मोदी ने हॉकी को कश्मीर और अयोध्या से क्यों जोड़ दिया?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने हॉकी में मिले ओलंपिक मेडल (Hockey Olympic Medal) को भी अयोध्या और कश्मीर से जोड़ कर पेश तो किया ही है, खेल रत्न (Khel Ratna Award) को भी कांग्रेस मुक्त कर दिया है - सामने यूपी विधानसभा चुनाव जो है.
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राम मंदिर निर्माण के लिए हुए भूमि पूजन समारोह की सालगिरह तो हर बार महत्वपूर्ण होगी, लेकिन अगर चुनाव नजदीक हों तो अहमियत अपनेआप बढ़ जाती है - और वो भी अगर चुनाव उत्तर प्रदेश में हो रहे हों.
यूपी चुनाव का महत्व तो वैसे भी ज्यादा समझा जाता है, लेकिन पश्चिम बंगाल में बीजेपी की हार ने इसे और भी ज्यादा कर दिया है. बंगाल में चुनावी हार की समीक्षा के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ये तो साफ कर ही दिया था कि यूपी चुनाव में 'श्मशान-कब्रिस्तान 2.0' ही हावी रहेगा, लेकिन तब ये नहीं मालूम था कि हिंदुत्व की राजनीति और राष्ट्रवाद के एजेंडे के साथ किसी दिन मौका मिलने पर बीजेपी खेलों को भी अपने पॉलिटिकल पैकेज में शामिल कर लेगी - लेकिन क्यों नहीं आखिर 'मोदी है तो मुमकिन है' कैसे समझा जाएगा!
राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के साल भर पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से लाभार्थियों को राशन बांटा गया - और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जुड़े नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 5 अगस्त की तारीख की राजनीतिक परिभाषा गढ़ डाली - जम्मू-कश्मीर से 370 का खात्मा और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये भी याद दिलाया कि 5 अगस्त को ही ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी (Hockey Olympic Medal) टीम ने 41 साल बाद कोई मेडल भी जीता है.
वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने 5 अगस्त की अहमियत समझाने के साथ साथ सरकार और विपक्ष के नजरिये में फर्क भी समझाने की कोशिश की - और अब तो मोदी सरकार ने देश में दिये जाने वाले खेल रत्न (Khel Ratna Award) को भी कांग्रेस मुक्त कर दिया है.
ओलंपिक में हॉकी खिलाडियों के प्रदर्शन के बाद खेल से बाहर का एक नाम जो तारीफ बटोर रहा है, वो है ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का - क्या हॉकी को अयोध्या और कश्मीर से जोड़ा जाना प्रधानमंत्री का कोई पॉलिटिकल हैक है?
हॉकी, हिंदुत्व और राष्ट्रवाद!
जवाब तो सभी देते हैं. दरअसल, देने ही होते हैं. मजबूरी जो होती है - लेकिन सटीक जवाब देना. पॉलिटिकली करेक्ट जवाब देना ज्यादा बड़ी बात होती है - और बातों के अलावा एक्शन से जवाब दिये जायें तो, दूरगामी असर छोड़ते हैं.
जब से ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन को लेकर अच्छी खबरें आने लगीं, सोशल मीडिया पर लोग अपनी भावनाओं का बढ़ चढ़ कर इजहार करने लगे हैं - और ऐसी कई पोस्ट देखने को मिल जाएंगी जिसमें निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नजर आते हैं.
हॉकी को मदद पहुंचाने के लिए हाल फिलहाल ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक खासी तारीफें बटोर रहे हैं - सोशल मीडिया पर हॉकी से जुड़ी अपनी पोस्ट में लोग नवीन पटनायक का नाम लेना नहीं भूलते.
कुछ दिनों से एक अलग ट्रेंड देखने को मिल रहा है. ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को जीत की बधाई में प्रधानमंत्री मोदी का नाम लेकर कटाक्ष करने तो जैसे फैशन चल पड़ा है. कोई खिलाड़ी मेडल जीतता है तो उसके नाम, उपलब्धि और तस्वीर के साथ आखिर में लिखा होता है - 'बधाई मोदी जी' या फिर 'शुक्रिया मोदी जी.'
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के सम्मान में राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदल दिया गया है - राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर भारत रत्न देने की भी घोषणा होने वाली है क्या?
ये कटाक्ष भरे विरोध की गांधीगिरी ही है. लोगों के कहने का मतलब है कि सरकार ने खेलों के लिए कुछ नहीं किया और खिलाड़ी जो कुछ भी कर रहे हैं, वे अपने बल बूते. खिलाड़ियों के प्रदर्शन के साथ साथ उनकी निजी कहानियां भी बतायी जा रही हैं और मालूम होता है कि ये खिलाड़ियों के जुनून के सिवा कुछ भी नहीं है जो उनको टोक्यो तक पहुंचाने में मददगार साबित हुआ हो.
