक आवाजों को तो वह पहले ही दबा चुके थे.
भारत में मुशर्रफ को करगिल युद्ध के विलेन के रूप में देखा जाता है. वह पाकिस्तान की सत्ता में 2008 तक रहे, जिसके बाद उन्होंने पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सरकार की ओर महाभियोग लाए जाने से डर कर इस्तीफा दे दिया और देश से भाग गए. 2013 में मुशर्रफ पर शिकंजा कसा, जब नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज पार्टी (PML-N) 14 सालों बाद एक बार फिर सत्ता में आई. उस साल मुशर्रफ आम चुनाव में हिस्सा लेने पाकिस्तान वापस लौटे. हालांकि, न्यायपालिका ने उन्हें डिसक्वालिफाई कर दिया.
परवेज मुशर्रफ को फांसी मिलने की सबसे बड़ी खुशी तो नवाज शरीफ को ही हुई होगी.
नवाज शरीफ सरकार ने 2013 में मुशर्रफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. मंगलवार को ये केस अंत तक पहुंच चुका है और स्पेशल कोर्ट ने दोषी को अपराध के लिए मौत की सजा दी है. पाकिस्तान में खुद को बड़ा दिखाने के लिए मुशर्रफ और शरीफ में एक तरह की लड़ाई देखने को मिली है. 1999 में जब परवेज मुशर्रफ ने तख्ता पलट करते हुए नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त किया था, उसके बाद उन्होंने शरीफ के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज कराए थे, जिनमें से एक राष्ट्रद्रोह का मामला भी था. मुशर्रफ का आरोप था कि नवाज शरीफ ने 1999 में तख्ता पलट वाले दिन उनके प्लेन को कोलंबो से वापस आते समय लैंडिंग में देरी कराने की कोशिश की.
आखिरकार नवाज शरीफ ने परवेज मुशर्रफ से कुछ बात कर के मामला सुलझा लिया. इसके बाद शरीफ के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा वापस ले लिया गया और शरीफ परिवार को देश से बाहर सऊदी अरब में जाकर शरण लेनी पड़ी.
अब सीधे आते हैं 2013 में. इस बार मुशर्रफ के खिलाफ राट्रद्रोह का मुकदमा चला. ट्रायल तो शुरू हुआ, लेकिन परवेज मुशर्रफ के 2016 में दोबारा दुबई भागने के साथ ही इसने अपनी ताकत खो दी. नवाज शरीफ की सरकार ने उनका नाम नो फ्लाई लिस्ट में डाल दिया. इसी साल अक्टूबर में अचानक से राष्ट्रद्रोह का मामला उभरा, जब 2018 में सत्ता में आई इमरान खान सरकार ने नवाज शरीफ सरकार द्वारा नियुक्त की गई पूरी लीगल टीम को बर्खास्त कर दिया. हालांकि, इमरान खान सरकार ने इस फैसले में देरी करने की पूरी कोशिश की, लेकिन इसे 1 महीने से अधिक टाल नहीं सके.
हालांकि, परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा उनकी अनुपस्थिति में सुनाई गई है. वह 2016 के बाद से अब तक पाकिस्तान वापस नहीं लौटे हैं. वह अभी दुबई में हैं और एक दुर्लभ बीमारी 'एमिलॉइडोसिस' का इलाज करवा रहे हैं. एमीरेट्स में अपने तगड़े संपर्कों के चलते इसकी संभावना काफी कम है कि पाकिस्तान को उनका प्रत्यर्पण किया जाएगा, ताकि उन्हें फांसी की सजा सुनाई जा सके.
दिलचस्प है कि नवाज शरीफ को 2017 में भ्रष्टाचार के मामले में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है, जब उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा. वह भी फिलहाल लंदन में हैं और कई सारी बीमारियों के लिए इलाज ले रहे हैं, जिनमें उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली का गड़बड़ होना भी शामिल है, जिसकी वजह से उनके खून में प्लेटलेट्स का लेवल काफी कम रहता है. बावजूद इसके नवाज शरीफ आज आखिरी बार खुश हुए होंगे कि पिछले दो दशकों से परवेज मुशर्रफ के खिलाफ सत्ता के संघर्ष के बीच परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई गई है.
आपको बता दें कि परवेज मुशर्रफ के खिलाफ 4 और केस दर्ज हैं. ये 2006 में बलोच नेता अकबर बुगती की हत्या, 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या, 2007 में करीब 60 जजों को गिरफ्तार करने और 2007 में इस्लामाबाद में लाल मस्जिद में एक इमाम की हत्या के मामले हैं.
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