ममता बनर्जी की चोट पर पीएम मोदी मरहम क्यों लगा रहे हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की रैली में ममता बनर्जी की चोट (Mamata Banerjee Injury) को लेकर बीजेपी का बदला रुख नजर आया है और वो अमित शाह (Amit Shah) के स्टैंड से बिलकुल अलग है - क्या बीजेपी ने ममता के प्रति लोगों की मिल रही सहानुभूति के चलते ऐसा किया है?
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चुनावों से पहले कुछ घटनायें ऐसी होती हैं जिनका असर नतीजों पर भी देखने को मिलता रहा है. ये घटनायें ऐसी होतीं हैं जिनको लेकर सबका पूर्वानुमान बराबर होता है. नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लगी चोट (Mamata Banerjee Injury) पश्चिम बंगाल चुनाव में एक ऐसी ही घटना लगती है.
नामांकन के बाद चुनाव अभियान में जुटीं ममता बनर्जी को लगी चोट को लेकर शुरू में बीजेपी नेताओं जैसी ही कांग्रेस नेताओं की भी राय सामने आयी थी. बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने ममता बनर्जी को लगी चोट को नौटंकी तो कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने ड्रामा बताया था. दरअसल, ममता बनर्जी ने भी अपनी चोट को हमला और उसके पीछे साजिश का इल्जाम लगाया था.
ममता बनर्जी को चोट लगने के बाद पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार करने पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कटाक्ष ही किया था. ममता बनर्जी की चोट को लेकर अमित शाह (Amit Shah) की टिप्पणी जले पर नमक छिड़कने जैसी ही रही, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने इस मामले में अलग रुख दिखाया है.
ममता बनर्जी के चोट लगने के बाद जल्द स्वस्थ होने की शुभकामना तो अमित शाह ने भी व्यक्त की थी, लेकिन वैसा बड़ा दिल नहीं दिखाया था जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों से लगता है. ममता बनर्जी के शासन और टीएमसी को लेकर तो प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी पहले की तरह ही तीखी लगती है, लेकिन ममता बनर्जी को लेकर शब्दों का इस्तेमाल सोच समझ कर किया गया लगता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तृणमूल कांग्रेस नेता को लगी चोट पर दुख जताते हुए ममता बनर्जी को भारत की बेटी बताया है - क्या मोदी ऐसा करके ममता बनर्जी की चोट पर मरहम लगाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि अमित शाह नमक छिड़क रहे थे?
ममता पर मोदी और शाह के रुख में फर्क क्यों?
ममता बनर्जी को नंदीग्राम में चोट लगी थी और उसके बाद उनको अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था. अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद ममता बनर्जी व्हील चेयर पर बैठ कर ही चुनाव प्रचार कर रही हैं. ममता के तेवर में कोई कमी नहीं आया है, बल्कि खुद को घायल शेर के तौर पर पेश कर रही हैं.
ममता बनर्जी को चोट लगने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे थे. पुरुलिया की रैली में प्रधानमंत्री मोदी के तृणमूल कांग्रेस के शासन पर हमले का अंदाज तो पुराना ही नजर आया लेकिन ममता बनर्जी को लेकर पहले जैसा तीखापन नहीं देखने को मिला.
प्रधानमंत्री मोदी ने नीतियों के मामले में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के स्टैंड का अपने हिसाब से फर्क समझाया. बोले, 'हमारी नीति DBT है - DBT यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर... बंगाल में TMC नीति है - TMC मतलब ट्रांसफर माई कमीशन... हम डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर करते हैं , वे ट्रांसफर माई कमीशन में डूबे हैं... दो मई दीदी जॉछे... इस बार जोर से छाप - कमल छाप.'
ममता बनर्जी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नरम रुख बीजेपी के बदले हुए स्टैंड का नमूना तो है ही.
रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने ममता बनर्जी खेला होबे वाले अंदाज में ही जवाब दिया, लेकिन तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी शासन का फर्क समझाते हुए. प्रधानमंत्री मोदी का कहना रहा, 'दीदी बोले खेला होबे... बीजेपी बोले स्कूल होबे, अस्पताल होबे, विकास होबे.'
ममता बनर्जी की सरकार और तृणमूल कांग्रेस पर तो प्रधानमंत्री मोदी के हमले का अंदाज पहले वाला ही रहा, लेकिन ममता बनर्जी की चोट को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का रुख काफी नरम नजर आया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ममता बनर्जी की चोट की उनको भी चिंता है और वो ईश्वर से कामना करते हैं कि वो जल्द स्वस्थ हों. मोदी से पहले अमित शाह ने भी ममता बनर्जी के जल्दी स्वस्थ होने को लेकर शुभकामना तो दी थी, लेकिन प्रधानमंत्री के मुकाबले ममता बनर्जी को लेकर उनके भाव बिलकुल अलग देखने को मिले थे.
हालांकि, ममता बनर्जी को चोट लगने के बाद जब पहली बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बांकुड़ा में रैली करने पहुंचे तो उनके तेवर प्रधानमंत्री मोदी से बिलकुल अलग थे. अमित शाह ने भी बाकी बीजेपी और कांग्रेस नेताओं की तरह ही ममता बनर्जी को लगी चोट पर सवाल उठाये थे - दीदी को चोट का दर्द हो भी रहा है या नहीं?
अमित शाह ने कहा था, ममता लगातार कहती रही हैं कि अपनी चोट से ज्यादा उनको बंगाल की चोट की चिंता है, साथ ही सलाह भी दी थी, 'अपने गुंडों के हाथों मारे गये भाजपा कार्यकर्ताओं की मांओं के दर्द को जरा याद करके देखें.'
रैली में अमित शाह का भाषण कटाक्ष से सराबोर दिखा. अमित शाह कह रहे थे, 'मैं आज थोड़ा लेट हूं क्योंकि मेरे हेलीकॉप्टर में कुछ खराबी आ गई थी, लेकिन मैंने इसे साजिश नहीं बताया... ममता जी के पैर में चोट लगी... ये पता नहीं है कि कैसे लगी. TMC साजिश बता रही है, लेकिन चुनाव आयोग ने कहा है कि ये एक हादसा है.'
फिर बोले, 'दीदी आप व्हीलचेयर में हर जगह घूम रही हैं, मुझे आपके पैर की चिंता है - लेकिन मेरे उन 130 कार्यकर्ताओं की मांओं के दर्द का क्या... जिनकी हत्या कर दी गई.'
बीजेपी कार्यकर्ताओं के सबसे बड़ा हिंसा पीड़ित बताते हुए अमित शाह ने समझाया कि बंगाल की जनता को लगा था कि कम्युनिस्ट शासन खत्म होने पर हिंसा से राहत मिलेगी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस तो उनसे भी आगे निकली.'
ममता की चोट पर बीजेपी के रुख में बदलाव
ममता बनर्जी ने तो चोट लगते ही नंदीग्राम से ही विक्टिव कार्ड खेलना शुरू कर दिया था. ममता बनर्जी को तो मालूम था ही, लगता है अब बीजेपी नेतृत्व को भी अहसास होने लगा है कि ममता बनर्जी को लेकर लोगों में सहानुभूति उभर आयी है और बीजेपी या कांग्रेस नेताओं के तृणमूल कांग्रेस नेता के घायल होकर नौटंकी बताने का प्रयास असफल लगने लगा है. बीजेपी भी लगता है महसूस करने लगी है कि ममता बनर्जी को चोट लगने के बाद लोगों की सहानुभूति मिलने लगी है और लोग ममता बनर्जी में किसी घायल शेरनी की छवि देखने लगी हैं.