सीनियर पत्रकार दिलीप मंडल कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए लिखते हैं, 'ये मत पूछिए कि खिलाड़ियों ने क्या किया? पूछिए कि राष्ट्र ने उन्हें क्या दिया. सलीमा टेटे का मकान और आज के मैच की सबसे शानदार दौड़. सबसे तेज यही दौड़ती है.'
दिलीप मंडल ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सलीमा की मदद की सलाह भी दी है, 'सलीमा को कम से कम SP/डायरेक्टर के पद पर लाइए। 19 साल की है. जादू करेगी. सैल्यूट.'
हॉकी को बढ़ावा देने के लिए नवीन पटनायक को मिलते क्रेडिट को देखते हुए ही, लगता है प्रधानमंत्री मोदी ने हॉकी के पूरे खेल को ही राजनीतिक मुद्दे के तौर पर हाइजैक कर लिया है - वो खिलाड़ियों से बात कर रहे हैं और बातचीत का वीडियो भी शेयर किया जा रहा है.
बेशक ये हौसलाअफजाई का तरीका है. मेडल से चूक गयीं महिला टीम की खिलाड़ियों को तो निश्चित तौर पर अपने देश के प्रधानमंत्री से फोन पर बात करके ढाढ़स बंधा होगा - और अगली बार और भी बेहतर परफॉर्म करने के लिए मोटिवेशन भी, लेकिन 5 अगस्त की तारीख को धारा 370 और राम मंदिर निर्माण से जोड़ दिया जाना - खेल भावना को राष्ट्रवाद में परिवर्तित कर हिंदुत्व से जोड़ देने की राजनीतिक कवायद नहीं तो और क्या है?
वैसे भी योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रगुजार होना चाहिये. इसलिए नहीं कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री को योगी होने के साथ साथ कर्मयोगी भी बताया, बल्कि इसलिए कि अगस्त के महीने को लेकर उनके मंत्री के बयान की स्मृतियां मिटाने की कोशिश भी की है. अब तक तो लोग यही जानते रहे कि अगस्त में 'बच्चे मरते ही हैं' लेकिन 5 अगस्त की तारीख के इतिहास में दर्ज हो जाने के बाद लोगों की धारणा बदल सकती है.
प्रधानमंत्री मोदी ने हॉकी टीम से दोबारा बात की है. पहली बार मोटिवेट करने के लिए और दूसरी बार जीत की बधाई देने के लिए. हॉकी कैप्टन मनप्रीत सिंह को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आपने इतिहास बनाया है,' और बोले, 'आज मनप्रीत की आवाज तेज और साफ है जबकि उस दिन थोड़ी धीमी थी.'
हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह का पैतृक गांव पंजाब में जालंधर का मीठापुर है, जहां से पूर्व कप्तान परगट सिंह आते हैं और वही मनप्रीत के प्रेरणास्रोत भी हैं. राजनीति की बात ये है कि परगट सिंह फिलहाल कांग्रेस के विधायक हैं और कैप्टन बनाम सिद्धू की लड़ाई में विरोध के प्रमुख स्वर रहे हैं.
देखना है यूपी के साथ साथ पंजाब में भी बीजेपी हॉकी और मनप्रीत से खुद को जोड़ कर पेश कर पाती है या फिर नवजोत सिंह सिद्धू, अपने साथी परगट सिंह के जरिये मनप्रीत सिंह के नेतृत्व में मिले हॉकी मेडल का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं.
वर्चुअल संवाद में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'आज की ये 5 अगस्त की तारीख बहुत विशेष बन गई है... ये 5 अगस्त ही है जब 2 साल पहले आर्टिकल 370 को हटाकर जम्मू कश्मीर के हर नागरिक को हर अधिकार... हर सुविधा का पूरा भागीदार बनाया गया था.' याद रहे, प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं को भी दिल्ली बुलाकर बात की थी - और वो भी यूपी चुनाव के मकसद से ही छवि सुधार की कोशिश लगी. पश्चिम बंगाल के बाद बाद ब्रांड मोदी पर जो धब्बा लगा उसी को धोन की कवायद लगी.
फिर मोदी ने उसी तारीख को अयोध्या से जोड़ कर पेश किया, 'यही 5 अगस्त है जब भव्य राम मंदिर के निर्माण की तरफ पहला कदम रखा गया... आज अयोध्या में तेजी से राम मंदिर का निर्माण हो रहा है.'
