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Updated: 11 अप्रिल, 2018 08:29 PM
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गुजरते वक्त के साथ मुहावरे भी बदल जाते हैं. तभी तो दूसरे को दूध से जलते देखनेवाले खुद भी छाछ फूंक कर पीने लगे हैं. बदले हुए इस मुहावरे पर अमल करने का ताजा फैसला बीजेपी का है.

बीजेपी को डर है कि कहीं राहुल गांधी के अनशन की तरह बीजेपी का उपवास भी उपहास का पात्र न बन जाये. यही वजह है कि 12 अप्रैल के उपवास कार्यक्रम के दौरान बीजेपी ने 'क्या करें' और 'क्या न करें' की पूरी गाइडलाइन तैयार की है - सांसदों और नेताओं को इस पर सख्ती से अमल की हिदायत दी गयी है.

टॉयलेट एक 'रिकॉर्ड' कथा

सावधानी हटी, दुर्घटना घटी. ये नसीहत सिर्फ ड्राइविंग के वक्त याद रखनेवाली ही नहीं है, बल्कि जिंदगी में होने वाली हर घटना में फिट बैठती है. बिहार के दौरे पर गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा टॉयलेट के आंकड़ों पर तो टिप्पणियां हुईं ही, एक कांग्रेस नेता ने उनके भाषण का वो हिस्सा भी ट्वीट किया जिसमें वो महात्मा गांधी का पूरा नाम बताते हुए उन्हें 'मोहनदास' की जगह 'मोहनलाल' बता गये.

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है जिसमें खुले मैदान में दो ईंटें रख दी गयी हैं. ये प्रधानमंत्री के 8.50 टॉयलेट रिकॉर्ड वक्त में बन जाने की प्रतिक्रिया में शेयर किये जा रहे हैं. वैसे बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी के दावे पर एक आंकड़ा पेश कर सवाल पूछा है.

जबान का फिसलना हादसा है और ऐसे हादसे होते रहते हैं. हर किसी की कोशिश बस यही रहती है कि एक तरह का हादसा दोहराये नहीं. हालांकि, ऐसी बातों के कुछ अपवाद भी होते हैं. जब कोई बात पूरे होशोहवास में जानबूझ कर कही जाती है तो काम पूरा हो जाने के बाद उसे जुमला बता दिया जाता है. फिर भी कुछ मामले ऐसे होते हैं जब हर निगाह फोकस होती है. ऐसे में एहतियाती उपाय ही काम आते हैं.

ताकि उपवास उपहास न बन जाये

पिछले दिनों यूपी में राज्य सभा के लिए चुनाव हो रहे थे तो बीजेपी ने खास सतर्कता बरती. अमित शाह ने दिल्ली से खास तौर पर पीयूष गोयल सहित दो नेताओं को भेजा ही इसलिए था कि फूलप्रूफ इंतजाम हो सकें. फिर गोरखपुर और फूलपुर की शिकस्त योगी आदित्यनाथ पर भी इस कदर हावी रही कि बीजेपी विधायकों के लिए वर्कशॉप आयोजित किया गया - और बार बार उन्हें वोट देने का अभ्यास कराया गया.

12 अप्रैल को बीजेपी के देशव्यापी उपवास में भी कोई चूक और उसकी वजह से हादसा न हो जाये इसको लेकर बीजेपी पहले पूरी सतर्कता बरत रही है. दरअसल, कांग्रेस के उपवास कार्यक्रम से पहले नेताओं के छोले भटूरे खाने वाली तस्वीर ने बीजेपी को बुरी तरह डरा दिया है.

narendra modi, amit shahचप्पे चप्पे पर चौकसी

कांग्रेस की उपवास फजीहत से सीख लेते हुए बीजेपी ने हर तरह की सावधानी बरतने की सलाह दी है. दिल्ली बीजेपी के सीनियर नेताओं ने तो बाकायदा मीटिंग कर समझाने की कोशिश की. बीजेपी सांसदों और नेताओं को जिन खास बातों पर ध्यान देने को कहा गया है, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वे हैं -

1. सार्वजनिक जगहों पर खाने पीने से पूरी तरह बचें.

2. खाते पीते वक्त इस बात का ख्याल जरूर रखें कि कहीं कैमरे की जद में तो नहीं आ रहे.

3. खाते पीते वक्त सेल्फी लेने की भी पूरी तरह मनाही है.

4. उपवास स्थल के पास रेहड़ी और खोमचे वालों को तो कतई फटकने न दें.

उपवास, मगर किस लिए?

खुद प्रधानमंत्री भी उपवास रखेंगे, लेकिन बीजेपी प्रवक्ता के अनुसार वो रोजाना के कामकाज भी निपटाते रहेंगे. अमित शाह कर्नाटक के हुबली में उपवास रखेंगे. जरूरी भी है. ठीक एक महीने बाद 12 मई को कर्नाटक विधानसभा के लिए वोट डाले जाने हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री के उपवास कार्यक्रम को 'क्यूट' बताया है, तो एक्टर कोएना मित्रा ने उनकी टिप्पणी को माफीनामे से जोड़ दिया है. अपने ट्विटर प्रोफाइल में कोएना ने खुद को राष्ट्रवादी और नरेंद्र मोदी की फैन बताया है.

वैसे तो बीजेपी का ये उपवास कार्यक्रम सिर्फ एक दिन होगा, मगर दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने 12 अप्रैल से आमरण अनशन की घोषणा कर दी है.

मनोज तिवारी का अनशन दिल्ली की केजरीवाल सरकार के खिलाफ है, जबकि बीजेपी का राष्ट्रव्यापी उपवास विपक्ष द्वारा संसद न चलने देने को लेकर है. प्रधानमंत्री ने संसद न चलने देने के लिए विपक्ष को जिम्मेदार बताते हुए सांसदों को पूरे देश में अपने अपने इलाके में जाकर अनशन पर बैठने की कहा है.

अपने देशव्यापी उपवास की वजह बीजेपी जो भी बताये, लगता तो ऐसा है जैसे पार्टी के पखवाड़े भर के दलित समुदाय रिझाओ कार्यक्रम का कर्टेन रेजर है. नाराज दलितों को मनाने के लिए बीजेपी अंबेडकर जयंती के मौके पर 14 अप्रैल से 5 मई तक कई तरह के कार्यक्रम करने जा रही है. खास बात ये है कि ये सभी कार्यकर्म उन इलाकों में होंगे जहां दलितों की आबादी 50 फीसदी या उससे ज्यादा है. इस दौरान बीजेपी नेताओं को गांवों में कम से कम दो दिन गुजारने को भी कहा गया है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने यूपी के उन्नाव गैंगरेप की घटना की याद दिलाते हुए महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी ऐसे उपवास कार्यक्रम रखने की गुजारिश की है.

rahul gandhiअगला अनशन कब तक?

प्रधानमंत्री के साथ अक्सर कुछ न कुछ पहली बार जैसा जुड़ता जरूर है. नॉर्थ ईस्ट को लेकर भी उनका ऐसा ही कुछ कहना रहा. इस उपवास के साथ प्रधानमंत्री ऐसा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हो जाएंगे.

संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलती रहे ये सुनिश्चित करना सत्ता पक्ष की ड्यूटी है. विपक्ष का तो धर्म बनता है किसी न किसी बहाने बाधाएं खड़ी करते रहना. तो क्या समझा जाये प्रधानमंत्री ऐसी बात के लिए उपवास रखा जिसकी जिम्मेदारी खुद उन्हीं की बनती है.

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