व्हीलचेयर पर बैठे बैठे ममता बनर्जी जहां कहीं भी जा रही हैं, कहती हैं, जब तक 'हृदय में धड़कन है - और कंठ में आवाज...' वो लड़ेंगी. पैर में लगा प्लास्टर जितना तकलीफदेह है उससे कहीं ज्यादा राजनीतिक रूप से फायदेमंद भी साबित हो रहा है - अब तो विक्टिम कार्ड खेलने के लिए पहले के मुकाबले बोलने की भी कम ही जरूरत पड़ रही होगी.
ममता बनर्जी अब अपनी हर बात को चोट से जोड़ कर ही पेश कर रही हैं. झालदा की चुनावी रैली में ममता बनर्जी बीजेपी को बड़े ही सख्त लहजे में ललकार रही थीं, 'कुछ दिन इंतजार करें... मेरे पांव सही हो जाएंगे... फिर मैं देखूंगी कि आपके पांव बंगाल की धरती पर ठीक से पड़ते हैं या नहीं.'
अब तो ये भी लगने लगा है जैसे बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ताजा बंगाल दौरे से पहले ममता बनर्जी को लेकर अपनी रणनीति में काफी बदलाव किया है. मोदी के भाषण से बदलाव को कुछ ऐसे समझ सकते हैं कि ममता बनर्जी की सरकार, तृणमूल कांग्रेस शासन पर तो पार्टी पहले की तरह ही आक्रामक बनी रहेगी, लेकिन ममता बनर्जी के खिलाफ पर्सनल अटैक से परहेज किया जा सकता है.
हालांकि, सही तस्वीर तभी सामने आ सकेगी जब प्रधानमंत्री मोदी की तरह ही अमित शाह भी अपने अगले दौरे में ममता बनर्जी को लेकर निजी हमलों से परहेज बरतते देखे जायें - और फिर अमित शाह की तरह बीजेपी महासचिव और पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष भी मोदी-शाह के दिखाये रास्ते पर ही चलते नजर आयें.
हां, नंदीग्राम से बीजेपी उम्मीदवार और ममता बनर्जी के पुराने साथी शुभेंदु अधिकारी को इस मामले में छूट मिल सकती है क्योंकि वो तो सीधी लड़ाई लड़ रहे हैं और चुनावी मुकाबले में वो वैसे ही पेश आ सकते हैं जैसे प्यार और जंग में सब कुछ जायज मानते हुए छूट मिली होती है.
वैसे लंबे अरसे से ममता बनर्जी को टारगेट करते रहने वाले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ मुख्यमंत्री को चोट लगने के बाद देखने के लिए अस्पताल तक पहुंचे थे. ये भी तभी की बात है जब ममता बनर्जी के विरोधी बीजेपी और कांग्रेस नेता जहां कहीं भी मौका मिल रहा था ममता बनर्जी का मजाक उड़ाते रहे. ये भी समझाते रहे कि ममता बनर्जी की चुनावी नौटंकी की पुरानी आदत है.
राजनीतिक विरोधी ममता बनर्जी को लेकर जो भी कहें - नाटक, नौटंकी या ड्रामा, लेकिन एक बात से तो शायद ही किसी को इंकार हो कि चोट लगने के बाद ममता बनर्जी को सहानुभूति का लाभ मिलना तो पक्का हो गया है.
तभी तो पुरुलिया की चुनावी रैली में प्रधानमंत्री मोदी बोले, 'दीदी अपनी खीज मुझ पर निकाल रही हैं... वो क्या-क्या नहीं कह रही हैं... वो भाजपा कार्यकर्ताओं पर भी भड़की हुई हैं, लेकिन हमारे लिए तो देश की करोड़ों बेटियों की तरह दीदी भी भारत की एक बेटी हैं, जिनका सम्मान हमारे संस्कारों में रचा-बसा है. इसलिए, जब दीदी को चोट लगी तो हमें चिंता हुई - मेरी भगवान से प्रार्थना है कि उनके पैरों की चोट जल्द से जल्द ठीक हो.'
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