और फिर कश्मीर और अयोध्या को हॉकी से भी जोड़ दिया, 'आज 5 अगस्त की तारीख... फिर एक बार हम सभी के लिए, उत्साह और उमंग लेकर आई है... आज ही... ओलंपिक के मैदान पर देश के युवाओं ने हॉकी के अपने गौरव को फिर स्थापित करने की तरफ बड़ी छलांग लगाई है.'
खेल रत्न भी कांग्रेस-मुक्त हो गया!
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को धीरे धीरे जम्मू-कश्मीर, अयोध्या और हॉकी से यूपी चुनाव पर फोकस होते देखना भी दिलचस्प रहा. प्रधानमंत्री ने कहा कि कैसे नया भारत 'पद' नहीं बल्कि 'पदक' जीत कर दुनिया में छाने लगा है - और लगे हाथ प्रधानमंत्री ने ये भी समझा दिया कि परिवारवाद की राजनीति से न देश का कल्याण होने वाला है न उत्तर प्रदेश का, 'नये भारत में आगे बढ़ने का मार्ग 'परिवार' नहीं, बल्कि 'परिश्रम' से तय होगा.' जाहिर है निशाने पर गांधी परिवार के साथ साथ मुलायम सिंह यादव का परिवार भी रहा.
इसी क्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी दलों पर यूपी की उपेक्षा का आरोप भी लगाया, 'बीते दशकों में उत्तर प्रदेश को हमेशा राजनीति के चश्मे से देखा गया... यूपी देश के विकास में भी अग्रिम भूमिका निभा सकता है... ये चर्चा तक नहीं होने दी गई.'
चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी फिर से डबल इंजिन की सरकार का महत्व समझाया, 'डबल इंजन की सरकार ने यूपी के सामर्थ्य को एक संकुचित नजरिये से देखने का तरीका बदल डाला है - यूपी भारत के ग्रोथ इंजन का पावर हाउस बन सकता है... ये आत्मविश्वास बीते सालों में पैदा हुआ है.'
हॉकी की भाषा में ही प्रधानमंत्री मोदी ने देश के प्रति बीजेपी सरकार और विपक्ष के नजरिये का फर्क भी अपने तरीके से समझाया, 'एक तरफ हमारा देश... हमारे युवा भारत के लिए नई सिद्धियां प्राप्त कर रहे हैं... जीत का गोल कर रहे हैं, वहीं देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो राजनीतिक स्वार्थ में सेल्फ गोल करने में जुटे हैं.'
खेल भावना से आगे बढ़ कर हॉकी का खेल राष्ट्रीय भावनाएं भी उड़ेल देता है - और आम जनमानस के मन में बैठा हुआ है कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है, जबकि क्रिकेट ज्यादा हावी रहता है. लोग भले ही हॉकी को दिल के करीब देखते हों, लेकिन महाराष्ट्र के एक शिक्षक मयूरेश अग्रवाल जब बच्चों के राष्ट्रीय खेल से जुड़े सवाल का जवाब नहीं दे पाये तो सही जानकारी के लिए RTI की मदद लेने का फैसला किया. 15 जनवरी, 2020 को सरकार की तरफ से मिला जवाब काफी निराश करने वाला रहा, 'सरकार ने किसी खेल विशेष को नेशनल गेम नहीं घोषित किया है - क्योंकि सरकार का मकसद सभी खेलों को प्रमोट और प्रोत्साहित करना है.'
लगता है प्रधानमंत्री मोदी भी मानते हैं कि सिर्फ बातों से काम नहीं चलने वाला. कुछ बड़ा करना जरूरी होता है - और बड़ा काम ये हुआ है कि केंद्र सरकार ने 'राजीव गांधी खेल रत्न' का नाम बदल कर 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न' अवॉर्ड कर दिया है.
देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।
जय हिंद!
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों की डिमांड की दुहाई दी है, लेकिन लोग ये भी नहीं भूले होंगे कि मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग बरसों पुरानी है. 2014 में तो एक बार लगा भी कि सरकार ध्यानचंद को लेकर गंभीर है क्योंकि नॉमिनेशन को लेकर खबरें आयी थीं - लेकिन तब सचिन तेंदुलकर को देश का सर्वोच्च सम्मान दे दिया गया. हां, मेजर ध्यानचंद को 1956 में ही पद्म भूषण जरूर मिल चुका है. अब तो 5 अगस्त की तारीख के बाद 29 अगस्त भी आने वाला है - मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के तौर पर मनाया जाता रहा है.
हो सकता है मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न देने से ज्यादा आसान खेल रत्न का नाम बदलना रहा हो, वैसे भी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ये काम खूब भाता है - डबल इंजिन की सरकार के लिए वोट मांग रहे प्रधानमंत्री ये भी जानते हैं कि खेल रत्न का नाम बदलने का भी डबल फायदा है - एक ही झटके में खेल रत्न भी तो कांग्रेस मुक्त हो ही गया है.
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